प्रयागराज(हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने प्लॉट के गबन मामले में अंसल ग्रुप के लोगों को राहत नहीं दी है। न्यायालय ने कहा कि प्लॉट बेचने वाले इतने बड़े व प्रतिष्ठित कम्पनियों द्वारा अगर आम जनता से फ्रॉड करने की छूट मिलेगी तो आम जनता को बहुत परेशानी हो जाएगी। ऐसे में इनको राहत नही दी जा सकती। अदालत ने अंसल ग्रुप के अधिकारियों की याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें कि याचियों ने गोमतीनगर थाने से संबंधित आपराधिक मामले में दाखिल चार्जशीट और संज्ञान व तलबी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली ने अरुण कुमार मिश्र व दो अन्य लोगों की याचिका पर दिया। अभियोजन के मुताबिक पैसा लेने के बावजूद करार के मुताबिक जब याचीगण वादी को प्लॉट मुहैया नहीं करा सके तो फर्जीवाड़ा व गबन आदि की आरोपों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। जिसमें विवेचक ने गबन के आरोप में चार्जशीट दाखिल किया। याचियों ने चार्जशीट व तलबी आदेश को रद किए जाने की गुजारिश की थी। उधर अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम राजेश कुमार सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए दलील दिया कि पैसा लेकर करार के मुताबिक प्लॉट न देकर यचियों ने अपराध किया है। चार्जशीट दाखिल होने के बाद वैकल्पिक प्लॉट देने से किए गए अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है। ऐसे में समझौते के लिहाज से वे राहत पाने के हकदार नहीं हैं। अदालत ने कहा यह साफ है कि भरोसे को भंग करके वादी को परेशान किया गया जिस पर वादी ने प्राथमिकी दर्ज कराई। याचीगण अंसल ग्रुप से सम्बंधित हैं, जो एक नामचीन रियल एस्टेट फ़र्म है। खबरों के मुताबिक अंसल ग्रुप ने जनता के साथ बड़े पैमाने पर फ्राड किया और इसके खिलाफ कई सारी प्राथमिकियां दर्ज हुई हैं। ऐसे में अगर ऐसी प्रतिष्ठित फ़र्म को आम लोगों को परेशान करने में शामिल होने दिया जाता है तो यह पूरे समाज को तबाह कर देगा और प्लॉटस व फ्लैटस लेने के इच्छुक लोगों को हतोत्साहित करेगा।
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