बिहार में कृषि स्नातकों को सरकार देगी स्टाइपेंड
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- कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह की घोषणा
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(आज समाचार सेवा)
पटना। बिहार के कृषि कालेजों में पढ़ रहे कृषि स्नातक के सभी छात्रों को स्टाइपेंड देगी बिहार सरकार। इसके साथ ही स्नातकोत्तर के छात्रों का स्टाइपेंड बढ़ाया जाएगा। खेती-किसानी की पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए नए कालेज भी खुलेंगे। राज्य के सभी 54 कृषि बाजार समिति के प्रांगण को आधुनिक कृषि बाजार के रूप में विकसित किया जाएगा। कृषि मंत्री अमरेंद्र कुमार सिंह ने मंगलवार को विधानसभा में ये घोषणा की।
सदन ने कृषि विभाग के लिए निर्धारित 2022-23 के 3,615 करोड़ रुपये के बजट को ध्वनिमत से पारित कर दिया। कृषि मंत्री ने इस क्षेत्र को ऊंचाई पर ले जाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना की। उन्होंने कहा कि 2005 में नीतीश कुमार को बदहाल बिहार मिला था, जिसे उन्होंने सजाया-संवारा। आज कृषि के क्षेत्र में हमारी गिनती उन्नत राज्यों में होती है। राज्य को पांच-पांच कृषि कर्मण पुरस्कार मिल चुके हैं।
मंत्री ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की प्राथमिकताएं गिनाईं। उन्होंने बताया कि बीज योजना, जैविक खेती, बागवानी, कृषि यांत्रीकरण, कृषि तकनीकी के प्रचार प्रसार के अलावा कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाएगा। जलवायु अनुकूल कृषि को प्राथमिकता सूची में शामिल किया जाएगा। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीन नए कृषि कालेज खोलने के विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।
दो कालेजों में तो पढ़ाई भी शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि कृषि स्नातक के छात्रों को स्टाइपेंड देने के अलावा स्नातकोत्तर के छात्रों की स्टाइपेंड राशि बढ़ाई जाएगी। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के लिए तहत फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के प्रोत्साहन के लिए कार्यक्रम चलाए जाएंगे। इसके तहत खेत के स्तर पर आधारभूत संरचना के निर्माण पर जोर दिया जाएगा। मंत्री ने बताया कि कृषि उत्पाद के निर्यात के लिए नई नीति बनेगी। सात निश्चय पार्ट-2 के तहत हर खेत को सिंचाई सुविधा देने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि औषधीय खेती को बढ़ावा देने की योजनाएं भी बनाई गई हैं।
मंत्री ने बताया कि कृषि रोड मैप से इस क्षेत्र में काफी तरक्की हुई है। इसे अगले साल के 31 मार्च तक का विस्तार दिया गया है। कृषि रोड मैप के चलते कृषि क्षेत्र का उत्पादन बढ़ा है। 2005-06 से 2020-21 की तुलना करें तो इन वर्षों में चावल के उत्पादन में 99 प्रतिशत, गेहूं में 135 प्रतिशत और मक्का के उत्पादन में 131 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि दर्ज की गई है।