Post Views: 487 बाल मुकुन्द ओझा महंगीने नेहरूसे लेकर मोदीतक किसीको नहीं बख्शा। नेहरू, इंदिरा कालमें समाजवादी और साम्यवादी संघटन महंगीके विरुद्ध मोर्चा निकालते थे। संसदमें एके गोपालन, भूपेश गुप्त, हिरेन मुखर्जी और ज्योतिर्मय बसुसे लेकर मधु लिमये, जॉर्ज फर्नांडीज, नाथ पेई, मनीराम बागड़ी, राजनारायण आदिके भाषण आज भी संसदकी कार्यवाहीमें दर्ज है। डा. राम […]
Post Views: 711 संजय राय अफगानिस्तान इन दिनों वैश्विक राजनय और कूटनीतिकी धुरी बना हुआ है। दो दशक बाद अमेरिकाकी सेना अफगानिस्तानसे वापस लौट रही है। अमेरिकी सैनिकोंकी वापसीके साथ ही तालिबान एक बार फिर अपनी पुरानी भूमिकामें आ गया है। तालिबान काबुलकी सत्तापर लोकतांत्रिक तरीकेसे बैठी अशरफ गनीके नेतृत्ववाली सरकारको हटाकर पूरे देशका शासन […]
Post Views: 491 अवधेश कुमार किसी भी देशमें आन्दोलन होता है तो कहींसे भी लोग प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। प्रतिक्रियाएं सही हैं गलत हैं यह हमारे नजरियेपर निर्भर करता है। जिस देशका मामला होता है वह अपने तरीकेसे उसपर जवाबी प्रतिक्रियाएं देता है। यह विकसित सूचना संचारवाले वर्तमान विश्वकी सचाई है। कृषि कानूनोंके विरोधमें आन्दोलन […]