Post Views: 422 डा.जयंतीलाल भंडारी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमणने एक फरवरीको केंद्रीय बजट प्रस्तुत करते हुए कुछ सरकारी बैंकोंके निजीकरण करनेकी घोषणा की थी। उनके मुताबिक अब सार्वजनिक क्षेत्रके बैंक भारतीय बैंकिंग प्रणालीके लिए पहलेकी तरह अहम नहीं रह गये हैं। अब कुछ सरकारी बैंकोंका निजीकरण अपरिहार्य है क्योंकि सरकारके पास पुनर्पूंजीकरणकी राजकोषीय गुंजाइश नहीं है। […]
Post Views: 926 विष्णुगुप्त करीमा बलोच चीन और पाकिस्तानकी उपनिवेशिक नीति एवं करतूत को दुनियाके सामने बेपर्द करनेकी अहम भूमिकामें थीं। करीमाकी हत्या मानवाधिकारके लिए एक खतरेकी घंटी है। करीमाकी हत्यापर संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा निष्पक्ष और प्रभावशाली जांच होनी चाहिए। तमाम प्रश्न है। दुनियाके नियामकोंकी चुप्पी चिंताजनक है। जबकि करीमा बलोचकी हत्या दुनियामें अभिव्यक्तिकी स्वतंत्रता, […]
Post Views: 719 डा. अजय खेमरिया राम मानवताकी सबसे बड़ी निधि है। वह संसारमें अद्वितीय प्रेरणापुंज है। वह शाश्वत धरोहर है मानवीय सभ्यता, संस्कृति और लोकजीवनके। राम जीवनके ऐसे आदर्श हैं जो हर युगमें सामयिकताके ज्वलन्त सूर्यकी तरह प्रदीप्त है। मर्यादाशील, संयम, त्याग, लोकतंत्र, राजनय, सामरिक शास्त्र, वैश्विक जबाबदेही, सामाजिक लोकाचार, परिवार प्रबोधन, आदर्श राज्य […]