सम्पादकीय

महामारीके दौरमें योगकी महत्ता


 योगेश कुमार गोयल          

गत दिनों मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) के सहयोगसे आयुष मंत्रालय द्वारा सातवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवसके लिए एक घंटेका पूर्वावलोकन कार्यक्रम आनलाइन आयोजित किया गया, जिसमें केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारणमंत्री प्रकाश जावडेकर तथा केन्द्रीय आयुष राज्यमंत्री किरेन रिजिजू द्वारा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस २०२१ की थीम ‘योगके साथ रहें, घरपर रहेंÓ के महत्वको रेखांकित किया गया। इस दौरान योगको समर्पित एक मोबाइल एप्लीकेशन नमस्ते योग भी लांच किया गया। कार्यक्रममें अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कई योग गुरुओं तथा आध्यात्मिक नेताओंने समूचे विश्व समुदायसे अपील की कि लोग खुद अपनी तथा मानवताकी बेहतरीके लिए अपने दैनिक जीवनमें योगको अपनायें। उन्होंने गहरे अध्यात्मिक आयामोंसे लेकर इसके दैनिक जीवन तथा कोरोना संबंधित उपयोगितातक, योगकी विभिन्न अनूठी और व्यापक विशेषताओंपर बल दिया। दरअसल उत्तम स्वास्थ्य तथा रोगोंके प्रबंधन और रोकथाममें योगकी उपयोगिता भली-भांति स्थापित हो चुकी है और प्रतिरक्षण निर्माण तथा तनावसे राहतकी दिशामें योगके लाभ जगजाहिर हैं।

स्वस्थ शरीर किसी वरदानसे कम नहीं है और योगासनोंका लाभ तथा महत्व किसीसे छिपा नहीं है। कुछ प्रमुख योगाभ्यास फेफड़ोंको मजबूत बनानेके अलावा कई शारीरिक व्याधियोंसे बचानेमें भी अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे ही योगाभ्यासोंमें भुजंगासन, सर्वांगासन, योग मुद्रासन, शशकासन, मकरासन, विश्रामासन, गोमुखासन, उत्तानपादासन, ताड़ासन, हलासन, सेतुबंधासन, मंडूकासन, उष्ट्रासन, पवनमुक्तासन, नौकासन, शलभासन, धनुरासन, त्रिकोणासन, पश्चिमोत्तानासन, पादंगुष्ठासन इत्यादि प्रमुख हैं। अनुलोम विलोम, कपालभाति, भस्त्रिका, भ्रामरी, उज्जायी इत्यादि प्राणायाम करनेसे फेफड़े मजबूत होने संबंधी कई प्रमाण मिल चुके हैं। कपालभाति प्राणायामसे नसें मजबूत होनेके अलावा शरीरमें रक्त संचार सुचारू रूपसे होता है, सांसकी बंद नली खुल जाती है और सांस लेनेमें आसानी होती है। भस्त्रिका प्राणायामसे हृदय स्वस्थ होता है, नाक तथा सीनेकी समस्या दूर होती है, अस्थमा रोग दूर होता है, अतिरिक्त शारीरिक वजन घटता है तथा तनाव और चिंता दूर होती है। उज्जायी प्राणायाम हृदय संबंधी बीमारियोंमें फायदेमंद है, इससे दिमाग शांत रहता है। ध्यान लगानेकी क्षमता बढ़ती है और शरीरमें गर्माहट आती है। उद्गीथ प्राणायाम करनेसे याद्दाश्त तेज होती है, नर्वस सिस्टम ठीक रहता है, तनाव एवं चिंता दूर होती है और इस प्राणायामसे वजन घटानेमें मदद मिलती है।

भुजंगासन अर्थात् कोबरा पोज सूर्य नमस्कारका हिस्सा है। इस आसनको करनेसे फेफड़े मजबूत बनते हैं, किडनी स्वस्थ होती है, रीढ़की हड्डी मजबूत बनती है, लीवर संबंधी समस्याओंसे छुटकारा मिलता है, तनाव, चिंता और डिप्रैशन दूर होता है। उष्ट्रासनसे हृदय मजबूत होता है, पाचन शक्ति सुधरती है, मोटापा कम होता है तथा टखनोंका दर्द दूर होता है। सर्वांगासन करनेसे मस्तिष्कमें रक्त तथा आक्सीजनका प्रवाह बेहतर होता है, जिससे बाल झडऩेकी समस्या दूर होती है, मानसिक तनाव कम होता है, त्वचाकी रंगत निखरती है, चेहरेपर कील-मुंहासे नहीं होते, झुर्रियां नहीं पड़ती। इस आसनसे थायरॉयडकी समस्या ठीक हो जाती है, पेटके सभी आंतरिक अंग सही प्रकारसे काम करने लगते हैं। हलासन पाचन तंत्रके अंगोंकी मसाज कर पाचन सुधारनेमें मदद करता है। इस आसनसे शुगर लेवल नियंत्रित रहता है, मेटाबॉलिज्म बढऩेसे वजन घटानेमें मददगार है, रीढ़की हड्डीमें लचीलापन बढ़ाकर कमर दर्दमें आराम देता है, तनाव और थकानसे राहत देता है, दिमागको शांति मिलती है, थायरॉयड ग्रंथिसे जुड़ी समस्याएं खत्म होती हैं, नपुंसकता, साइनोसाइटिस, सिरदर्द इत्यादि परेशानियोंसे भी राहत मिलती है। त्रिकोणासनको इम्युनिटी बूस्टर योग माना गया है।

इससे पेटपर जमी अतिरिक्त चर्बी दूर होती है, जिससे मोटापा कम होता है, शारीरिक संतुलन ठीक होता है, गर्दन, पीठ, कमर तथा पैरके स्नायु मजबूत होते हैं, चिंता, तनाव, कमर तथा पीठका दर्द दूर होता है, पाचन प्रणाली ठीक होती है और एसिडिटीसे छुटकारा मिलता है। ताड़ासनको माउंटेन पोज कहा जाता है। इस योगको करनेसे लम्बाई बढ़ती है, पाचन तंत्र मजबूत होता है, शरीरमें रक्त संचार सही तरीकेसे होता है, घुटनों, टखनों और भुजाओंमें मजबूती आती है, कब्जकी शिकायत दूर होती है, श्वसन प्रणाली मजबूत होनेसे श्वसन संबंधी बीमारियोंसे छुटकारा मिलता है, सियाटिकाकी समस्या दूर होती है। पादंगुष्ठासन मस्तिष्कको शांत कर तनाव एवं हल्के डिप्रेशनमें राहत देता है, किडनी तथा आंतोंकी कार्यपद्धति बेहतर करता है, रजोनिवृत्तिके लक्षण कम करनेमें मददगार है, पाचनमें सुधार लाता है, जांघोंको मजबूत करता है, थकान एवं चिंता कम करता है, सिरदर्द तथा अनिद्रासे छुटकारा दिलाता है, दमा, उच्च रक्तचाप, बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस, साइनस इत्यादि समस्याओंमें भी लाभकारी है। धनुरासनका अभ्यास करनेसे किडनीके संक्रमणसे निबटनेमें काफी मदद मिलती है, पीठ मजबूत होती है तथा पेटके निचले हिस्सेकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं, गर्दन, सीना और कंधे चौड़े होते हैं, हाथ-पैरोंकी मांसपेशियां सुडौल बनती हैं, नपुंसकता दूर करने तथा तनाव कम करनेमें मदद मिलती है। इस आसनको भी इम्युनिटी बढ़ानेके लिए बेहतरीन योगासनोंमेंसे एक माना गया है। फिलहाल सभी योग गुरुओंका एक ही स्वरमें कहना है कि योग केवल शारीरिक स्वास्थ्यके बारेमें नहीं है, बल्कि समग्र कल्याणसे संबंधित है, जो कोरोना महामारीके इस विकट दौरमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

दरअसल आज दुनिया संकटमें है और महामारीके बीच योग इससे बाहर निकलनेका रास्ता बताता है। योग जीवनके बारेमें है और योगाभ्यास करना वह मार्ग है, जिसमें हमें अपनी जीवनशैलीको बदलनेकी आवश्यकता है। अनन्त कालसे किया जा रहा योग केवल एक उपचार नहीं है, बल्कि एक स्वस्थ और सुखी जीवनका मार्ग तथा समग्र जीवनका एक विज्ञान है। योगाभ्यास करनेका सीधा-सा अर्थ है एक आनंदमय जीवन व्यतीत करना। कोरोनाकी दूसरी लहरके दौरान आक्सीजनके अभावमें तड़पते तथा दम तोड़ते लोगों और परिवारोंकी जो दुर्दशा कुछ ही दिन पहले हमने देखी है, ऐसेमें तो योगकी प्रासंगिकता मानव जीवनमें कई गुना बढ़ गयी है। दरअसल योगको फेफड़ों तथा हृदयकी ताकत बढ़ानेमें काफी कारगर माना गया है। इसके अलावा इससे शरीरकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे शरीरमें वायरस संक्रमण होनेकी संभावना कम हो जाती है। इसीलिए योग गुरुओंका कहना है कि स्वास्थ्य आपातकालके वर्तमान समयमें योगको लेकर लोगोंमें जागरूकता बढ़ाना तथा व्यापक समुदायके लिए इसे पहुंच योग्य बनाना बेहद जरूरी है।