पटना

राजगीर: स्वरोजगार कर स्वाबलंबी बन रहे गांव के युवा : श्रवण कुमार


मंत्री ने फिश फीड यूनिट का किया शुभारंभ

राजगीर (नालंदा) (आससे)। सूबे की सरकार हर वर्ग के लोगों का विकास कर रही है। किसान हो चाहे मजदूर या फिर नौजवान सबों को विकसीत करने का काम हो रहा है। पढ़े-लिखे नौजवान युवा आज स्वाबलंबी बन रहे हैं। सरकार मछली पालन हो या पशुपालन हर क्षेत्र में अनुदान देकर युवाओं को इस ओर रोजगार दे रही है। युवा मछली दाना बनाकर भी अपने को स्वाबलंबी बना सकते हैं।

ये बातें ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने रविवार को बिहार पुलिस अकादमी के पास मोरा गांव में नौजवान अनूप कुमार लड्डू द्वारा लगाये गये फिश फीड (मछली दाना) यूनिट का उद्घाटन करते हुए कहीं। मंत्री ने कहा कि इस तरह का जिले का यह पहला यूनिट है। इससे आस-पास के लोगों को भी फायदा होगा। मछली पालन करने वाले लोग इसका उपयोग करेंगे। उन्हें दाना लाने के लिए अब दूर नहीं जाना होगा। वहीं गांव के अन्य युवाओं को भी इससे रोजगार मिलेगा। रोजगार सृजन होगा।

इस मौके पर यूनिट के संचालक अनूप कुमार लड्डू, मेकेनिक गिरिश कोंड्रा, जदयू नेता मुन्ना कुमार, पूर्व पैक्स अध्यक्ष जयराम सिंह, नगर जदयू अध्यक्ष राकेश कुमार, छात्र जदयू प्रखंड अध्यक्ष संजीव रंजन उर्फ पप्पू, कमलेश कुमार, उदय पटेल, अजीत कुमार वर्मा, कृष्ण मुरारी प्रसाद, देवेन्द्र कुशवाहा, निशु कुमार, शशि भूषण प्रसाद, मनोज कुमार, बिन्देश्वर कुमार, बिट्टु कुमार, सोनु कुमार, बिरेन्द्र कुमार, शंकर कुमार, रवि कुमार, गुड्डु कुमार सहित अन्य मौजूद थे।

मछली दाना यूनिट लगाने वाले स्वरोजगार से जुड़े युवा किसान अनूप कुमार लड्डु ने कहा कि पहले मछली दाना लाने के लिए उन्हें दूर जाना पड़ता था। इसके बाद उसने अपने गांव में ही इस तरह का दाना बनाने की सोच बनायी और महाराष्ट्र के नागपुर की दाना बनाने वाली कंपनी से कंसल्ट किया। इसके लिए कच्चा माल के रूप में मक्का, सोयाडियूसी(सोयाबीन तेल निकालने के बाद बचा खल्ली), रिफाइन तेल और पानी से इसे तैयार किया जायेगा।

जिले का यह पहला यूनिट है जहां पर मछली दाना बनेगा और लोगों को दूसरी जगह से कम दाम पर उपलब्ध रहेगा। अनूप ने बताया कि इस मशीन से एक घंटे में 110 किलो दाना बनेगा। मौजूदा समय में कच्चा माल नासिक से मंगाना पड़ रहा है। वहीं अभी जो मछली दाना आता है वह महाराष्ट्र से आता है जिसमें भाड़ा जोड़कर अधिक खर्च होता है। यह दाना पानी के उपर तैरती रहेगी जिसे मछली आसानी से खा सकेगा। मशीन को रिपेयर करने के लिए कंपनी के इंजीनियर उपलब्ध रहते हैं।