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राजस्थान के भाजपा नेताओं में चल रही आपसी खींचतान, हो सकता है भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष का फैसल


जयपुर, । : राजस्थान के भाजपा नेताओं में चल रही आपसी खींचतान के बीच पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने बृहस्पतिवार को तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया। पिछले एक साल से पूनिया को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाए जाने को लेकर पार्टी नेताओं का एक वर्ग लाबिंग में जुटा है। लेकिन संगठन पर मजबूत पकड़ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में गहरी पैठ के कारण विरोधी पूनिया को पद से हटाने में कामयाब नहीं हो सके हैं।

मालूम हो कि तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर पूनिया ने ट्वीट कर कहा, जैसा प्रचारित किया जाता है वैसी मंशा नहीं है और महत्वकांक्षा भी नहीं है। ये मंशा जरूर है कि अध्यक्ष का दायित्व निर्माण करने में इस प्रकार निरत रहूं कि राजस्थान में पार्टी दो तिहाई बहुतम का आंकड़ा हासिल करे।

पार्टी में बताए 35 साल के अनुभव तीन पन्नों के खुल पत्र में साझा करते हुए पूनिया ने पिछले साल दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचार में पार्टी प्रत्याशियों की हार को निराशाजनक बताया है। माना कि उस वक्त राजनीति कमजोर होकर रह गई थी। पूनिया ने छात्र जीवन से लेकर प्रदेशाध्यक्ष पद तक के संघर्ष, उपलब्धियों को शब्दों में पिरोने की कोशिश की।

उन्होंने लिखा राजनीति की बातें हरि अनंत हरि कथा अनंता है। पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा का भी काम करने को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए आभार जताया है। अगले कुछ दिनों में पूनिया के भविष्य को लेकर निर्णय होना है।

पार्टी नियमों के अनुसार अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है, जो पूनिया ने पूरा कर दिया है। अब पार्टी विधानसभा चुनाव तक उन्हे पद पर रखेगी या किसी अन्य नेता को यह पद सौंपेगी, इस बारे में अगले कुछ दिनों में निर्णय होने की उम्मीद है।