रूपौली (पूर्णिया)(आससे)। प्रखंड क्षेत्र में मानसून की वापसी के बाद बेमौसम हुई बारिश के कहर ने यहाँ के किसानों की कमर तोड़ कर रख दी। यहाँ के किसानों द्वारा प्रचुर मात्रा में आलू की खेती की जाती है। प्रमुख नकदी फसलों में केला के बाद यहाँ के किसानों की माली हालत सबल बनाने में मक्का के बाद आलू की खेती का अहम योगदान रहा है। जबकि बाढ़ विभिषिका झेल चुके किसानों को अपने लहलहाते धान की फसल से जहाँ कुछ सकून मिल रहा था। वह भी बेमौसम हुई रूक-रूक कर भारी बारिश ने तैयार फसल को जमींदोज कर दाने-दाने को मुंहताज कर दिया।
वर्ष 2020 के मार्च माह से वैश्विक महामारी कॉरोना संक्रमण पर लगाम लगाने को लेकर सरकार द्वारा लॉकडाउन लगाए जाने से किसानों और आमजनों की माली हालत खराब हो गई थी। कारण जो कि पिछले वर्षों की भांति बाजार मूल्य से महफूज रहना पड़ा था। पुनः धान फसल के तैयार होने और नकदी फसलों में एक लगे आलू फसल को भारी बारिश ने नश्तनाबूद कर दिया। प्राकृतिक आपदा के रूप में आए बेमौसम बारिश ने खेत में पके धान की फसल, कटे फसल सहित आलू की बीज को जमीन्दोज कर किसानों की कमर ही तोड़ कर रख दी।
ग्रामीण क्षेत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रखंड क्षेत्र में जहाँ कोयली सिमड़ा पूरब, कोयली सिमड़ा पश्चिम, बिजय मोहनपुर, भौवा प्रबल, बिजय लालगंज, कांप, नाथपुर, डोभा मिलिक, धूसर टीकापट्टी, गोड़ियर पट्टी श्रीमाता आदि पंचायत बाढ़ विभिषिका से त्राहिमाम हो जिंदगी जीने को मजबूर हो गए थे। वहीं सिंहपुर दियारा, भिखना, रूपौली धोबगिद्धा, रामपुर परिहट, बसन्तपुर, गोड़ियर पूरब, गोड़ियर पश्चिम, मतैली खेमचंद आदि के अमूमन लगभग सभी किसानों की धान फसल बेमौसम बारिश के कारण बर्बाद होकर रह गया। बेमौसम बारिश ने यहाँ के किसानों को भीतर से हिलाकर बर्बादी के कगार पर ला खड़ा कर दिया है।