नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज (4 फरवरी) सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान देने वाले डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन को जबरदस्त फटकार लगाई है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ उदयनिधि स्टालिन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। तमिलनाडु मुख्यमंत्री स्टालिन के बेटे ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, बिहार, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ दिया जाए।
डीएमके नेता के बयान पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
न्यायमूर्ति दत्ता ने उदयनिधि स्टालिन के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा,”आप अपने अनुच्छेद 19(1)(ए) का दुरुपयोग कर रहे हैं। आप अपने अनुच्छेद 25 के अधिकार का दुरुपयोग कर रहे हैं। अब आप अपने अनुच्छेद 32 का अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं? क्या आप नहीं जानते कि आपने जो कहा उसका क्या परिणाम क्या हो सकता है?”
अभिषेक मनु सिंघवी ने सभी एफआईआर को एक साथ जोड़ने की अपील की
न्यायमूर्ति की इस पर बात पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वह उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणियों को बिल्कुल भी सही नहीं ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि डीएमके नेता छह राज्यों में एफआईआर का सामने कर रहे हैं। इसका मतलब यह है मुझे छह हाई कोर्ट में जाना होगा। मैं लगातार इसमें बंधा रहूंगा।
न्यायमूर्ति दत्ता ने फिर याचिकाकर्ता की टिप्पणियों पर कहा, “आप आम आदमी नहीं हैं। आप एक मंत्री हैं। आपको ऐसे बयानों का परिणाम पता होना चाहिए।”
क्या है मामला?
पिछले साल सितंबर महीने में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन पिछले साल सितंबर में ‘सनातन धर्म’ की तुलना ‘मलेरिया’ और ‘डेंगू’ जैसी बीमारियों से की थी। डीएमके नेता के इस बयान से न केवल एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया, बल्कि उदयनिधि के खिलाफ कई आपराधिक शिकायतें भी दर्ज की गईं और साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर की गईं।