सम्पादकीय

अतिवृष्टिका कहर


देशकी आर्थिक राजधानी मुम्बईमें आफतकी मूसलधार बारिशके कारण भूस्खलन और दीवार गिरनेकी घटनाओंमें ३० लोगोंकी मौत और करीब १८ लोगोंका घायल होना अत्यन्त दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। शहरके चेंबूर इलाकेमें भूस्खलनके बाद एक दीवार ढहनेसे कई झुग्गियां जमींदोज हो गयीं। इस हादसेमें ११ महिलाओं समेत १९ लोगोंकी मौत हो गयी। वहीं बिखरोली उपनगरमें छह कच्चे मकान धराशायी हो गये, जिसमें दबकर दस लोग कालकवलित हो गये, जबकि भांडुप वन विभागकी दीवार गिरनेसे एक किशोरकी जान चली गयी। अतिवृष्टिïसे निचले इलाके जलमग्न हो गये हैं। कई स्टेशनोंके रेल ट्रैकपर पानी भर जानेसे लोकल ट्रेन सेवाएं ठप हो गयी हैं। जलवायु परिवर्तनसे खतरनाक होते मौसमसे देशके कई राज्य इस समय बारिश और बाढ़से बेहाल हैं। मैदानसे लेकर पहाड़तक सैलाबका कहर विचलित करनेवाला है। बिहारमें पिछले २४ घण्टेमें हुई बारिशके बाद आठ नदियां एक बार फिर खतरेके लाल निशानके पार पहुंच गयी जिससे कटानका खतरा बढ़ गया है। मौसमके तीखे तेवरकी आशंकाको देखते हुए तटवर्ती क्षेत्रके लोगोंको सुरक्षित स्थानोंपर पहुंचाया जा रहा है। उत्तराखण्डमें भी दो दिनमें भारी बारिशसे प्रमुख नदियां उफानपर हैं, वहीं सौसे अधिक सड़कोंपर गमनागमन बंद होनेसे लोगोंकी दिक्कतें बढ़ी हैं। मौसम विभागने उत्तर भारत और पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्रोंमें २१ से २३ जुलाईतक भारी बारिशका अनुमान जताया है। इससे निबटनेके लिए युद्ध स्तरपर बचाव और सुरक्षाकी व्यवस्था करनेकी जरूरत है जिससे जन-धनकी क्षतिको रोका जा सके। जलवायु परिवर्तनका भयावह असर सिर्फ भारतपर ही नहीं पूरी दुनियापर दिख रहा है। ग्लोबल वार्मिंगके चलते दुनिया अलग-अलग आपदाओंसे जूझ रही है। कहीं एक माहकी बारिश एक दिनमें हो जा रही है तो कहीं सूखा पड़ रहा है। इसके चलते कई जगहोंपर जंगलोंमें भीषण आगका प्रकोप भी देखनेको मिल रहा है। पश्चिमी यूरोप एक हजार सालमें पहली बार ऐसी बाढ़का सामना कर रहा है। यहां हालके दिनोंमें बाढ़से १८० लोगोंकी मौत हो गयी। जर्मनीमें बाढ़से मरनेवालोंकी संख्या १५६ हो गयी है, जो मौसमकी क्रूरताको बयां करती है। वहीं अमेरिकाके जंगलोंमें लगी आग विकराल होती जा रही है। इन सभी दैवी आपदाओंके केन्द्रमें जलवायु परिवर्तन है। इससे निबटनेके लिए पूरी दुनियाको एकजुट सार्थक कदम उठानेकी जरूरत है।

साहसिक काररवाई

असममें हिमन्त विश्व सरमाकी सरकारने अपराधियोंके खिलाफ कड़ा कदम उठानेके बाद अब राज्यमें महामारीकी तरह फैले मादक पदार्थोंके कारोबारको समाप्त करनेकी दिशामें अत्यन्त ही साहसिक और प्रशंसनीय काररवाई शुरू की है, जो देशके अन्य राज्योंके लिए प्रेरक और अनुकरणीय है। हिमन्त विश्व सरमाने दो माह पूर्व ही राज्यके मुख्य मंत्री पदका दायित्व सम्भाला है लेकिन इसी दौरान अपनी कार्यशैलीको लेकर वे काफी चर्चित भी हुए हैं। उन्होंने पूरे असममें मादक पदार्थोंके कारोबारके खिलाफ अभियान चलाया है। दस मईसे १५ जुलाईके बीच राज्यमें १६३ करोड़ रुपये मूल्यके मादक पदार्थ जब्त किये गये। असम सरकार ड्रग्स कारोबारके खिलाफ ‘जीरो टालरेंसÓ की नीतिपर चल रही है, क्योंकि ऐसे मादक पदार्थोंकी युवाओंमें सेवनकी प्रवृत्ति तेजीसे बढ़ी है और उनके परिवार बर्बाद हो रहे हैं। इससे अनेक सामाजिक बुराइयां भी जन्म लेती हैं। मुख्य मंत्रीने कहा कि अभियानके दौरान ८७५ मामले दर्ज किये गये और १४९३ ड्रग्स डीलरोंकी गिरफ्तारी भी हुई, जिनके पाससे १६३ करोड़ मूल्यके ड्रग्स बरामद किये गये, जिन्हें चार स्थानोंपर आयोजित कार्यक्रमोंके दौरान आगके हवाले कर दिया गया। असममें अवैध मादक पदार्थोंका वार्षिक कारोबार पांच हजार करोड़ रुपयेसे ऊपर है। मुख्य मंत्रीने असमको ड्रग्स मुक्त राज्य बनानेका संकल्प किया है, जिसे राज्यकी जनताका भी पूरा सहयोग और समर्थन मिल रहा है। मादक पदार्थोंके कारण असममें परिवारोंके बर्बाद होनेके साथ ही अपराध भी बढ़े हैं। निश्चित रूपसे हिमन्त विश्व सरमा सरकारने मादक पदार्थोंके कारोबारको समाप्त करनेका जो संकल्प लिया है, वह पूरी तरहसे उचित है, इसे समाप्त करनेके लिए राज्य सरकारोंको इसी प्रकार साहसिक काररवाई करनेकी जरूरत है। ड्रग्स कारोबारके खिलाफ राष्टï्रीय स्तरपर अभियान चलानेकी आवश्यकता है क्योंकि ड्रग्स कारोबारियोंका नेटवर्क देशके साथ विदेशोंतक काम कर रहा है। ऐसे कारोबारियोंको पुलिसके अतिरिक्त राजनेताओंका भी संरक्षण प्राप्त है।