सम्पादकीय

अनन्तसे जुडऩा


श्रीश्री रविशंकर

अनन्तके लिए तुम क्या कर सकते हो। अवश्य ही ऐसा कुछ नहीं जो बहुत बड़ा या श्रेष्ठ हो। क्योंकि इसके लिए तुम्हें प्रयास करना पड़ता है और प्रयास करनेपर तुम थक जाते हो। इसलिए कोई बड़ा कार्य करना एक अस्थायी अवस्था है। यदि तुम ऐसा कोई काम अनन्त कालके लिए करना स्वीकार करते हो, जो तुम्हारी क्षमतासे बहुत कम हो, वही पूजा है। छोटी-छोटी चीजें सजगतापूर्वक अनन्त कालतक करनेकी तत्परता तुम्हें अनन्तसे जोड़ देती हैं। यह अहंकारका तोड़ है। अहंकार हमेशा महत्वाकांक्षी होता है और कठिनतम कार्य करना चाहता है। जैसे कि माउंट एवरेस्टपर चढऩा। परन्तु एक साधारण-सा कार्य जैसे एक तितलीको देखना, बागीचेमें पानी देना, पक्षियों या आकाशको देखनेसे तुम्हें गहन विश्रांति प्राप्त होती है और विश्रांतिसे तुम अपने स्रोतसे जुड़ जाते हो। इसका अर्थ यह नहीं है कि तुम्हें जीवनभर तुच्छ कार्य करनेकी आवश्यकता है, परन्तु सजगतापूर्वक अनन्तके लिए तुच्छ कार्य करनेकी स्वीकृति हमारे जीवनमें एक नया आयाम देती है और इससे असीम शांति और विश्राम प्राप्त होता है। कर्मोंमें विश्राम पानेके लिए ऐसा कार्य चुनो, जो तुम्हारी क्षमतासे बहुत कम हो और उसे अनन्तके लिए करनेमें तत्पर रहो। अपनी क्षमतासे कम कार्य करनेसे संतुष्ट रहनेपर तुम क्षमतासे अधिक कार्य करनेमें समर्थ हो जाओगे। यह जान लो कि सभी कार्योंकी उत्पत्ति अनन्तसे होती है और जो कार्य अनन्तसे उत्पन्न होते हैं, वह तुम्हें अनन्ततक ले जा सकते हैं। मजाकपर प्रश्न करनेपर वह मजाक नहीं होता। बोझपर भी प्रश्न मत करो। जीवन और उसकी घटनाओंपर प्रश्न करना समय नष्ट करना है। बोझ तुम्हें गहराईमें ले जाता है। यह तुम्हें अपने अंत:करणकी ओर ले जाता है। एक स्वप्न तुम्हें सजगताकी ओर ले जाता है और जीवनको एक मजाक समझनेपर तुम हल्के हो जाते हो। सत्य केवल यह है कि जीवन सपना है, बोझ या मजाक है। जब तुम यह महसूस करते हो, तब तुम केंद्रित हो सकते हो। जब तुम जीवनकी सही दिशाको जान लेते हो, तब तुम्हारी सारी महत्वाकांक्षा समाप्त हो जाती है। यह अहसास कि जीवन अत्यंत छोटा है, तुम्हारे जीवनमें गतिशीलता लाता है। जीवनमें जब भी आप कोई भी कार्य करें, उसे पूरी सजगताके साथ करें, क्योंकि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता। यह छोटे-छोटे कार्य ही आपको बड़े मुकामतक पहुंचाते हैं। अपने जीवनको अनन्तसे जोडऩेके लिए सतत प्रयास करें।