सम्पादकीय

भारत विरोधी बयानबाजी


राजेश माहेश्वरी      

मध्य प्रदेशके पूर्व मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह अधिकतर समय अपने विवादित बयानोंके लिए ही चर्चामें रहते हैं। ताजा मामलेमें दिग्गी राजाने एक पकिस्तानी पत्रकारसे कहा कि कांग्रेस सत्तामें आयी तो आर्टिकल ३७० पर पुनर्विचार करेंगे। दिग्विजय सिंहके इस बयानको पहले तो भाजपा आईटी सेलकी शरारत माना गया लेकिन बादमें इस बातकी पुष्टिï हो गयी कि उन्होंने उक्त बातें की थीं। चौतरफा निन्दा होनेपर बजाय खेद व्यक्त करनेके दिग्विजयने ट्विट कर करीब आरएसएससे जुड़ी छह साल पुरानीकी एक खबरका हवाला दिया। इसमें आरएसएसकी तरफ कहा गया था कि पाकिस्तान तो हमारे भाई जैसा है। सरकारको उसके साथ रिश्ते मजबूत करना चाहिए। दिग्विजयने कहा कि क्या मोहन भागवतजीको भी पाकिस्तान भेजोगे और उनकी भी एनआईए जांच कराओगे? दिग्विजयने डा. मोहन भागवतके किसी पुराने बयानका उल्लेख करते हुए अपना बचाव किया किन्तु उन्हें अपनी पार्टीके भीतरसे भी समर्थन नहीं मिला।

जम्मू-कश्मीर हमेशासे ही भारतका अभिन्न अंग रहा है। अंतरराष्टï्रीय संस्थाएं और समितियां इस मामलेको भारतका आन्तरिक मामला बताती रही हैं। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस नेताओंकी ओरसे जम्मू-कश्मीरको लेकर विवादित बयान दिये जाते रहे हैं। भारतके सबसे पुराने राजनीतिक दलने जम्मू-कश्मीरके मुद्देको हमेशासे ही वोटबैंक पॉलिटिक्सके रूपमें इस्तेमाल करनेकी कोशिश करती रही है। इस प्रयासमें कांग्रेस यह भी नहीं सोचती है कि वह इस तरहकी बयानबाजीसे पाकिस्तानके करीब खड़ी हो जाती है। इस स्थितिमें सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कांग्रेसके भीतर जम्मू-कश्मीरमें धारा ३७० दोबारा लागू करानेवाले लोग मौजूद है? क्या अपने बयानोंसे कांग्रेसको पाकिस्तानके साथ खड़ा होनेमें कोई ऐतराज नही है? दिग्गी राजाके इस विवादित बयानके बाद भाजपाके प्रवक्ता अब एक बार फिरसे कांग्रेसी नेताओंपर हमलावर हो गये हैं। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्राने राहुल गांधी और कांग्रेससे इस संबंधमें स्पष्टïता मांगी है और कहा है कि पार्टीका इस मैटरपर क्या स्टंट है। पात्राने कहा कि दिग्विजयके इस बयानपर सोनिया गांधी और राहुल गांधी क्या सोचते हैं? क्या यह कांग्रेसकी राय है या नहीं है? हम चाहते हैं कि राहुल गांधी इसपर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सचाई बतायें। दिग्विजय कहते हैं कि यदि मोदी सत्तासे हटते हैं और कांग्रेस सरकार आती है तो वह जम्मू-कश्मीरमें अनुच्छेद ३७० को फिरसे लेकर आयंगे। उनका यह रवैया दर्शाता है कि कांग्रेस और पाकिस्तानके विचार एक जैसे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कश्मीरसे आर्टिकल ३७० हटानेका मुद्दा आज भी उतना ही संवेदनशील है जितना २०१९ में था। यही कारण है कि विपक्षी दलके नेता धारा ३७० पर कुछ भी बोलनेसे हमेशा बचते हैं।

दिग्विजय सिंह द्वारा दिये गये इस कथित बयानपर नेशनल कांफ्रेंसके प्रमुख फारूक अब्दुल्लाने कहा कि मैं दिग्विजय सिंहका बहुत-बहुत आभारी हूं। लोगोंकी भावनाओंको ध्यानमें रखते हुए उन्होंने इस बारेमें बात की, इससे मुझे खुशी है। अब्दुल्लाने कहा कि मैं कांग्रेसके इस बड़े दिलसे काफी प्रभावित हुआ हूं और यदि दिग्विजय सिंह द्वारा दिये गये इस बयानपर आगे काम होता है तो मैं दिलसे इसका स्वागत करूंगा। मैं उम्मीद करता हूं कि सत्तामें आनेके बाद कांग्रेसकी सरकार एक बार फिरसे धारा ३७० पर गौर फरमायगी।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीरके पूर्व मुख्य मंत्री फारुख अब्दुल्लाके अलावा किसी भी प्रमुख राजनीतिक और बौद्धिक क्षेत्रकी हस्तीने दिग्विजय सिंहकी बातका समर्थन नहीं किया। यहांतक भी ठीक था किन्तु गत दिवस पहले उनके छोटे भाई विधायक लक्ष्मण सिंहने साफ कहा कि धारा ३७० की वापसी असम्भव है। लेकिन दिग्विजयके लिए सबसे ज्यादा शर्मनाक स्थिति पैदा कर दी लक्ष्मण सिंहकी पत्नी रुबीना सिंहने जिन्होंने अपने आदरणीय जेठके संदर्भित बयानको गैर-जरूरी बताते हुए कश्मीरी पंडितोंकी बदहालीका मामला उठाकर कांग्रेसपर भी अनेक सवाल दागे। गौरतलब है कि दिग्विजय सिंहके छोटे भाई लक्ष्मण सिंहकी धर्मपत्नी रुबीना कश्मीरी ब्राह्मïण है। कश्मीर घाटीसे उनके पलायनका जिक्र करते हुए उन्होंने ३७० हटाये जानेको कश्मीरके हितमें बताया। हालांकि लक्ष्मण पहले भी दिग्विजय और कांग्रेससे अपनी असहमति अनेक मुद्दोंपर व्यक्त कर चुके हैं, लेकिन उनकी पत्नीने जिस तरह मुखर होकर अपने जेठके खिलाफ मोर्चा खोला उससे दिग्गी राजाकी जमकर भद्द पिटी और तो और कांग्रेसने अभीतक उनके बयानपर अधिकृत तौरपर चुप्पी साध रखी है। हालांकि कुछ नेताओंने उसे निजी राय बताकर पार्टीको बचानेका प्रयास किया है, लेकिन ज्यादा होशियारी दिखानेके फेरमें दिग्विजय सिंहने एक बार फिर कांग्रेसका बड़ा नुकसान कर दिया। पता नहीं गांधी परिवारको वह कितना खुश कर पायंगे लेकिन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाबके आगामी विधानसभा चुनावमें इस बयानपर कांग्रेसको जवाब देना मुश्किल हो जायगा। सवाल यह है कि गांधी परिवार अपने इस प्रबल समर्थकको इस तरहके जहरीले बयान देनेसे रोकनेकी कोशिश क्यों नहीं करता।

जम्मू-कश्मीरसे आर्टिकल ३७० हटाये जानेके बाद पाकिस्तानने यूनाइटेड नेशंसको लिखे एक पत्रमें कांग्रेसके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधीके हवालेसे कश्मीरमें हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघनके आरोप लगाये थे। दरअसल राहुल गांधीने एक बयानमें कहा था कि कश्मीरको लेकर जो जानकारी मिल रही है, उसके हिसाबसे वहां गलत हो रहा है और लोग मारे जा रहे हैं। राहुल गांधी आम तौरपर अपने बयानोंकी वजहसे पाकिस्तानके पोस्टर ब्वॉय बनते रहे हैं। इस लिस्टमें कांग्रेसके वरिष्ठï नेता पी. चिदंबरम भी शामिल हैं। पी. चिदंबरमने जम्मू-कश्मीरके विशेष दर्जेकी बहालीके लिए राज्यके राजनीतिक दलोंके गठबंधन बनानेको स्वागतयोग्य कदम बताया था। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर तो मोदी सरकारको हटानेके लिए पाकिस्तानसे मदद करनेतककी मांग कर चुके हैं। शशि थरूर भी इसी तरहके बेतुके बयान दे चुके हैं। असलमें देखा जाय तो राहुल गांधी, चिदंबरम, शशि थरूर और मणिशंकर जैसे कांग्रेसके नेता ऊलजलूल बातोंके जरिये पार्टीके लिए मुसीबतें पैदा कर चुके हैं। ऐसेमें दिग्विजय सिंह द्वारा एक पाकिस्तानी पत्रकारसे कश्मीर घाटीमें लोकतंत्रके काल कोठरीमें बंद होने और धारा ३७० की वापसी जैसी बातें करना पाकिस्तानके भारत विरोधी दुष्प्रचारका समर्थन करने जैसा ही है। कांग्रेस यदि अपनी बुरी स्थितिसे उबरना चाहती है तो उसे न सिर्फ दिग्विजय अपितु उन जैसे बाकी नेताओंकी बद्जुबानी रोकनी चाहिए जो पहलेसे ही घुटनोंपर आ चुकी पार्टीको जमीनमें और गड्ढïेमें डालनेमें लगे हैं।