सम्पादकीय

अनलाककी राहपर


कोरोना महामारीकी दूसरी लहरमें तेज गिरावटका क्रम बने रहनेसे देश अब ‘अनलाक’ की राहपर चल पड़ा है। विभिन्न राज्योंमें पाबन्दियां हटा ली गयी हैं वहीं अन्य राज्योंमें रियायतें भी दी जा रही हैं। जूनमें कई राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशोंने लाकडाउनमें ढील देना शुरू कर दिया है। राहतकी बात यह है कि पिछले ६६ दिनोंके बाद मंगलवारको देशमें कोरोना संक्रमणके नये मामले एक लाखसे कम दर्ज किये गये। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंमें संक्रमणके ८६ हजार ४९८ मामले सामने आये, जो ६६ दिनोंमें सबसे कम है। देशमें कोरोनाके सक्रिय मरीजोंकी संख्या १३ लाखके स्तरपर आ गयी है। सक्रिय मरीजोंकी संख्यामें २४ घण्टोंके दौरान ९७,९०७ की गिरावट आयी। इस दौरान २१२३ मरीजोंकी मौत हुई। मृत्यु दर अब १.२१ प्रतिशतपर आ गयी है और रिकवरी रेट बढ़कर ९४.२९ प्रतिशतपर पहुंच गयी है। साप्ताहिक संक्रमण दर छह प्रतिशतसे नीचे आ गयी है। सुधार होनेवाले मरीजोंकी संख्या तेजीसे बढ़ रही है। अबतक २.७३ करोड़ लोग कोरोना वायरसको पराजित करनेमें सफल रहे हैं। जांच और टीकाकरणकी गति बढऩेसे दूसरी लहरको कमजोर करनेमें सफलता मिली है। कुल मिलाकर दूसरी लहरसे उत्पन्न हालात तेजीसे सुधर रहे हैं, इसीलिए पाबन्दियोंमें ढील दी जा रही है और देश धीरे-धीरे अनलाककी ओर बढ़ रहा है लेकिन इससे हमें कोरोना प्रोटोकालके प्रति कदापि लापरवाह नहीं होना चाहिए। इसका सख्तीसे अनुपालन आवश्यक है। कोरोना वायरस देशसे समाप्त नहीं हुआ है। लापरवाही बरतनेपर स्थितियां पुन: खराब हो सकती हैं। यह सही है कि दूसरी लहरके दौरान भयावह लहरका हम सामना कर चुके हैं लेकिन तीसरी लहरकी आशंका भी बनी हुई है। काला और सफेद फंगसका खतरा भी बना हुआ है। ऐसी स्थितिमें हमें पूरी तरहसे सतर्क और सजग रहनेकी जरूरत है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने सोमवारको राष्ट्रको सम्बोधित करते हुए टीकाकरण अभियानको और तेजीसे चलानेकी आवश्यकतापर जोर दिया था। टीके सभीको नि:शुल्क उपलब्ध कराये जायंगे। इसके लिए टीकाकरण नीतिमें आवश्यक बदलाव किये गये हैं। देशके सभी नागरिकोंको टीके लगवानेके लिए तत्पर रहना होगा। आवश्यक दवाओं और टीकेकी उपलब्धता बढ़ायी जा रही है। इसलिए देशकी जनताका यह दायित्व है कि वह कोरोना प्रोटोकालका कड़ाईसे अनुपालन करते हुए टीका भी अवश्य लगवाये। साथ ही वह अन्य लोगोंको भी प्रेरित करे जिससे कि कोरोनाके खिलाफ जंगमें भारत और भारतवासियोंकी जीत सुनिश्चित हो सके।

ग्रामीणोंके हितमें

गांवोंकी समस्याओंका समाधान और ग्रामीणोंकी मुश्किलें कम करनेकी दिशामें केन्द्रका उठाया गया कदम सराहनीय है। इसके लिए केन्द्रीय पंचायती राज्य मंत्रालयने माडल नागरिक चार्टर तैयार किया है, जिसमें गांवोंकी ज्वलन्त समस्याओंका समयबद्ध तरीकेसे निबटारा किया जायगा। इसमें ग्राम पंचायतके नागरिकोंसे लेकर निर्वाचित ग्राम प्रधान, सरपंचके साथ ग्राम सचिवकी भूमिका अहम होगी। भारत गांवोंका देश है। यहां आबादीका बड़ा हिस्सा गांवोंमें बसता है जहां मूलभूत सुविधाओंके अभावमें ग्रामीणोंको भारी मुश्किलोंका सामना करना पड़ता है। नागरिक चार्टरमें गांवके लोगोंकी दिक्कतें कम करनेका स्वागतयोग्य सकारात्मक प्रयास किया गया है। इसमें हर तरहके लाइसेंस, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कराधान, स्ट्रीट लाइट, जलापूर्ति, सामुदायिक सम्पत्ति जैसी अन्य कल्याणकारी योजनाएं शामिल हैं। मनरेगाका जाब कार्ड बनवानेसे लेकर हैण्डपम्पोंकी मरम्मत और हर तरहकी पेंशनके लिए विधवा एवं दिव्यांग प्रमाण-पत्रके लिए पात्रोंको कहीं भटकना नहीं पड़ेगा। ये सभी सुविधाएं ग्राम पंचायतें उपलब्ध करायेंगी। इससे जरूरतमंदोंका कार्य शीघ्र होगा तथा समय और धनकी बचत भी होगी। नागरिक चार्टर लागू हो जानेके बाद गांवका कोई भी व्यक्ति अपने ग्राम सभासे जन्म-मृत्यु, विवाह और सम्पत्तिके स्वामित्वका प्रमाण-पत्र तीन दिनमें प्राप्त कर सकता है। घरोंमें जलापूर्तिके लिए सात दिनमें कनेक्शन मिलेगा। नये राशनकार्ड भी आवेदनके ३० दिनके अन्दर देनेका प्रावधान राहतकारी है। केन्द्रकी यह कल्याणकारी योजनाएं गांवोंकी दशा सुधारनेकी प्रतिबद्धताको दर्शाती हैं, लेकिन इसकी सार्थकता तभी है जब यह धरातलपर दिखे। इसे पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठïासे लागू करनेकी जरूरत है। इससे गांवोंमें आपसी रंजिशको लेकर होनेवाली हिंसक घटनाएं थमेंगी और अदालतोंपर मुकदमोंका बोझ भी कम होगा। नागरिक चार्टरके अनुरूप यदि बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हुईं तो निश्चित रूपसे गांवोंका माहौल बदलेगा और ग्रामीण खुशहाल होंगे।