सम्पादकीय

  सामाजिक दूरी ही सर्वोच्च प्राथमिकता


 राजेश माहेश्वरी    

चिकित्सक, वैज्ञानिक और शोधकर्ता कोरोनापर काबू पानेकी दिशामें दिन-रात प्रयासरत हैं, लेकिन अभीतक सफलता हाथ नहीं लग पायी है। इन सबके बीच यह समाचार भी सामने आया है कि कोरोनाकी तीसरी लहर आना भी तय है। कोरोनाकी तीसरी लहरके खबरसे पहलेसे ही चिंतामें डूबे देशवासियोंकी परेशानी और बढ़ गयी है। तीसरी लहरकी बात किसी औरने नहीं, बल्कि भारत सरकारके प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवनने इस बारेमें देशको आगाह किया है। उनके कथनानुसार कोरोनाकी तीसरी लहर आना तय है। राघवनने ‘आसारÓ या ‘संभावनाÓ शब्द प्रयोग नहीं किये, बल्कि यह भी चेतावनी दी कि तीसरी लहर बहुत तेजीसे आ सकती है और उसे टाला नहीं जा सकता। यह लहर कब आयगी, इसका निश्चित समय उन्होंने नहीं बताया। अलबत्ता विशेषज्ञ सितंबर-अक्तूबरका अनुमान लगा रहे हैं। समाचारका संचार होते ही देशमें कोरोनाकी तीसरी लहरको लेकर चर्चाओंका दौर गर्म हो गया। इस बीच प्रधान वैज्ञानिक सलाहकारने अपने ताजा बयानमें कहा कि सावधानी और सर्तकतासे तीसरी लहरको काबू किया जा सकता है।

ऐसा नहीं है कि कि केंद्र सरकारके वैज्ञानिक सलाहकारने ही ऐसी चेतावनी दी है या दावा किया है। राघवनके दावेसे पूर्व प्रसिद्ध डाक्टर भी तीसरी लहर ही नहीं, बल्कि चौथी लहरतकके आकलन दे चुके हैं। उनके शोधात्मक निष्कर्षोंपर सरकारके वैज्ञानिक विशेषज्ञने मुहर लगायी है तो अब महामारीके नये दौरकी अपरिहार्यता समझनी चाहिए। फिलहाल कोरोनाकी दूसरी लहरके घातक और जानलेवा थपेड़े हम झेल रहे हैं। देशमें कोरोना वायरससे मौतका सरकारी आंकड़ा २.५ लाख पार कर चुका है। देशमें कोरोनासे १२ मार्च २०२० को पहली मौत दर्ज हुई थी। उसके बाद ५० हजारका आंकड़ा पार करनेमें १५६ दिन लगे थे। लेकिन आखिरी ५० हजार लोगोंकी मौतमें महज १३ दिनमें हो गयी है। पिछले कई दिनोंसे संक्रमितोंका आंकड़ा चार लाखका पार कर रहा है। संक्रमणका आंकड़ा दुनियाके सभी देशोंसे ज्यादा है। इस वक्त देशमें कोरोनाका घातक अनुपात १.१ फीसदीसे ऊपर है। यानी भारतमें कोरोना पाजिटिव होनेवाले हर सौ लोगोंमेंसे एकसे ज्यादाकी मौत हो रही है। पंजाब, गुजरात, पश्चिम बंगालके कई प्रमुख शहरोंमें हर सौ कोरोना संक्रमितोंमेंसे दोकी मौत हो रही है। जबकि दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश प्रदेश जैसे बड़ी आबादी प्रदेशोंमें सीएफआर-१ फीसदी या इससे ज्यादा है। मेडिकल जर्नल लांसेटमें छपे संपादकीयमें १ अगस्ततक भारतमें कोरोनासे दस लाख मौतें होनेकी संभावना जतायी गयी है। ब्रिटेनसे निकलनेवाली इस प्रसिद्ध मेडिकल जर्नलमें ‘इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मीट्रिक्स एंड इवेल्यूएशनÓ के हवालेसे आंकड़े लिये गये हैं।

संकटके इस दौरके बीच ही बंगलुरूके इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसने गणितीय आधारपर आकलन किया है कि ११ जूनतक ४.४ लाखसे ज्यादा मौतें हो सकती हैं। अभीतक मौतोंका कुल आंकड़ा २.३० लाखसे अधिक है। यानी भारतमें कोरोनासे मौतें दुगुनी हो सकती हैं! फिलहाल अभी तो हम कोरोनाकी दूसरी लहरके ‘पीकÓ की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञोंका आकलन है कि मईके अंतमें ‘पीकÓ की स्थिति आ सकती है और उसके बाद संक्रमण कम होना शुरू हो सकता है, लेकिन अब विशेषज्ञ लगभग सर्वसम्मत हैं कि यह कोविडके सामुदायिक संक्रमणका ही दौर है। संक्रमण गांवोंतक फैल चुका है और अब तेजीसे फैलनेकी मुद्रामें है। इन परिस्थितियोंके बीच यह बात किसीसे छिपी नहीं है कि छोटे शहरों, कस्बों और गांवोंमें स्वास्थ्य सेवाओंके हालात किसीसे छिपे नहीं है। अभी जांच एवं इलाज शहरों और जिला मुख्यालयोंतक ही सीमित है। गांवोंमें कोरोनाकी टेस्टिंग भी नगण्य है। लोग अब भी जागरूक नहीं हैं। गुजरातके साणंदमें जिस तरह हजारों महिलाओंकी भीडऩे सिरपर पानीसे भरा घड़ा रखकर जुलूस निकाला और उस पानीको एक मंदिरपर चढ़ाया गया। कोरोना प्रोटोकॉलका जमकर उल्लंघन किया गया। वहीं उत्तर प्रदेशके बदायूं जिलेमें जिला काजी हजरत शेख अब्दुल हमीद मुहम्मद सालिमुल कादरीका इन्तकाल हो गया। इसके बाद उनके जनाजेमें १५-२० हजार लोग उमड़ पड़े। कोरोना प्रोटोकॉलकी जमकर धज्जियां उड़ायी गयी। क्या ऐसी भीड़के रहते हुए कोरोनाकी तीसरी लहरको थामा जा सकता है? पंजाबमें किसानोंने बिना मास्क और दो गजकी दूरी बनाये किसान कानूनोंपर विरोध-प्रदर्शन किया और कानूनोंको कोरोनासे भी ज्यादा खतरनाक करार दिया, क्या ऐसी भीड़ संक्रमणको रोक सकती है? इसमें कोई दो राय नहीं है कि देशकी आबादीका बड़ा हिस्सा अब भी कोरोनाको लेकर रत्तीभर भी सीरियस नहीं है। आज भी पुलिस और प्रशासनको लोगोंको बिना वजह घरसे न निकलनेकी सलाह दी जा रही है। मास्क न पहननेवालोंके चालान काटे जा रह हैं। ऐसी स्थितियोंमें कोरोनाकी तीसरी, चौथी या कितनी लहरें आयंगी कोई डाक्टर या वैज्ञानिक शायद ही कभी बता पाये।

देशमें कोरोना वायरसकी दूसरी लहर है। बड़ी संख्यामें लोग कोरोनासे संक्रमित हो रहे हैं। ऐसेमें कोरोनाके नये नये वेरिएंट्सने चिंता बढ़ा दी है। दरअसल एक रिपोर्टके मुताबिक भारतमें मिला कोरोना वेरिएंट काफी संक्रमण फैला रहा है। कोरोनाके इस वेरिएंटको लेकर विश्व स्वास्थ्य संघटन चिंतित है। इस मामलेमें कुछ वैज्ञानिकोंका कहना है यह वेरिएंट काफी खतरनाक और तेजीसे संक्रमण फैला सकता है। यह भी दावा है कि यह कोरोना वैक्सीनको भी बेअसर कर सकता है। जिस तरहसे दूसरी लहरने तांडव मचा रखा है, ऐसेमें तीसरी लहरके बारेमें सोचकर भी रूह कांप जाती है। ऐसेमें सवाल यह है कि क्या तीसरी लहर मौजूदा लहरसे ज्यादा प्रचंड और जानलेवा साबित होगी? एक विकल्प धुंधला-सा दिखाई देता है कि तीसरी लहर आनेसे पहले ही हम अधिकतम लोगोंमें टीकाकरण करें। लेकिन टीकोंकी भी भारी कमी है। वहीं इतनी बड़ी आबादीको टीका लगानेमें काफी समय लगेगा। ऐसेमें क्या विकल्प हमारे पास बचते हैं। देशके हर नागरिकको इस संकट कालमें सरकारके साथ कदमसे कदम मिलाकर चलना होगा। पुलिस और प्रशासनके निर्देशोंका गंभीरतासे पालन करना होगा। बिना जरूरी कामके घरसे बाहर नहीं निकलना। मास्क पहनना, सैनिटाइजरका प्रयोग करना और सामाजिक दूरीका पालन सख्तीसे करना होगा। वही केंद्र और राज्य सरकारोंकी जिम्मेदारी बनती है कि वह जरूरतमंदोंके भोजन, इलाज एवं आवासका प्रबंध सर्वोच्च प्राथमिकताके आधारपर करे। नागरिकोंकी जीवनरक्षा राज्यकी जिम्मेदारीमें शामिल है।