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अब नहीं होगी अंग्रेजी में परीक्षा देने की बाध्यता, UGC ने विश्वविद्यालयों को दिया निर्देश


जल्द ही अंग्रेजी भाषा में ही परीक्षा देने की बाध्यता समाप्त होने वाली है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश भर के तमाम विश्वविद्यालयों से कहा है कि वे परीक्षार्थियों को अपनी स्थानीय भाषा में प्रश्नों के उत्तर लिखने की अनुमति दें। साथ ही, यह बाध्यता उन स्नातक और पीजी कोर्सस के लिए भी समाप्त होगी, जिन्हें उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा अंग्रेजी माध्यमों में ही संचालित किया जाता है। यह जानकारी यूजीसी अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने, समाचार एजेंसी पीटीआइ के एक अपडेट के मुताबिक, आज यानी बुधवार, 19 अप्रैल को साझा की। बता दें कि यूजीसी के इस कदम से ऐसे सभी छात्र-छात्राओं को राहत मिलेगी जो कि अंग्रेजी भाषा में परीक्षा देने की मजबूरी के चलते बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।

साथ ही, यूजीसी चीफ ने बताया कि उच्च शिक्षा संस्थान पाठ्यपुस्तकें तैयार करने और मातृभाषा/स्थानीय भाषाओं में टीचिंग-लर्निग की प्रक्रिया को छात्रों हेतु सुलभ कराने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आयोग ने जोर देकर कहा कि इन प्रयासों को मजबूत करना आवश्यक है और “मातृभाषा/स्थानीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों को लिखने और अन्य भाषाओं से मानक पुस्तकों के अनुवाद सहित शिक्षण में उनके उपयोग को प्रोत्साहित करने जैसी पहल को बढ़ावा देना भी जरूरी है।

इसके साथ ही यूजीसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों से अनुरोध किया गया है कि विश्वविद्यालय अपने छात्रों को परीक्षाओं में स्थानीय भाषाओं में उत्तर लिखने की अनुमति दें, भले ही उस कोर्स को अंग्रेजी माध्यम में संचालित किया गया हो। साथ ही, स्थानीय भाषाओं में मूल लेखन के अनुवाद को भी बढ़ावा दें और टीचिंग-लर्निग में स्थानीय भाषा के उपयोग को विश्वविद्यालयों की प्रक्रियाओं में भी बढ़ावा दें।

SSC की परीक्षाएं अब क्षेत्रीय भाषाओं में भी

इसी प्रकार, एक अन्य घटनाक्रम में केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) द्वारा केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों में 10वीं और 12वीं पास योग्यता वाले हजारों पदों पर भर्ती के लिए हर वर्ष आयोजित की जाने वाली क्रमश: मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) परीक्षा और संयुक्त उच्चतर माध्यमिक (10+2) परीक्षाओं का आयोजन अब क्षेत्रीय भाषाओं में भी कराने का निर्णय लिया है। अभी इन परीक्षाओं का आयोजन हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में ही किया जाता है। दोनों परीक्षाओं को मिलाकर 70 लाख से अधिक उम्मीदवार हर साल इन परीक्षाओं के लिए अप्लाई करते हैं।