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अमेरिका 2611 हमले के आरोपी को प्रत्यर्पित करने पर हुआ सहमत विदेशों से अबतक 60 भगोड़ों हुए भारत निर्वासित


न्यूयॉर्क, । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा से एक महीने पहले एक संघीय अदालत ने वाशिंगटन के माध्यम से नयी दिल्ली के अनुरोध पर पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण के लिए सहमति जताई। भारत सरकार 2008 के मुंबई आतंकी हमले में शामिल होने के आरोपी राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रही थी।

इसके साथ ही, फरवरी 2002 से एक दशक से अधिक की अवधि में विदेशी सरकारों द्वारा भारत प्रत्यर्पित या निर्वासित किए गए भगोड़ों की संख्या बढ़कर 60 हो गई है।

26/11 के मुंबई हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में लाने की भारत की लड़ाई में एक बड़ी जीत के तहत कैलिफोर्निया की सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की अमेरिकी मजिस्ट्रेट न्यायाधीश जैकलीन चूलजियान ने बुधवार को 48 पन्नों का आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत प्रत्यर्पित करना चाहिए।

आदेश में कहा गया है, ‘‘अदालत ने इस अनुरोध के समर्थन और विरोध में प्रस्तुत सभी दस्तावेजों की समीक्षा की है और उन पर विचार किया है और सुनवाई में प्रस्तुत दलीलों पर विचार किया है। इस तरह की समीक्षा और विचार के आधार पर और यहां चर्चा किए गए कारणों के आधार पर, अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है और अमेरिका के विदेश मंत्री को प्रत्यर्पण की कार्रवाई के लिए अधिकृत करती है।’’

 

जून में पीएम मोदी जाएंगे अमेरिका

अदालत का यह आदेश मोदी की पहली राजकीय यात्रा के लिए अमेरिका आने से ठीक एक महीने पहले आया है। राष्ट्रपति जो बाइडन एवं प्रथम महिला जिल बाइडन मोदी के स्वागत में 22 जून को एक राजकीय रात्रिभोज की मेजबानी करेंगे।

आदेश में कहा गया है कि अदालत राणा के प्रत्यर्पण को तब तक प्रमाणित नहीं कर सकती थाी जब तक कि यह मानने का संभावित कारण न हो कि उसने उस अपराध को अंजाम दिया है जिसके लिए प्रत्यर्पण का अनुरोध किया जा रहा है।

प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को प्रत्यर्पित करने का किया था आग्रह

आदेश में कहा गया है, ‘‘इसलिए अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि राणा ने उन अपराधों को अंजाम दिया है जिनके लिए उसके प्रत्यर्पण की मांग की गई है तथा अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए।’’

दस जून, 2020 को, भारत ने प्रत्यर्पण की दृष्टि से 62 वर्षीय राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। बाइडन प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया था और उसे मंजूरी दी थी।

विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि इस मामले में विशेष जानकारी के लिए हम आपको न्याय विभाग के पास भेजते हैं। छब्बीस नवंबर 2008 को मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमलों में भूमिका को लेकर भारत द्वारा प्रत्यर्पण का अनुरोध किए जाने पर राणा को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था।

26/11 हमलों में थी राणा की भूमिका

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने कहा है कि वह राजनयिक माध्यमों से उसे भारत लाने की कार्यवाही शुरू करने को तैयार है। पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों द्वारा किए गए 26/11 हमलों में राणा की भूमिका की जांच एनआईए द्वारा की जा रही है।

अदालती सुनवाई के दौरान, अमेरिकी सरकार के वकीलों ने तर्क दिया कि राणा को पता था कि उसका बचपन का दोस्त पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली लश्कर-ए-तैयबा में शामिल है और इस तरह हेडली की सहायता करके एवं उसकी गतिविधियों के लिए उसे बचाव प्रदान कर उसने आतंकवादी संगठन और इसके सहयोगियों की मदद की।

दूसरी ओर, राणा के वकील ने प्रत्यर्पण का विरोध किया।

मुंबई आतंकी हमलों में कुल 166 लोग मारे गए

मुंबई आतंकी हमलों में छह अमेरिकियों सहित कुल 166 लोग मारे गए थे। इन हमलों को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। ये हमले मुंबई के प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण स्थानों पर 60 घंटे से अधिक समय तक जारी रहे थे।

इन हमलों में अजमल कसाब नाम का आतंकवादी जीवित पकड़ा गया था जिसे 21 नवंबर 2012 को भारत में फांसी की सजा दी गई थी। शेष आतंकवादियों को हमलों के दौरान भारतीय सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया था।

भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि है। न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि राणा का भारत प्रत्यर्पण पूरी तरह से संधि के अधिकार क्षेत्र में है।