अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिकी संसद में हिंसा, चार की मौत, 52 गिरफ्तार


बाइडेन की जीत पर कांग्रेस की मुहर, ट्रम्प ने मानी हार, 20 को सत्ता सौंप दूंगा

वॉशिंगटन (एजेंसी)। अमेरिका में हिंसा के बीच कांग्रेस ने प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन की जीत पर मुहर लगा दी है। यूएस कांग्रेस के जॉइंट सेशन में वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट कमला हैरिस की जीत को भी मंजूरी दी। कांग्रेस की मंजूरी के बाद बाइडेन आधिकारिक तौर पर अमेरिका के राष्ट्रपति होंगे, तो कमला हैरिस उपराष्ट्रपति। इस फैसले के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा- 20 जनवरी को कानून के मुताबिक जो बाइडेन को पॉवर ट्रांसफर कर दिया जायेगा।

इससे पहले, 3 नवंबर को आये नतीजों में डेमोक्रेट्स ने बढ़त हासिल की थी। वोटिंग के 64 दिन बाद जब अमेरिकी संसद बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने जुटी तो अमेरिकी लोकतंत्र शर्मसार हो गया। ट्रम्प के समर्थक दंगाइयों में तब्दील हो गये। संसद में घुसे। तोडफ़ोड़ और हिंसा की। सीएनएन के मुताबिक, संसद के बाहर और अंदर हिंसा में चार लोग मारे गये।पुलिस ने अब तक 52 लोगों को गिरफ्तार भी किया है।  मिलिट्री की स्पेशल यूनिट ने दंगाइयों को खदेड़ा। कई घंटे बाद संसद की कार्यवाही फिर शुरू हुई। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेट्व्सि (एचओआर) की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा- हम बिना डरे अपना काम जारी रखेंगे।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, जॉर्ज डब्ल्यू बुश समेत भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना की निंदा की है। पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा है कि वो अमेरिका में हुई हिंसक झड़प की खबर से काफी दुखी हैं। सत्ता का हस्तांतरण बेहद शांत और खुशनुमा माहौल में पूरा किया जाना चाहिए। लोकतंत्र में इस तरह की घटनाओं की कोई जगह नहीं है। ओबामा ने अपने बयान में कहा कि आने वाला समय इस दिन को हमेशा याद रखेगा कि कैसे मौजूदा राष्ट्रपति ने झूठ बोलकर चुनाव परिणामों को गलत साबित करने की कोशिश की और गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा दिया। उन्होंने अपने बयान में इस घटना को अमेरिका के लिए शर्मसार करने वाली बताया है।

दरअसल, अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव के बाद जिस बात का डर था, वही हुआ। हिंसा की आशंका थी और ये हुई भी। 3 नवंबर को ही यह तय हो गया था कि जो बाइडेन दुनिया के सबसे ताकतवर देश के अगले राष्ट्रपति होंगे। जिद्दी डोनाल्ड ट्रम्प फिर भी हार मानने को तैयार नहीं थे। चुनावी धांधली के आरोप लगाकर जनमत को नकारते रहे। हिंसा की धमकियां भी दीं।

उल्लेखनीय हो कि 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव हुआ। बाइडेन को 306 और ट्रम्प को 232 वोट मिले। सब साफ होने के बावजूद ट्रम्प ने हार नहीं कबूली। उनका आरोप है कि वोटिंग के दौरान और फिर काउंटिंग में बड़े पैमाने पर धांधली हुई। कई राज्यों में केस दर्ज कराए। ज्यादातर में ट्रम्प समर्थकों की अपील खारिज हो गयी। दो मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं। चुनाव प्रचार के दौरान और बाद में ट्रम्प इशारों में हिंसा की धमकी देते रहे हैं। बुधवार को हुई हिंसा ने साबित कर दिया कि सुरक्षा एजेंसियां ट्रम्प समर्थकों के प्लान को समझने में नाकाम रहीं।

अमेरिकी संसद के बाहर और अंदर हिंसा में चार लोगों के मारे जाने की खबर है। वॉशिंगटन डीसी के पुलिस चीफ रॉबर्ट कॉन्टे ने कहा- मेडिकल इमरजेंसी की वजह से तीन लोगों की मौत हुई है। इनमें एक महिला और दो पुरुष हैं। हम मामले की जांच कर रहे हैं। जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जायेगा। हालांकि, प्रशासनिक अधिकारियों ने किसी मौत की पुष्टि नहीं की। न्यूज एजेंसी ने मरने वालों की संख्या चार बतायी है।

ट्रम्प की पार्टी के एक सांसद ने  कहा कि  बुधवार की घटना के बाद ट्रम्प ने वाइस प्रेसिडेंट माइक पेंस की आलोचना की थी। इसके बाद से पेंस दुखी और नाराज हैं। उन्होंने ट्रम्प के रवैये को गलत बताया है।

एरिजोना और पेन्सिलवेनिया में बाइडेन की जीत के खिलाफ आपत्तियां दर्ज करायी गयीं। लेकिन, कांग्रेस ने इन्हें खारिज कर दिया है। एरिजोना को लेकर मामला ज्यादा फंसा। पहले सीनेट में यहां के नतीजों पर आपत्ति दर्ज कराई गई। जब यहां खारिज हो गयी तो मामला हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के पास पहुंचा। आखिरकार यहां भी ऑब्जेक्शन नकार दिया गया। सीनेट में तो ट्रम्प की पार्टी को मुंह की खानी पड़ी। प्रस्ताव के पक्ष में 6 और विरोध में 93 वोट पड़े। पेन्सिलवेनिया को लेकर रिपब्लिकन सांसद जो हैले ने पहले ही साफ कर दिया था कि वे आपत्ति दर्ज करायेंगे। उन्होंने ऐसा किया भी। लेकिन, उन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिला।

रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मिट रोमनी ने घटना के बाद कहा- मैं इस घटना की निंदा करता हूं। मैं शर्मिंदा हूं कि हमारे राष्ट्रपति ने दंगाइयों को संसद में घुसने के लिए भडक़ाया। लोकतंत्र में जीत और हार को स्वीकारने की हिम्मत होनी चाहिए। दंगाइयों को साफ मैसेज है कि वे सच को कबूल करें। मैं अपनी पार्टी के सहयोगियों से भी यही उम्मीद करता हूं कि वे लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे आयेंगे।

इस बीच,सीएनएन ने दावा किया है कि ट्रम्प कैबिनेट के कुछ मेंबर्स ने एक अर्जेंट मीटिंग की है। इसमें संविधान के अनुच्छेद 25 के जरिए ट्रम्प को हटाने पर विचार किया गया है। हालांकि, इस बारे में कोई बयान जारी नहीं किया गया। संसद भवन के एक ऑफिस में ट्रम्प का समर्थक रिपब्लिकन पार्टी का झंडा लेकर घुसा और इस तरह एक कुर्सी पर बैठ गया।

बुधवार को इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की गिनती और बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने के लिए अमेरिकी संसद के दोनों सदन यानी सीनेट और एचओआर  की बैठक शुरू हुई। इसी दौरान ट्रम्प और रिपब्लिकन पार्टी के सैकड़ों समर्थक संसद के बाहर जुट गए। नेशनल गार्ड्स और पुलिस इन्हें समझा पाती, इसके पहले ही कुछ लोग अंदर घुस गये। बड़े पैमाने पर तोडफ़ोड़ की। हिंसा हुई। इस दौरान गोली भी चली। किसने चलाई, क्यों चलाई? यह साफ नहीं है। लेकिन, एक महिला की मौत हो गयी।

अमेरिकी संसद में जब ट्रम्प समर्थकों ने हंगामा और तोडफ़ोड़ शुरू की तो पुलिस ने मोर्चा संभाला। हंगामा करने वालों को हटाने के लिए संसद में पुलिसकर्मी रिवॉल्वर ताने नजर आये। इस दौरान सांसद सहमे रहे। उन्हें गैलरी के जरिए सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।

प्रेसिडेंट इलेक्ट की जीत पर मुहर लगाने के लिए कांग्रेस यानी अमेरिकी संसद का संयुक्त सत्र बुलाया जाता है। इसकी अध्यक्षता उप राष्ट्रपति करते हैं। इस बार इस कुर्सी पर माइक पेंस थे। पेंस रिपब्लिकन पार्टी के हैं। ट्रम्प के बाद उनका ही नंबर आता है। वे ट्रम्प समर्थकों की हरकत से बेहद खफा दिखे। कहा- यह अमेरिकी इतिहास का सबसे काला दिन है। हिंसा से लोकतंत्र को दबाया या हराया नहीं जा सकता। यह अमेरिकी जनता के भरोसे का केंद्र था, है और हमेशा रहेगा।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक फोटो के जरिए बताया है कि जब ट्रम्प समर्थक संसद में हिंसा कर रहे थे, तभी कुछ पुलिस अफसरों ने दंगाइयों पर रिवॉल्वर तान दी। एक महिला की मौत हुई। हालांकि, यह बहुत साफ नहीं है कि महिला की मौत पुलिस की गोली से हुई या फायरिंग कहीं और से हुई।

अमेरिकी संसद की एक गैलरी में तैनात नेशनल गार्ड्स ने सांसदों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इसके कुछ घंटे बाद संसद की कार्यवाही फिर शुरू हुई। अमेरिकी संसद की एक गैलरी में तैनात नेशनल गार्ड्स ने सांसदों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इसके कुछ घंटे बाद संसद की कार्यवाही फिर शुरू हुई। घटना के बाद डीसी में मौजूद यूएस आर्मी की स्पेशल यूनिट को बुलाया गया। महज 20 मिनट में इसने मोर्चा संभाला। कुल मिलाकर 1100 स्पेशल गार्ड्स अब भी कैपिटल हिल के बाहर और अंदर तैनात हैं। राजधानी में कफ्र्यू है।

वॉशिंगटन में हिंसा के बीच फेसबुक ने डोनाल्ड ट्रंप का एक वीडियो साइट से हटा दिया है। इस वीडियो में ट्रंप अपने समर्थकों को संबोधित करते दिख रहे हैं। फेसबुक के वाइस प्रेसिडेंट ने कहा कि ऐसा करने से हिंसा में कमी लाने में मदद मिलेगी। वहीं, ट्विटर ने भी ट्रम्प का अकाउंट सस्पेंड कर दिया।