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असम NRC के दो साल, लाखों ने लिस्ट में बनाई जगह,


  • असम में एनआरसी (Assam NRC) की लिस्ट को प्रकाशित हुए दो साल हो चुके हैं, लेकिन इस लिस्ट में नाम आने के बावजूद राज्य में कई ऐसे लोग हैं जो अब आधार नंबर जारी न हो पाने की समस्या से जूझ रहे हैं. इन लोगों को राशन कार्ड से लेकर सरकारी कॉलेजों में दाखिलों, फ्लाइट बुकिंग से लेकर हर चीज में समस्या हो रही है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक IIT बॉम्बे में पोस्ट डॉक्टरल फेलो भानु उपाध्याय 18 महीने से आधार कार्ड के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं. टोल-फ्री नंबरों पर कई कॉल, ई-मेल और आवेदन केंद्रों पर जाने के बाद भी उनका आधार अब भी प्रोसेस में है. उपाध्याय का नाम सिर्फ अकेला नहीं है, जो इस तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं. 31 अगस्त 2019 को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) में इन लोगों का नाम शामिल होने के बाद भी इन्हें आधार नंबर हासिल करने में दिक्कत हो रही है.

करीब 27 लाख लोगों ने NRC के लिए बायोमेट्रिक्स रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें से 19 लाख लोगों का एनआरसी की लिस्ट में नाम नहीं है, जबकि आठ लाख लोगों का नाम एनआरी की लिस्ट में शामिल किया गया था. राज्य सरकार के अधिकारी इसे सरकारी लापरवाही और एनआरसी पर प्रक्रिया की स्पष्टता की कमी को दोष देते हैं. रिपोर्ट बताती है कि मुद्दे पर महापंजीयन को पत्र लिखकर जानकारी दी गई है, लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

कहीं ये तो नहीं समस्या की वजह

समस्या के केंद्र में नवंबर 2018 सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित मानक संचालन प्रक्रिया (SoP) है. एसओपी के तहत, 31 जुलाई, 2018 को प्रकाशित NRC लिस्ट के ड्राफ्ट से बाहर रहने वालों को ‘दावों’ (खुद को एनआरसी में शामिल करने के लिए) और ‘आपत्ति’ (किसी और की आपत्ति पर आपत्ति करने के लिए) की सुनवाई के दौरान अनिवार्य रूप से अपना बायोमेट्रिक्स जमा करना था. ये सुनवाई 31 अगस्त 2019 को पूरी सूची के प्रकाशन के क्रम में आयोजित की गई थी.