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आज से US रक्षा मंत्री का भारत दौरा, उठ सकता है रूस के साथ S-400 मिसाइल डील का मुद्दा


अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन आज से तीन दिन के दौरे पर भारत आ रहे हैं. ऑस्टिन राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार के पहले ऐसे मंत्री हैं, जो भारत दौरे पर आ रहे हैं. अमेरिकी रक्षा मंत्री आज दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात करेंगे. उनके भारत आने से पहले अमेरिकी सीनेटर ने उनसे अपील की है कि वो भारतीय रक्षा मंत्री के सामने भारत द्वारा रूस की एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने का मुद्दा उठाएं. साथ ही मानवाधिकार के मुद्दे पर भी बात करें.

सीनेट की विदेश संबंधी समिति के अध्यक्ष सीनेटर रॉबर्ट मेनेंडेज ने ऑस्टिन को एक लेटर लिखा है. इसमें उन्होंने लिखा है ’21वीं सदी में चुनौतियों से निपटने के लिए अमेरिका और भारत के बीच सही साझेदारी होना बहुत जरूरी है. और इसमें भारत सरकार से लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों को बरकरार रखने का अनुरोध करना भी शामिल है.’

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन 19 से 21 मार्च तक भारत दौरे पर रहेंगे. इस दौरान वे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोवाल से भी मुलाकात करेंगे.

एस-400 की खरीद प्रतिबंधों के दायरे में आती है

भारत रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीदी करने की तैयारी कर रहा है. इस पर भी अमेरिकी सीनेटर मेनेंडेज ने आपत्ति जताई है. मेनेंडेज ने ऑस्टिन को लिखे लेटर में कहा है ‘मैं मानता हूं कि भारत अमेरिका के साथ डिफेंस डील का हिस्सा नहीं है. उसके सोवियत और रूसी सेना से काफी पुराने संबंध रहे हैं. हालांकि, अगर भारत एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदता है, तो ये खरीद काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शन एक्ट यानी CAATSA के सेक्शन 231 के तहत प्रतिबंध के दायरे में आती है.’ उन्होंने ये भी कहा कि ये खरीद भारत और अमेरिका के बीच होने वाले मिलिट्री टेक्नोलॉजी पर काम को भी सीमित कर देगी. इसलिए एस-400 की खरीद का मुद्दा भारतीय रक्षा मंत्री के सामने उठाया जाए.

किसान आंदोलन, अनुच्छेद 370 पर भी चिंता जताई

सीनेटर मेनेंडेज यहीं नहीं रूके. उन्होंने भारत के आंतरिक मामलों पर भी कथित तौर पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि भले ही लोकतंत्र और मानवाधिकार के मुद्दे पेंटागन (अमेरिकी रक्षा मंत्रालय) के दायरे में नहीं आते, फिर भी इनका मुद्दा उठाया जाना चाहिए. उन्होंने लिखा कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन के प्रति सरकार का रवैया, पत्रकारों और सरकार की आलोचना करने वाले लोगों के खिलाफ जिस तरह की कार्रवाई हुई, उससे पता चलता है कि भारत में लोकतंत्र बिगड़ता जा रहा है.