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ईरान में नाबालिगों को भी मौत की सजा


ईरान में जारी प्रदर्शनों को रोकने के लिए वहां की सरकार अब नाबालिगों को भी मौत की सजा सुना सकती है। ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ के मुताबिक ईरान ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के लिए 3 नाबालिगों को आरोपी ठहराया है।

इन तीनों नाबालिगों को कई और लोगों के साथ मिलकर तेहरान में एक पुलिस ऑफिसर को मारने के जुर्म में ट्रायल पर रखा गया था। इन पर आरोप लगा था कि इन्होंने चाकू, पत्थरों और बॉक्सिंग गलव्ज से ईरान की बासिज पैरामिलिट्री फोर्स के सदस्य को मारा है। इसके बाद ईरान की रिवोल्यूशनरी कोर्ट ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, जिसमें मौत की सजा दी जाती है।

जिस कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है वो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों को देखती है। तीनों नाबालिगों की तेहरान के कराज में बुधवार और गुरुवार को सुनवाई हुई। जिसमें जज ने कहा कि तीनों नाबालिग लड़कों पर लगे आरोपों का ट्रायल दूसरे अडल्ट लोगों के साथ किया जा सकता है। ईरान के कानून के मुताबिक रिवोल्यूशनरी कोर्ट को नाबालिगों का ट्रायल करने की अनुमति नहीं है। न्यूज एजेंसी मिजाव के मुताबिक ऐसा लिए हुआ क्योंकि सुनावाई करने वाला जज क्रिमिनल और जुवेनाइल मामलों को हैंडल करने में सक्षम था।

तीनों नाबालिगों के ट्रायल को एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गलत बताया है। दरअसल ईरान की हुकूमत पर बार-बार प्रदर्शनों को दबाने के लिए गलत तरीके अपनाने के आरोप लग रहे हैं। द गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शन शुरू होने के बाद से 60 बच्चों की जान जा चुकी है। जिनकी उम्र 18 साल से कम थी। इनमें 12 लड़कियां और 46 लड़के शामिल हैं। ईरान में प्रदर्शनों का काफी ज्यादा प्रभाव कुर्दिस्तान वाले इलाके में है। एक मानवाधिकार ग्रुप के मुताबिक अभी तक 200 नाबालिगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं 300 नाबालिग सरकार की तरफ की गई फायरिंग में घायल हुए हैं।

नाबालिगों को मौत की सजा न देने के युनाईटेड नेशन कंवेंशन को साइन करने के बावजूद ईरान उन टॉप देशों में शामिल है जहां ऐसा होता है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक ईरान में 9 साल की उम्र पार करने के बाद लड़कियों को मौत की सजा दी सकती है। लड़कों के लिए ये उम्र 15 है। साल 2005 से 2015 के बीच लगभग 73 बच्चों को मौत की सजा दी जा चुकी है। फांसी के तख्त पर पहुंचने से पहले ईरान का हर युवा जिसे मौत की सजा सुनाई गई है वो औसतन सात साल जेल में गुजारता है। कई मामलों में तो यह 10 साल भी है। इंटरनेशल कानूनों के तहत 18 साल से कम उम्र के शख्स को फांसी की सजा देने पर रोक है।