Latest News नयी दिल्ली राष्ट्रीय

उच्च शिक्षण संस्थानों से खत्म होगा दाखिले का दबाव,


 नई दिल्ली। यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते आने वाले दिनों में वैश्विक परिदृश्य कैसा होगा यह तो अभी भविष्य के गर्त में छुपा हुआ है लेकिन इसने पाबंदियों में जकड़े देश के उच्च शिक्षा के ढांचे को जरूर झकझोरा है। साथ यह सोचने के लिए विवश किया कि जब यूक्रेन जैसा देश दुनिया के दूसरे देशों के बच्चों को उच्च शिक्षा देने का एक मजबूत ढांचा खड़ा कर सकता है, तो फिर हम क्यों नहीं। खुद प्रधानमंत्री ने भी यह चिंता जाहिर की। आखिरकार इसका असर होता दिख रहा है। शिक्षा मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों सहित दूसरे सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से दाखिले के दबाव को खत्म करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।

 

ज्यादा मांग वाले विषयों पर ज्यादा फोकस

आने वाले दिनों में सभी संस्थानों में छात्रों की मांग के मुताबिक पर्याप्त सीटें बढ़ाने की तैयारी है। शिक्षा मंत्रालय का इस दौरान फोकस इंजीनियरिंग, मेडिकल सहित ऐसे सभी कोर्सों को लेकर है, जिनकी देश व विदेश में भारी मांग है। साथ जिन कोर्सो में दाखिले को लेकर छात्रों का दबाव है। इनमें विश्वविद्यालयों व कालेजों में पढ़ाए जाने वाले वह सामान्य कोर्स भी शामिल है, जिसमें दाखिला न मिलने के चलते छात्र पढ़ाई छोड़ देता है। वैसे भी देश में इस समय उच्च शिक्षा का सकल नामांकन दर ( जीईआर) करीब 27 फीसद ही है। जिसे शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2022 तक 30 फीसद और 2035 तक 50 फीसद पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।