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ऑक्सीजन आपूर्ति में लापरवाही पर गाज गिरनी शुरू, सहारनपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल निलंबित


सहारननपुर. उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन सप्लाई (Oxygen Supply) लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है. ताज़ा मामला सहारनपुर (Saharanpur) जिले से है, जहां चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना (UP Minister Suresh Khanna) ने सहारनपुर मेडिकल कॉलेज (Saharanpur Medical College) के प्रिसिंपल डॉ दिनेश सिंह मर्तोलिया (Principal Dr Dinesh Singh Martolia) को कार्यों में लापरवाही एवं शिथिलता बरतने के कारण निलम्बित (Suspend) करने के दिये निर्देश दिए हैं. दरअसल सहारनपुर मेडिकल में ऑक्सीजन आपूर्ति में लापरवाही बरतने की शिकायत के बाद मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डाक्टर दिनेश सिंह मर्तोलिया सस्पेंड कर दिया गया. शेखुल हिंद मौलाना महमूद हसन राजकीय मेडिकल कॉलेज में 300 ऑक्सीजन सिलिंडर की उपलब्धता है, लेकिन उनमें से 40 सिलिंडरों के नोजल कई माह से खराब थे. इसी वजह से इन सिलिंडरों का उपयोग नहीं हो पा रहा था, जबकि कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने पर सिलिंडरों की आवश्यकता बढ़ती जा रही थी. बावजूद इसके प्राचार्य डॉ. दिनेश सिंह मार्तोलिया कई महीने से खराब ऑक्सीजन सिलिंडरों को ठीक नहीं करा रहे थे, जबकि ऑक्सीजन प्रभारी और गैस आपूर्ति करने वाली फर्म की तरफ से भी प्रार्चा को बताया गया था. जिलाधिकारी अखिलेश सिंह द्वारा की गई समीक्षा में यह सब बातें उजागर हुई हैं.

जिलाधिकारी की हिदायत के बावजूद नहीं की कार्रवाई

बता दें जिलाधिकारी ने पूर्व में भी समीक्षा कर व्यवस्था में सुधार की हिदायत दी थी, लेकिन प्राचार्य के स्तर पर उसमें लगातार लापरवाही बरती गयी. प्राचार्य को पिछले 10 दिनों से लगातार ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था का अनुश्रवण करने के लिए कहा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. समीक्षा में पता चला कि 300 में से 40 आक्सीजन सिलिंडरों के नोजल खराब थे. ऑक्सीजन प्रभारी डॉ. नवाब सिंह ने भी प्राचार्य को इस बारे में बताया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की.

लैब में 5000 टेस्ट रिपोर्ट प्रतीक्षितत

ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता फर्म मेसर्स अग्रवाल मेरठ ने भी कहा कि कई माह से 40 सिलिंडरों में मामूली खामी को दूर कराने के लिए प्राचार्य से अनुरोध किया मगर कोई कार्रवाई नहीं की. पता चला कि 5000 आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट मेडिकल कालेज की लैब में प्रतीक्षित हैं. समीक्षा में पता चला कि लैब द्वारा जिन कन्ज्यूमेबल्स का इनडेंट प्राचार्य को दिया जाता था, उन पर तेजी से कार्रवाई नहीं होती थी. इसके अलावा मेडिकल कालेज के विभिन्न विभागों एवं प्राचार्य के मध्य समन्वय की कमी रही. समीक्षा में बात सामने आई कि रात में इमरजेंसी की स्थिति में प्राचार्य को कॉल करने पर उनका फोन स्विच ऑफ रहता है. इस संबंध में कई बार प्राचार्य को कार्यप्रणाली सुधारने के लिए कहा गया, लेकिन गंभीरता नहीं बरती.