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कर्नल मनप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचा पैतृक गांव, बेटे ने सेना की वर्दी पहनकर दी पिता को अंतिम विदाई


चंडीगढ़। : जम्मू एवं कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ में बलिदान हुए कर्नल मनप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर 11.30 बजे उनके पैतृक गांव भड़ोंजिया पहुंचा दिया गया है। इसके बाद राजकीय सम्मान में अंतिम संस्कार दोपहर 2 से 2.30 बजे के बीच में होगा।

बेटे ने सेना की वर्दी पहनकर दी पिता को अंतिम विदाई

ग्रामवासी अपने अपने घर के बाहर तिरंगा लेकर खड़े है, सभी भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं। बलिदानी मनप्रीत सिंह के बेटे ने सेना की वर्दी पहनकर दी पिता को अंतिम विदाई दी है। उन्हें देखकर हर किसी की आंखे आज गमगीन है। बलिदानी मनप्रीत सिंह को श्रद्धांजलि देने के पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित और पंजाब की कैबिनेट मंत्री अनमोल गगन भी गांव में पहुंच रहे हैं। वहीं, उनकी बहनों ने उन्हें राखी भेंट कर अंतिम विदाई दी है।

पूरे गांव में शोक की लहर

बलिदानी मनप्रीत सिंह के जाने से आज हर किसी की आंखों में आंसू है।  उनके परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। पूरे गांव में शोक की लहर है, लेकिन उन्हें मनप्रीत सिंह पर बेहद फक्र भी है। इस दौरान आर्मी के सीनियर ऑफिसर, पैतृक गांववासी, मोहाली का प्रशासनिक अमला मौजूद हैं। इसमें पंजाब के कुछ मंत्री और विधायक के पहुंचे हैं। वहीं, देर रात पंचकूला के चंडी मंदिर आर्मी के कैंट एरिया में बलिदानी कर्नल मनप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर पहुंच गया था। इस दौरान परिवार के साथ ग्रामवासियों में भी दुखों का पहाड़ टूटा हुआ है।

मां की बार-बार बिगड़ रही तबीयत

मनप्रीत के चाचा हरमेल सिंह ने कहा की बलिदानी मनप्रीत सिंह की माता मंजीत कौर की तबीयत बार बार बिगड़ रही है, इसलिए डॉक्टर को घर में ही रखा गया है। उन्होंने कहा की हमने मनप्रीत को बचपन से इन्हीं गलियों में साइकल पर स्कूल कॉलेज आते देखा था।

मनप्रीत के नाम से एक आर्मी स्कूल खोलने की मांग की

उसका इतना इंतजार कभी भी किसी को नहीं था। हमने कभी नहीं सोचा था कि परिवार को यह दिन देखना पड़ेगा। रोते हुए उन्होंने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि कर्नल मनप्रीत के नाम से एक आर्मी स्कूल गांव में खुलना चाहिए, ताकि गांव के और युवा देश के काम आ सकें।

जहां बचपन गुजरा वह ठिकाना नहीं बदला, तस्वीर बदलना चाहते थे

बलिदानी कर्नल मनप्रीत सिंह के बचपन के दोस्त पवनदीप सिंह स्कूल में जूनियर थे। वह पंजाब में जूनियर इंजीनियर पद पर तैनात है। पवनदीप ने बताया कि जिस गांव भरोंजियां में उनका बचपन गुजरा, उसे कभी नहीं छोड़ने की बात करते थे।

कर्नल मनप्रीत सिंह का कहना था कि यहां से हमारी जड़े मजबूत हुई है, आगे की पीढ़ियां भी यहीं से मजबूत होगी। गांव के सभी गुरुद्वारा और मंदिर में बिजली-पानी के अलावा अन्य व्यवस्था की जिम्मेदारी बलिदानी कर्नल मनप्रीत सिंह बखूबी निभाते थे। गांव का हर वासी मायूस है और मनप्रीत सिंह को याद करते हुए उनकी बातें कर रहे हैं। कर्नल मनप्रीत सिंह गांव की तस्वीर बदलना चाहते थे।

वहां से बुजुर्ग और युवा बताते है कि उनके गांव के युवाओं की संख्या सेना में बहुत हैं। इसके अलावा पंजाब सरकार के अन्य सरकारी पदों पर भी कर्नल मनप्रीत सिंह के स्कूल-कालेज समय के सीनिय और जूनियर तैनात हैं।

 

केवी में प्राइमरी पढ़ाई, एसडी कालेज में टापर, सीए भी किया

बलिदानी मनप्रीत सिंह के छोटे भाई संदीप सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि मनप्रीत बचपन से पढ़ाई में अव्वल था। केंद्रीय विद्याालय, मुल्लांपुर से प्राइमरी की पढ़ाई करने के बाद सेक्टर-32 एसडी कॉलेज से बीकाम की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान चार्टेंट अकाउंटेंट की परीक्षा भी पास की। इस दौरान सीडीएस की परीक्षा पास कर सेना में उनका चयन हो गया। पहली कक्षा से लेकर बीकॉम तक की पढ़ाई तक मनप्रीत कभी सेकेंड नंबर पर नहीं आया था।

दादा और उनके दो भाई, पिता-चाचा सेना से रिटायर्ड

संदीप सिंह ने बताया कि तीन भाई-बहनों में मनप्रीत सबसे बड़े थे, दूसरे नंबर पर उनकी बहन संदीप कौर और तीसरे नंबर पर वह खुद हैं। उनके दादा स्वर्गीय शीतल सिंह, उनके भाई साधु सिंह और त्रिलोक सिंह तीनों सेना से रिटायर्ड थे।

वहीं उनके पिता लखमीर सिंह सेना में बतौर सिपाही भर्ती होकर हवलदार के पद पर रिटायर हुए थे। चाचा भी सेना में रहे हैं। इसके बाद पिता पंजाब यूनिवर्सिटी में सिक्योरिटी ब्रांच में तैनात थे। साल 2014 में पिता की ब्रेन हैम्रेज से मौत होने के बाद उनकी जगह अनुकंपा पर उन्हें असिस्टेंट क्लर्क की नौकरी मिली है। उनके पूरे परिवार ने सेना में रहकर देश की सेवा की है।