सम्पादकीय

कहीं भारी न पड़ जाये लापरवाही


रमेश सर्राफ धमोरा

विश्व स्वास्थ्य संघटन एवं दुनियाके बड़े वैज्ञानिक एवं चिकित्सा विशेषज्ञ सभी देशोंको लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि वह अपने यहां लगायी गयी पाबंदियोंमें ढील न दे। दुनियाभरमें जल्दी ही कोरोनाकी तीसरी लहर आनेवाली है। कई देशोंमें तो कोरोनाकी तीसरी लहर प्रारंभ भी हो चुकी है। विशेषज्ञोंका कहना है कि तीसरी लहरमें कोरोनाका वायरस पहलेसे ज्यादा प्रभावी होगा। जिसके बड़े दुष्परिणाम देखनेको मिल सकते हैं। ब्रिटेन, अमेरिका, रूस समेत कई बड़े देशोंमें कोरोनाके बढ़ते आंकड़े भारतके लिए चिंता बढ़ानेवाले हैं। दुनियाभरमें कोरोना वैक्सीन लगाये जानेके बावजूद जिस तेजीसे कोरोना संक्रमणके मामले बढ़ रहे हैं। उससे इस बातके संकेत मिल रहे हैं कि कोरोनाकी तीसरी लहर शुरू हो चुकी है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार लोगोंको चेता रहे हैं कि बेवजह घरोंसे निकलकर अनावश्यक भीड़भाड़ इक्कठी न करें। प्रधान मंत्रीने पहाड़ी क्षेत्रोंके पर्यटन स्थलोंपर उमड़ रही पर्यटकोंकी भीड़पर भी नाराजगी जताते हुए उन राज्य सरकारोंको चेताया है कि बड़ी संख्यामें पर्यटक एकत्रित होकर कोरोना गाइडलाइनकी पालना भी नहीं कर रहे हैं। ऐसेमें वे स्वयं एवं घर आकर अपने परिवारके लोगोंको भी संक्रमित करेंगे। इससे बचनेका एकमात्र उपाय है अपने घरोंपर ही रहे। कोरोना वायरसकी दूसरी लहर अभी पूरी तरहसे खत्म नहीं हुई है। इसी बीच कई राज्योंसे नये मामले बढऩेकी खबरें सामने आने लगी है।

केरलमें कोरोना संक्रमणके मामले तेजीसे बढ़ रहे हैं। ऐसेमें केरल सरकारकी ओरसे बकरीदपर लाकडाउनमें ढील दिये जानेपर सुप्रीम कोर्टने नाराजगी जतायी एवं जमकर फटकार लगाते हुए कहा यह अफसोसकी बात है कि राज्य सरकार व्यापारी संघटनोंके दबावमें आ गयी। उन इलाकोंमें भी दुकान खोलनेकी अनुमति दी जहां कोरोना दर १५ फीसदीसे अधिक है और लोगोंकी जानको खतरेमें डाल दिया। सुप्रीम कोर्टने कहा कि केरल सरकारने बकरीदके अवसरपर इस तरहकी छूट देकर देशके नागरिकोंके लिए राष्ट्रव्यापी महामारीके जोखिमको बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्टने कहा कि यदि बकरीदके लिए राज्य द्वारा दी गयी ढीलसे कोविड-१९ का और प्रसार होता है तो वह काररवाई करेगा।

कोरोनाकी दूसरी लहरके बाद किये गये सीरो सर्वेमें देशके ६८ फीसदी लोगोंमें एंटीबॉडी पायी गयी है। इसमें वह लोग भी शामिल हैं जिन्हें टीका लगाया जा चुका है। इसके बावजूद प्रतिदिन नये कोरोना मरीजोंके आंकड़ोंका ४० हजारके आसपास रुक जाना किसी खतरेकी घंटीसे कम नहीं है। विशेषज्ञोंने चिंता जताते हुए कहा है कि कोरोनाके आंकड़े जिस तरहसे स्थिर हो गये हैं। उसे देखनेके बाद संभावना है कि आंकड़ोंमें बहुत जल्दी वृद्धि देखनेको मिले। देशके १३ राज्योंमें कोरोना संक्रमित मरीजोंकी संख्यामें वृद्धि दर्ज की जा रही है। केरल, आंध्र प्रदेश, ओडिशाके अलावा पूर्वोत्तरके कई राज्योंमें जिस तेजीसे कोरोनाके मामले बढ़ रहे हैं वह डरानेवाले हैं। देशमें अभी प्रतिदिन ४० हजार कोरोनाके नये केस मिल रहे हैं। जबकि देशमें पहली बार संपूर्ण लाकडाउन लगा था तब मात्र पचासी कोरोना पॉजिटिव केस मिले थे। उससे तुलना करें तो वर्तमान स्थिति बहुत चिंताजनक है। देशमें अभीतक तीन करोड़ नौ लाखके करीब कोरोना पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। जिनमेंसे तीन करोड़ पांच लाख यानी ९९ प्रतिशत कोरोना पॉजिटिव केस रिकवर हो चुके हैं। वही चार लाख २० हजार लोगोंकी कोरोनासे मौत हो चुकी है जो एक प्रतिशत है। देशमें अभीतक कोरोनाके ३५ करोड़ नमूने लेकर उनकी जांच की जा चुकी है। वर्तमानमें भी प्रतिदिन १७ से १८ लाख कोरोनाके नमूनोंकी देशमें जांच की जा रही है।

देशमें इस समय सबसे अधिक कोरोना पॉजिटिव केस केरलमें मिल रहे हैं। केरलमें एक दिनमें १७ हजार ४८१ पाजिटिव केस, महाराष्ट्रमें आठ हजार १५९ केस, आंध्र प्रदेशमें दो हजार ५२७, ओडिशामें एक हजार ९२७, तमिलनाडुमें एक हजार ८९१, कर्नाटकमें एक हजार ६३९, असममें एक हजार ५४७, मणिपुरमें एक हजार ३२७, पश्चिम बंगालमें ८६९, तेलंगानामें ६९१, मिजोरममें ६२५, मेघालयमें ५५८, अरुणाचल प्रदेशमें ४१८, त्रिपुरामें २५३, सिक्किममें २५१, नागालैंडमें १०८ पॉजिटिव केस एक दिनमें मिले हैं। देशमें मिले कुल पॉजिटिव केसोंमेंसे ९० प्रतिशत केस इन १६ प्रदेशोंमें मिल रहे हैं। पूर्वोत्तरके आठ प्रदेशोंमें कोरोना पॉजिटिव केसोंमें एकाएक वृद्धि होना बड़ी चिंताका विषय है। कोरोनाकी पहली लहरमें पूर्वोत्तरके आठ प्रदेश कोरोनासे ज्यादा प्रभावित नहीं हुए थे। परन्तु इस बार वहां कोरोनाका काफी प्रभाव देखनेको मिल रहा है। अभी देशमें कोरोनासे प्रतिदिन होनेवाली मौतका आंकड़ा ५०० से अधिक है। कोरोनाकी दूसरी लहर गुजर जानेके बाद भी लगातार ४० हजारसे अधिक पॉजिटिव केसोंका मिलना एवं ५०० लोगोंकी प्रतिदिन मौतपर काबू नहीं हो रहा है। ऐसेमें यदि कोरोनाकी तीसरी लहर आ जाती है तो स्थिति एक बार फिर बिगड़ सकती है।

कोरोना दूसरी लहरमें पूरे देशने देखा था कि स्वास्थ्यके क्षेत्रमें सरकार पूरी तरह फेल हो गयी थी। देशमें आक्सीजनको लेकर हाहाकार मचा था। यहांतक कि पानीके जहाजोंसे विदेशोंसे भी आक्सीजन मंगवानी पड़ी थी। दूसरी लहरके बाद देशके सरकारी एवं निजी अस्पतालोंमें तेजीसे आक्सीजन गैस प्लांट लगाये जा रहे हैं जो काफी नहीं है। आक्सीजनके मामलेमें महाराष्ट्र सबसे पहले आत्मनिर्भर होनेवाला राज्य बना है। देशके अन्य राज्योंको भी आक्सीजन उत्पादनके क्षेत्रमें महाराष्ट्र मॉडलका अनुसरण करना चाहिए।

देशमें अभी कोरोनाकी तीन वैक्सीन उपलब्ध है जो पर्याप्त नहीं है। सीरम इंस्टीट्यूटकी कोवोशिल्ड ही बड़ी मात्रामें उत्पादित हो रही है। भारत बायोटेककी कोवैक्सीनका उत्पादन अभी बहुत कम है। रूसकी स्पुतनिक-वी अभी कम संख्यामें ही आयात की जा रही है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वैक्सीन ही कोरोनाका सबसे बड़ा बचावका साधन है। परन्तु सरकार पर्याप्त मात्रामें वैक्सीन उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। देशमें मात्र ४२ करोड लोगोंको ही अभीतक वैक्सीनकी एक डोज लगायी गयी है। कोरोना नियंत्रणकी दिशामें महाराष्ट्र, राजस्थान, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडुने लॉकडाउनके दौरान की गयी पाबंदियोंको पूरी तरह नहीं हटाया है। इस कारण वहां कोरोना नियंत्रणमें बड़ी सफलता मिली है। देशके लोगोंको अभी भी कोरोना गाइडलाइनका पूरी तरह पालन करना चाहिए ताकि सभी देशवासियोंके सहयोगसे कोरोनाको मात दी जा सके।