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कांग्रेस की अंदरूनी सियासत के लिहाज से अहम होंगे पांच राज्यों के चुनाव नतीजे


नई दिल्ली। उत्तराखंड और गोवा के चुनाव में इस बार सियासी किस्मत पलटने की उम्मीद लगा रही कांग्रेस के शिखर नेतृत्व ने प्रचार के आखिरी दो दिनों में इन दोनों सूबों में पूरा जोर लगाया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को गोवा में तीन चुनावी रैलियों की तो प्रचार के आखिरी दिन उत्तरप्रदेश की प्रभारी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी उत्तराखंड में तीन अहम जगहों परप चुनावी रैली कर पार्टी के प्रचार अभियान में अंतिम जोर लगा दिया। पंजाब चुनाव में संगठन की अंदरूनी रस्साकशी के चलते पार्टी की बढ़ती चुनावी चुनौतियों के बीच कांग्रेस के लिए उत्तराखंड और गोवा के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन पार्टी की सियासत के लिए बेहद अहम हो गया है।

उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा और समाजवादी के बीच मुख्य मुकाबले में कांग्रेस अपने लिए संतोषजनक चुनावी प्रदर्शन से अधिक की गुंजाइश नहीं देख रही है। मणिपुर में पार्टी अपने पुराने दिग्गज पूर्व सीएम इबोबी सिंह के करिश्मे पर ज्यादा निर्भर है मगर सूबे में कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान उसकी परेशानी में इजाफा कर रहे हैं। पंजाब में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के बाद कांग्रेस सत्ता बचाने की उम्मीद तो कर रही है लेकिन इसकी प्रतिक्रिया में नवजोत सिंह सिद्धू की खुलेआम दिखाई दे रही उदासीनता पार्टी की चिंता बढ़ा रही है।

चुनाव प्रचार में अब हफ्ते भर का ही समय रह गया है और सिद्धू फिलहाल अमृतसर की सीमा के सियासी कवच से बाहर आकर कांग्रेस के चुनाव अभियान को ऊर्जा देने के मूड में नहीं दिख रहे। कांग्रेस नेतृत्व के लिए इन हालातों में उत्तराखंड और गोवा के नतीजे बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि पार्टी का संगठनात्मक चुनाव मार्च महीने से शुरू होने वाला है। संगठन चुनाव की इस प्रक्रिया के तहत अगस्त-सितंबर महीने तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है और ऐसी संभावनाएं जताई जा रहीं कि राहुल गांधी इस चुनाव के जरिए पार्टी अध्यक्ष के तौर पर दुबारा वापसी करेंगे।

राहुल गांधी के लिए विशेष रूप से मायने रखते हैं पांच राज्यों के चुनाव नतीजे

पांच राज्यों का यह चुनाव इस लिहाज से कांग्रेस की अंदरूनी सियासत में चल रही उठापटक को देखते हुए राहुल के लिए विशेष रुप से मायने रखते हैं। पंजाब की सत्ता बचाते हुए कांग्रेस उत्तराखंड और गोवा में जीत हासिल करती है तो जाहिर तौर पर पार्टी में राहुल को लेकर परोक्ष सवाल उठाने वाले वरिष्ठ नेताओं के लिए विरोध के सुर को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा। साथ ही राहुल के दुबारा नेतृत्व की कमान संभालने को लेकर उठाए जाने वाले सारे किंतु परंतु के सवाल बंद हो जाएंगे। लेकिन पंजाब, उत्तराखंड और गोवा के चुनावी नतीजे पार्टी के मुफीद न रहे तो हालात इसके प्रतिकूल होंगे ओर तब कांग्रेस नेतृत्व के लिए भी चौतरफा चुनौतियों का समाधान आसान नहीं रहेगा।