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किसानों की सांसदों को चेतावनी- संसद में आवाज नहीं उठाई तो विरोध के लिए रहें तैयार


चंडीगढ़. मॉनसून सत्र (Monsoon session) से पहले किसानों ने सांसदों से कृषि कानूनों (Agricultural laws) को निरस्त करने की मांग को संसद (Parliament) में उठाने की मांग की है. किसान संगठनों ने चेतावनी देते हुए अपने चुने हुए सांसदों से कहा है कि यदि सांसद कृषि कानूनों का मुद्दा संसद में नहीं उठाते हैं तो किसान सांसदों और उनकी पार्टी का विरोध करेंगे. इसे ‘मतदाता सचेतक’ कहते हुए किसान संघ सांसदों से कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. किसान संगठनों ने यह संदेश सभी सांसदों को मानसून सत्र से पहले ईमेल के जरिए भेजने का फैसला लिया है.

बीते सात माह से दिल्ली की सरहदों पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने कहा है कि सत्र के सभी दिनों में संसद के बाहर 200 किसानों के ‘जत्थे’ भेजने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने तीन कानूनों के खिलाफ अपनी लड़ाई में सांसदों को शामिल करने का भी फैसला किया है. संयुक्त किसान मोर्चा के एक प्रमुख नेता और बीकेयू (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा है कि वे जानना चाहते हैं कि सांसद संसद में कृषि कानूनों का मुद्दा उठाने में विफल क्यों रहे, जबकि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा और यूके की संसद में इस पर बहस हुई थी.

क्रांतिकारी किसान यूनियन के डॉ दर्शन पाल ने कहा कि हर यूनियन से कहा गया है कि रोजाना पांच प्रतिनिधि संसद के लिए रवाना किए जाएं. अगर किसानों के एक जत्थे को रोका और गिरफ्तार किया गया, तो अगला जत्था अगले दिन मार्च करेगा. हम इसे सत्र के अंत तक जारी रखेंगे. 26 जनवरी की हिंसा को ध्यान में रखते हुए अब किसान दोबारा 22 जुलाई से 13 अगस्त के बीच संसद की ओर मार्च करेंगे. ​26 जुलाई और 9 अगस्त को जत्थों में सिर्फ महिलाएं होंगी.