Post Views: 658 ऋतुपर्ण दवे कोरोना घातक है। पता है, कहीं कोई मर गया तो उसकी लाश पॉलीथिनमें पैक होकर मिलती है और सीधे शमसान या कब्रिस्तान भिजवाई जाती है। यह भी पता है। जब सब पता है तो यह क्यों नहीं पता है कि मास्क लगाना ही सुरक्षा है। बस यही वह सवाल है […]
Post Views: 572 डा. गौरीशंकर राजहंस अमेरिका और रूस दोनों महाशक्तियां एक-दूसरेके मुकाबले काफी ताकतवर थीं और लगता भी नहीं था कि एक-दूूसरेकी ताकतमें कभी कोई कमी पड़ेगी। परन्तु ७० का दशक आते-आते रूस कमजोर पड़ता गया और पड़ोसके जिन देशोंपर उसने नियंत्रण कर रखा था वह देश धीरे-धीरे रूससे किनारा कर आजाद होते गये। […]
Post Views: 538 भारतरत्न बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर अपने अधिकांश समकालीन राजनीतिज्ञोंकी तुलनामें राजनीतिके खुरदुरे यथार्थकी ठोस एवं बेहतर समझ रखते थे। नारों एवं तकरीरोंकी हकीकत वह बखूबी समझते थे। जाति-भेद एवं छुआछूतके अपमानजनक दंशको उन्होंने केवल देखा-सुना-पढ़ा ही नहीं, अपितु भोगा भी था। तत्कालीन जटिल सामाजिक समस्याओंपर उनकी पैनी निगाह थी। उनके समाधान […]