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कुछ बैंकोंका ही होगा निजीकरण-सीतारमण


नयी दिल्ली  (आससे)। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि कुछ बैंकोंका ही निजीकरण होगा । साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निजीकरण के बावजूद बैंकों के कर्मचारियों के सभी हित सुरक्षित रहें, सरकार यह सुनिश्चित करेगी। इसबीच  बैंक संगठनों निजीकरण के विरोध में दो दिन की  आज हड़ताल का आखिरी दिन था। हड़ताल की वजह से राजधानी दिल्ली सहित देशभर के बैंकों में कामकाज बुरी तरह प्रभावित रहा।  उन्होंने राहुल गांधीके एक ट्वीट पर  जवाब देते हुए  सीतारमण ने आरोप लगाया है कि संप्रग सरकार के शासनकाल में जनता की कमाई का एक परिवार के लिये निजीकरण किया गया और भ्रष्टाचार का राष्ट्रीयकरण किया गया। आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में सवालों के जवाब में वित्तमंत्री ने कहा कि जब भी मन करता है राहुल गांधी किराये पर रखे हुये लोगों द्वारा अपने नाम से किसी कट्टर कम्युनिस्ट की तरह दो लाइन का ट्वीट कर देते हैं। राहुल गांधी द्वारा किये गये एक ट्वीट का उदाहरण देते हुये सीतामरण ने कहा कि राहुल के मुताबिक हमारी सरकार लाभ का निजीकरण और घाटे का राष्ट्रीयकरण कर रही है। लेकिन राहुल को पता होना चाहिये कि संप्रग सरकार के समय सिर्फ एक परिवार को फायदा पहुंचाने के लिये जनता की कमाई का निजीकरण किया गया और इस दौरान भ्रष्टाचार का राष्ट्रीयकरण हुआ। बैंकों के निजीकरण से जुड़े सवाल के जवाब में वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार जो भी कदम उठा रही है, वह देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिये उठाया जा रहा है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि कुछ बैंकों का ही निजीकरण होगा।

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राज्यसभा में गूंजा बैंक कर्मियों की हड़ताल का मुद्दा

नयी दिल्ली (हि.स.)। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मचारियों की हड़ताल का मुद्दा मंगलवार को राज्यसभा में भी गूंजा। विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस ने सदन में इस मसले पर समाधान की दिशा में आगे बढऩे के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से बयान जारी करने की मांग की। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से बैंकों का कामकाज ठप पड़ गया है। ऐसे में व्यापारियों और दुकानदारों को साथ आम जनता भी खासी परेशान है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वो हड़ताली कर्मचारियों से बात करें और दो दिनों से लोगों को हो रही दिक्कतों का हल खोजें। कांग्रेस नेता ने कहा कि देशभर में करीब 12 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं और इनकी एक लाख शाखाएं हैं। इनमें लगभग 13 लाख लोग काम करते हैं और 75 करोड़ से ज्यादा खाताधारक हैं। ये खाताधारक भी बैंक के हितधारक हैं और उनके पूछे बगैर सरकार ने निजीकरण का फैसला कर लिया। इन हड़ताली कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि सरकार की गलत नीतियों और अंधाधुंध निजीकरण के चलते लोगों के लिए रोजी-रोटी पर संकट उत्पन्न हो गया है। खडग़े ने कहा कि वर्ष 2008 में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर आए संकट के दौरान राष्ट्रीयकृत बैंकों ने ही देश की अर्थव्यवस्था संभाली थी। आज 13 लाख बैक कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ हड़ताल पर हैं। ऐसे में हमारी मांग है कि कर्मचारियों की समस्या को सुलझाने के लिए वित्त मंत्री को यहां बयान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े बैंक गरीबों और छोटे व्यापारियों की मदद करते हैं उन बैंकों को अमीरों के हाथ में देने की सरकार की मंशा ठीक नहीं है। उल्लेखनीय है कि नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने 15 और 16 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया है। नौ बैंक यूनियनें हैं-एआईबीईए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई,आईएनबीओसी,एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ।