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कृषि क्षेत्र में सरकार के पास सीमित विकल्प,


 नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र में सुधार का रास्ता फिलहाल बंद हो चुका है। निजी निवेश का रास्ता खोलने का प्रयास अवरुद्ध हो चुका है। यानी सरकारी खजाने पर निर्भरता और बढ़ेगी। दूसरी ओर कृषि, फर्टिलाइजर व खाद्य सब्सिडी का बढ़ता बोझ आम बजट की सेहत को बिगाड़ सकता है। हालांकि किसानों की दशा और दिशा पर इसका असर नहीं होने दिया जाएगा। यानी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण किसानों की हर राह आसान करने की दिशा में और कदम बढ़ाती दिख सकती हैं।

थोड़ा बदल सकता है राहतों का तरीका

तरीका थोड़ा बदल सकता है। सब्सिडी का रूप भी बदल सकता है और परंपरागत खेती की जगह मांग आधारित कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए विविधीकरण की नई स्कीम लाई जा सकती है। फसलों का उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने वाली राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के साथ दलहन व तिलहन की खेती के लिए चलाए जा रहे मिशन को आगे बढ़ाया जाएगा।

सब्सिडी को पूरी तरह खत्‍म करना आसान नहीं

कृषि और खाद्य क्षेत्र में दी जा रही सब्सिडी को खत्म करना सरकार के लिए बिल्कुल आसान नहीं है, लेकिन वर्ष 2023 में डब्लूटीओ के प्रविधानों के तहत सब्सिडी के तौर-तरीके बदलने होंगे। माना जा रहा है कि इससे कृषि मंत्रालय के अन्य प्रमुख मदों के बजट में कटौती हो सकती है। राजनीतिक वजह से पीएम-किसान निधि पर खर्च होने वाले 80 हजार करोड़ रुपये का प्रविधान आम बजट में करना ही होगा।

सरकारी खरीद पर भी देना होगा ध्‍यान

एमएसपी पर हो रही सरकारी खरीद के लिए करीब पौने दो लाख करोड़ रुपये का बजट प्रविधान भी करना होगा। इसी तरह कुल 6.2 करोड़ टन अनाज राशन प्रणाली के तहत अति रियायती दरों पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत ढाई लाख करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी का बंदोबस्त करना होगा।

आधुनिक तकनीक के भरोसे ही बढ़ाया जा सकता है उत्पादन

सीमित प्राकृतिक संसाधनों के बूते डेढ़ अरब की आबादी का पेट भरना आसान नहीं होगा। यह केवल तभी संभव है, जब घरेलू किसानों को आधुनिक तकनीक मुहैया कराई जाए। वैश्विक स्तर पर बायो टेक्नोलाजी के सहारे सीड टेक्नोलाजी अपने चरम पर है, जो बिना कीटनाशक और न्यूनतम फर्टिलाइजर से अधिकतम पैदावार दे रही है, तब भी भारत में इसकी अनुमति न जाने कहां अटकी हुई है।

कृषि सेक्टर की रफ्तार में इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों की महती भूमिका

कृषि सेक्टर में परंपरागत खेती की विकास दर किसी भी हाल में एक से डेढ़ प्रतिशत से आगे नहीं खिसक पा रही है। उसे रफ्तार पकड़ाने में खेती से संबद्ध अन्य क्षेत्रों की अहम भूमिका है। इसमें पशुधन विकास, डेयरी, पोल्ट्री, मस्त्य और बागवानी जैसे जैसे क्षेत्र ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। इससे जहां लोगों को रोजी रोजगार के साधन मुहैया हुए तो किसानों की आमदनी बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

फसलों के विविधीकरण को मिलेगा बल

परंपरागत खाद्यान्न वाली फसलों के 30 करोड़ टन के मुकाबले अकेले बागवानी फसलों की उपज 35 करोड़ टन पहुंच गई है। इस क्षेत्र को बढ़ावा देने से फसलों के विविधीकरण को बल मिलेगा। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में कुशल मानव संसाधनों की जरूरत के लिए शिक्षा व अनुसंधान विकास और प्रसार की सख्त जरूरत है।