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‘केरल के राज्यपाल दो साल तक बिल दबाकर क्या कर रहे थे?’ सुप्रीम कोर्ट ने विधेयक को लेकर जताई नाराजगी


नई दिल्ली। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नाराजगी जताई। शीर्ष कोर्ट ने राज्यपाल आरिफ द्वारा राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को दो साल तक दबाकर ‘बैठने’ को लेकर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि वह दिशानिर्देश तय करने पर विचार करेगा कि राज्यपाल राष्ट्रपति की सहमति के लिए विधेयकों को कब सदन के पास भेज सकते हैं।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, “राज्यपाल ने विधेयकों को लंबित रखने का कोई कारण नहीं बताया है।” सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल खान को कानूनों पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और संबंधित मंत्री से मिलने के लिए कहा है। साथ ही कहा कि हमें उम्मीद है कि कुछ ‘राजनीतिक दूरदर्शिता’ काम करेगी।

एक विधेयक पर राज्यपाल की सहमति

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यपाल की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की दलीलों पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया है कि राज्यपाल ने आठ विधेयकों में से सात को राष्ट्रपति द्वारा विचार के लिए “आरक्षित” किया है, जबकि एक विधेयक पर खान की सहमति है।

 

राज्यपाल दो साल तक बिल दबाकर क्या कर रहे थे- पीठ

पीठ ने शामिल जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने पूछा, “राज्यपाल दो साल तक बिल दबाकर क्या कर रहे थे?” इसपर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह विस्तार में नहीं जाना चाहते क्योंकि ऐसा करने से कई सवाल खुल जाएंगे। वहीं, पीठ ने कहा, “हम इस पर गहराई से विचार करेंगे।”

‘यह संविधान के प्रति हमारी जवाबदेही है’

पीठ ने कहा, “यह संविधान के प्रति हमारी जवाबदेही के बारे में है और लोग हमसे इसके बारे में पूछते हैं।” इसके अलावा शीर्ष कोर्ट ने केरल सरकार को विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को समय सीमा के अंदर मंजूरी देने या अस्वीकार करने के लिए राज्य के राज्यपालों के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग वाली अपनी याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी।

अपना कर्तव्य निभाने के लिए बैठे हैं- सीजेआई

पीठ ने कहा, “हम रिकॉर्ड करेंगे कि राज्यपाल मुख्यमंत्री और प्रभारी मंत्री दोनों के साथ विधेयक से संबंधित मामले पर चर्चा करेंगे।” सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “आइए हम उम्मीद करें कि कुछ राजनीतिक दूरदर्शिता राज्य पर हावी होगी और हमें उम्मीद है कि कुछ दूरदर्शिता काम करेगी। ऐसा नहीं होता है तो, हम यहां कानून बनाने और संविधान के तहत अपना कर्तव्य निभाने के लिए बैठे हैं।”