सम्पादकीय

कोरोनाका बड़ा हमला


कोरोना वायरससे एक दिनमें दो लाख से अधिक लोगोंका संक्रमित होना और एक हजारसे अधिक लोगोंकी मृत्यु अत्यन्त ही भयावह और गंभीर चिंताका विषय है। यह एक दिनके अन्दर अबतक का सर्वाधिक आंकड़ा है। कोरोनाका कहर प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयके आंकड़ोंके अनुसार गुरुवारको पिछले २४ घण्टोंमें दो लाख ७३९ नये मामले आये और १०३८ मरीजोंकी संक्रमणसे मृत्यु हो गयी। यह कोरोनाका बड़ा हमला है। ११ दिनोंके अन्दर एक लाखसे दो लाख आंकड़ा पहुंचना गंभीर चिंताकी बात है। नये मामलोंमें वृद्धिके साथ ही उपचाररत मरीजोंकी संख्या भी लगातार बढ़ रही है। अभी इन आंकड़ोंमें और वृद्धिकी आशंका है। दूसरी लहरमें कोरोनाके बढ़ते कहरमें सबसे बड़ी भूमिका कोरोनाके नये रूपकी है, जो अपेक्षाकृत अधिक घातक है। कोरोनाने जिस तरह अपना रूप बदला है उससे स्थिति और भयावह हो गयी है। डाक्टरोंका मानना है कि कोरोना वायरसका नया रूप कान और आंखपर भी हमला कर रहा है। नया स्ट्रेन वायरल ज्वर, पेट दर्द, डायरिया, अपच, गैस, उल्टी, भूख न लगना, बदन दर्द और एसिडिटी जैसे लक्षणोंके साथ आया है। इसके बावजूद राहत की बात यह है कि नया स्टे्रन अच्छी इम्युनिटी वाले मरीजोंको अधिक दिनोंतक परेशान नहीं कर सकता है। विशेषज्ञ डाक्टरोंका मानना है कि पांच-छह दिनोंमें मरीज ठीक होने लगता है लेकिन दूसरा स्टे्रन लोगोंको तेजीसे बीमार भी कर रहा है। ऐसी भयावह स्थितिमें लोगोंको पहलेकी अपेक्षा अधिक सावधानी और सतर्कता बरतनी होगी। केन्द्र और राज्य सरकारोंकी ओरसे सख्त पाबंदियां लगायी जा रही हैं लेकिन जनताको आत्म अनुशासनका परिचय देते हुए कोरोनाके प्रोटोकालका ईमानदारीसे अनुपालन करनेकी जरूरत है। कोरोना महामारीके दौरमें जीवन रक्षा सबसे बड़ी चुनौती है जिसका मजबूतीसे सामना हर देशवासीको करना है। इसमें किसी भी स्तरपर ढिलाई नहीं होनी चाहिए। जान है तो जहान है। इसलिए जान बचानेकी पहली चिन्तापर ध्यान देना होगा। केन्द्र और राज्य सरकारोंका दायित्व है कि वह स्वास्थ्य सेवाके ढांचेको और मजबूती प्रदान करनेकी दिशामें आवश्यक कदम उठाये। स्वास्थ्य सेवाओंकी सतत निगरानी भी जरूरी है जिससे कि व्यवस्थागत खामियोंका समयके अन्दर तत्काल निराकरण किया जा सके।

असमंजसमें शिक्षार्थी

वैश्विक महामारी कोरोनाका देशकी शिक्षापर व्यापक असर पड़ा है। देशमें करोड़ों छात्रोंकी शिक्षा जहां प्रभावित हुई है, वहीं नौनिहालोंके भविष्यपर गहरा संकट उत्पन्न हो गया है। कोरोनाने शिक्षाके स्वरूपको ही बदल दिया है। क्लास रूमकी जगह आनलाइन शिक्षा ने ले लिया है। देशमें इंटरनेट और सूचना तकनीककी पहुंच बेहद संकुचित है। आंकड़ोंके अनुसार ४२ प्रतिशत शहरी और १५ प्रतिशत ग्रामीण परिवारोंमें ही इंटरनेट सुविधा है। स्मार्ट फोनतक हर छात्रकी पहुंच नहीं है, ऐसेमें शिक्षण सत्रको नियमित और सुचारु करना सरकारके लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है जबकि कोरोना संक्रमणके बढ़ते प्रसारने एक बार फिर छात्रोंके समक्ष असमंजसकी स्थिति पैदा कर दी है। देशमें कोरोना महामारीके बढ़ते प्रसारको देखते हुए केन्द्र सरकारने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्डकी १०वीं परीक्षा जहां रद कर दी है, वहीं १२वीं की परीक्षा की तिथि टालकर जीवन बचानेकी दिशामें महत्वपूर्ण कदम उठाया है। १०वींके छात्रोंको बिना परीक्षा दिये अगली कक्षामें प्रमोट किया जायगा। आंतरिक मूल्यांकनके आधारपर अंकपत्र जारी किया जायेगा। जो छात्र अंकसे संतुष्टï नहीं होंगे, उन्हें परीक्षामें बैठनेका मौका दिया जायगा, लेकिन यह परीक्षा कब होगी, यह भविष्यके गर्तमें है। छात्रोंके स्वास्थ्यको प्राथमिकता दिया जाना उचित है, लेकिन सबसे ज्यादा मुसीबत १२वींके छात्रोंको हो रही है। परीक्षा टाले जानेसे अगली कक्षामें प्रवेश की तैयारियोंपर बड़ा झटका लगा है। इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई की इच्छा रखने वाले छात्रोंमें अनिश्चय की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। परीक्षा न होनेसे छात्रोंका समुचित मानसिक विकास नहीं होता और उसकी पवित्रता और महत्व पर आंच आती है, ऐसेमें परीक्षाएं तो होनी ही चाहिए। इसके लिए सरकारके साथ अभिभावकों की बड़ी जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चोंको कोरोनाके नियमोंका पालन सुनिश्चित करनेके लिए प्रेरित करें, क्योंकि कोरोना कब खत्म होगा, यह पूरी तरह स्पष्टï नहीं है। इसलिए सरकार और अभिभावकको अपनी महती जिम्मेदारीका निर्वहन करना होगा।