सम्पादकीय

कोरोनासे भी खतरनाक वायरस


योगेश कुमार सोनी

दुनियाको संकटमें डालनेवाले कोरोना वायरससे अभी निकले नहीं कि एक और नये वायरसने दस्तक दे दी। बीते शनिवार अफ्रीकाके कांगोमें एक महिलामें अजीबसे लक्षण दिखे जिसे डॉक्टरने साधारण बीमारी न मानते हुए किसी वायरसका शिकार समझा। लक्षण दिखनेके बाद मरीजको आइसोलेट किया और उसके बाद इबोला टेस्टके लिए सेंपल भेजे और रिपोर्ट नेगेटिव आयी। इसके बाद पूरे देशमें हलचल मच गयी एवं दुनियाके बड़े वैज्ञानिकोंके अनुसार यह वायरस दुनियामें बहुत तेजीसे फैल सकता है। अज्ञात बीमारी होनेके कारण इस वायरसको डिसीस-एक्सका नाम दिया है। इलाज कर रहे डाक्टरके अनुसार यह बीमारी कोई काल्पनिक नहीं है। जिस तरह कोरोना एवं इबोला जैसे घातक वायरसके बारे किसीको जानकारी एवं यकीन नहीं हुआ था उस ही तरह इसपर भी लोग जल्द भरोसा नहीं कर पा रहे हैं लेकिन यह भी बहुत खतरनात वायरसके रूपमें फैल सकता है। स्पष्ट शब्दोंमें कहा है कि हमें इस वायरससे भी डरने एवं बेहद सतर्क रहनेकी जरूरत है।
ज्ञात हो कि १९७६ में प्रोफेसर टैम्फमने इबोला वायरसकी पहचान करके पूरी दुनियाको इस घातक वायरससे अवगत कराया था और अब इस नये वायरसकी खोजपर भी काम कर रहे हैं। अस्सीके दशकमें कांगोके यम्बुकु मिशन अस्पतालमें पहली बार खतरनाक वायरसकी पुष्टि हुई थी जिसे इबोलाका नाम दिया था। उस समय अस्पतालमें काम कर रहे ९० प्रतिशत स्टॉफ एवं मरीजोंकी मौत हो गयी थी। इसके बाद स्थितिको नियंत्रित करना किसी चुनौतीसे कम नही था, हर रोज कई जानें जाती रही थी। लगभग एक वर्ष बाद स्थिति काबूमें आयी थी। इससे पहले एवं बादमें भी कई तरहके नये वायरस आये लेकिन जल्द ही उनको नियंत्रित कर लिया लेकिन २०२० में आये कोरोनाने पूरी दुनियाको इस कदर हिला रखा है कि लाखों लोगोंकी जानें लेनेके बाद भी यह वायरस काबूमें नहीं आ रहा है।
यदि ऐसे स्थितिमें डिसीस-एक्सने भी अपने पैर पसार लिये तो दुनिया तबाहीकी ओर जा सकती है। चूंकि कोरोनामें अपने आपको दुनियाकी सबसे बड़ी शक्ति कहने एवं माननेवाले देशोंकी पोल खुलती दिखी। अमेरिका एवं रूस समेत जिन देशोंका यह कहना था कि वह किसी भी बड़ीसे बड़ी एवं खतरनाक घटनापर नियंत्रण पा सकते हैं वह भी पूर्ण रूपसे विफल हुए। तमाम विकासशील देश अबतक वैक्सीन नहीं बना पाये जिससे यह तो तय हो गया वायरसके रूपमें अज्ञात एवं अदृश्य शत्रुसे लडऩा और उसपर विजय पाना मुश्किल है। चूंकि अबतक कोरोनाको लेकर यह भी पता नहीं लगा कि यह प्राकृतिक वायरस है या अप्राकृतिक। ब्रिटेनके स्वास्थ्यमंत्री मैट हैनकॉकने कहा कि साउथ अफ्रीकासे आये दो यात्रियोंमें पहलेसे ज्यादा संक्रामक वायरस मिला है। जिससे बड़े स्तरपर इन्फेक्शन फैल सकता है। इसके अलावा इससे पहले स्ट्रेन मिला था जो ब्रिटेनके साउथ-वेस्ट, मिडलैंड और नॉर्थ इंग्लैंडमें भी पहुंच गया है। इस वजहसे अबतक चालीस देश ब्रिटेनमें ट्रैवल बैन लगा चुके हैं। यदि वायरसोंकी वजहके इस तरह बैन लगते रहे तो पूरे विश्वकी इकोनॉमी बड़े स्तर प्रभावित होगी। दुनियामें ज्यादा देश रोजमर्रावाली तर्जपर जिन्दगी जीते हैं। यदि हमारे देशके परिवेशमें बातकी जाय तो कोरोनाके प्रभावसे अभीतक भी पूर्ण रूपसे नहीं उभरें हैं। हर रोज नयी चुनौतियां इस तरह सामने आ रही हैं। सरकारोंका अपने स्तरपर इस भयावह संकटसे निकालना जारी है लेकिन हर कोई व्यापार या नौकरी एक-दूसरेसे पूरक होकर संचालित होती है। आसान भाषामें समझनेके लिए गाड़ी चारों पहिये जब चलते हैं तभी गाड़ी चलती है। इस ही प्रकार सभी देश एक-दूसरेसे व्यापार करके अपनी गतिको बढ़ावा देते हैं जिससे सालाना करोडों-अरबोंका व्यापार होता है। यदि इस तरह वायरसोंकी वजहसे प्रतिबंध लगता रहा तो दुनियाका भविष्य अच्छा नहीं होगा। प्रतिबंधसे अस्थिरता आ रही है जिस वजहसे व्यापारी मालका लेने-देन करनेमें संकोच महसूस कर रहे हैं। पेमेंट फंसनेसे लेकर वस्तुओं एवं खाद्य पदार्थोंकी डिलीवरी न हो रही। अर्थात जिस धारामें व्यापार चलने चाहिए वैसे नहीं चल रहे। यदि इस ही तरह नये-नये वायरस आते रहे तो दुनियामें भारी असंजसता फैल जायगी। यदि ऐसे वायरसोंपर नियंत्रण नही पाया गया तो मानव जीवनपर इस तरहके प्रहार मानव जातिको खत्म कर देंगे। इसलिए सफाई एवं सोशल डिस्टेंसिंगके अलावा शासन-प्रशासन द्वारा अन्य सभी तरहके अहतियात बरतनेकी जरूरत है जिससे मनुष्य जाति सुरक्षित रहे।