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कोरोना वायरस ने कितना प्रभावित किया पर्यावरण को, क्या है विश्व प्रकृति दिवस का इतिहास, थीम


  •  हर साल की तरह इस साल भी विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जा रहा है. इस दिवस को मनाने का केवल एक ही मकसद है, प्रकृति के प्रति लोगों को जागरूक करना. उसके महत्व के बारे में लोगों को याद दिलाना. तो आइये जानते हैं कैसे शुरूआत हुई प्रकृति दिवस मनाने की. क्या है इसका इतिहास, महत्व, इस बार का थीम और कोरोना वायरस ने कितना किया इसे प्रभावित…
  • कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने लोगों को घर में बंद क्या किया पर्यावरण ने खुल कर सांस लेना शुरू कर दिया.
  • दरअसल, लोग इस दौरान प्रकृति प्रेमी भी बने, कई लोग तो कोरोना से जंग जीतने के बाद पौधे उगाए.
  • गाड़ियों के परिचालन ठप रहने से हवा स्वच्छ हुई, मौसम चक्र बदला.
  • मानव गतिविधियां या कंस्ट्रक्शन कम होने से प्रदूषण कम हुआ.
  • लेकिन, कीटाणुनाशक, मास्क, दस्ताने जैसे कचरो की भरमार बढ़ है जो फिर से हमारे पर्यावरण को बड़ी मात्रा में दूषित कर सकता है.

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में पर्यावरण और प्रदूषण पर पहला अंतरराष्ट्रीय स्तर सम्मेलन आयोजित किया. जिसके बाद से हर साल 5 जून को विश्‍व पर्यावरण दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई. आपको बता दें कि इस सम्मेलन में करीब 119 देशों ने हिस्सा लिया था. वर्ष 1974 में ‘ओनली वन अर्थ’ थीम के साथ मनाया गया.

वर्ष 2021 में विश्व पर्यावरण दिवस पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली (Ecosystem Restoration) थीम के साथ मनाया जा रहा है. जिसकी मेजबानी पाकिस्तान कर रहा है. वहीं, वर्ष 2020 में ‘सेलिब्रेट बायोडायवर्सिटी’ थीम से इसे मनाया गया था.

  • वायु, जल, फल-सब्जियां, खनिज-सम्पदा जैसी जरूरत की सभी महत्वपूर्ण चीजें देनी वाली प्रकृति के प्रति लोगों को जागरूक करना.
  • इस दिन देश व राज्य सरकारें तथा सामान्य नागरिक भी वातावरण को शुद्ध करने का संकल्प लेते हैं.
  • जगह-जगह इससे संबंधित कार्यक्रम, स्पीच, भाषण प्रतियोगिताएं होती है.
  • कई संगठन या लोग बड़ी मात्रा में पौधारोपण भी करते है.