चंदौली

चंदौली।हमे अपने जीवन चरित्र को मर्यादित रखने की जरुरत


मुगलसराय। स्थानीय शाह कुटी श्रीकाली मंदिर स्थित अन्नपूर्णा वाटिका प्रांगण मे चल रहे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत् कथा ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस व्यास पीठ से श्रीमद् भागवत् व श्री मानस मर्मज्ञ श्री अखिलानन्द जी महाराज ने अपने वक्तव्य मे जीव के पांच शुद्ध पर चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि महाराज परीक्षित के पांच शुद्ध थे जिसमे मातृ शुद्धि पितृ शुद्धि वंश शुद्धि अन्न शुद्धि, जल शुद्धि। जिनके माता पिता के संस्कार स्वरूप ही पुत्र मे संस्कार आता है और उनके उपर ही भगवान की कृपा होती है। क्योंकि माता पिता ही पुत्र के प्रथम गुरू होते हैं। जिसके फलस्वरूप ही पुत्र में संस्कार आता है और वह जीवन मर्यादित होता है। इसलिए प्रत्येक माता पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि सबसे पहले हम अपने जीवन चरित्र को मर्यादित रखें ताकि वैसे ही पुत्र का जीवन भी मर्यादित हो सके। ईश्वर प्राप्ति के लिए अन्न जल का शुद्ध होना भी परम आवश्यक है। कहा गया है कि जैसा खाए अन्न वैसा हो मन। मनुष्य जो धर्म सम्मत व शास्त्र सम्मत हो वही अन्न ग्रहण करना चाहिए आज हम नजाने कैसे भोजन ग्रहण कर रहे हैं कि हमारी मनोवृत्ति विनष्ट हो रही है और उसके चलते हम भगवान से दूर होते जा रहे हैं। मौके पर पी एन सिंह, उपेन्द्र सिंह, बृजेश सिंह, संजय अग्रवाल, अतुल दूबे, संतोष शर्मा, संजय तिवारी, कन्हैयालाल जायसवाल, त्रिभुवन उपाध्याय, रेखा अग्रवाल, दिनेश सिंह आदि रहे।