सम्पादकीय

चिकित्सा व्यवस्थामें मजबूती


आर. सर्राफ 

कोरोना संक्रमितोंका सिलसिला इसी रफ्तारसे बढ़ता रहा तो आनेवाले कुछ दिनोंमें ही स्थिति विकट हो जायेगी। संक्रमितोंकी संख्यामें वृद्धिके साथ ही देशमें आक्सीजनकी भारी कमी महसूस की जा रही है। आक्सीजनकी कमीके चलते कई स्थानोंपर कोरोना संक्रमित लोगोंकी मौत भी हो चुकी है। हालांकि आक्सीजन संकट व्याप्त होते ही केंद्र सरकारने शीघ्रतासे आपदा नियंत्रणकी दिशामें काररवाई करते हुए पूरे देशमें आक्सीजन उत्पादन संयंत्रोंका केंद्रीकरण कर उसका राज्यवार आवंटनका कोटा तय किया है। जिससे सभी राज्योंको समान रूपसे आक्सीजन गैस मिल सके। आक्सीजनके टैंकरोंको पहुंचानेके लिए वायु सेनाके विमानों एवं रेलगाडिय़ोंका उपयोग किया जा रहा है। देशमें आवश्यकताके मुताबिक आक्सीजन उपलब्ध नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार विदेशोंसे भी आक्सीजनका आयात कर रही है। भारतीय नौसेनाने विदेशोंसे आक्सीजन और चिकित्सा सामग्री समुद्री मार्गसे लानेके लिए आपरेशन समुद्र सेतु-दो शुरू किया है। नौ युद्धपोतोंको विभिन्न बंदरगाहोंपर भेज दिया गया है। आईएनएस तलवार बहरीनमें मनामा बंदरगाहसे २७-२७ टन तरल मेडिकल आक्सीजनसे भरे दो कंटेनर लेकर कर्नाटकके न्यू मंगलौर बंदरगाहपर पहुंच गया है। सिंगापुर भेजा गया आईएनएस ऐरावत ३६०० से अधिक आक्सीजन सिलेंडरों और कुवैतसे आईएनएस कोलकाता दोहा और कतरसे २७-२७ टनके दो आक्सीजन टैंक, तरल आक्सीजन, आक्सीजनसे भरे सिलेंडर, क्रायोजेनिक टैंक और अन्य चिकित्सा उपकरण लेकर आया है। अन्य कई जहाज शीघ्र पहुंचनेवाले हैं।

देशमें आक्सीजन विवादके चलते कई प्रदेशोंमें उच्च न्यायालयको दखल देना पड़ा। उच्च न्यायालयमें सुनवाईके दौरान सामने आया कि प्रधान मंत्री केयर फंडसे जनवरी माहमें कई राज्योंके सरकारी अस्पतालोंमें आक्सीजन बनानेके प्लांट लगाने हेतु राशि जारी होनेके उपरांत भी राज्य सरकारों द्वारा अभीतक आक्सीजन संयंत्र नहीं लगाये गये हैं। यदि समय रहते अस्पतालोंमें आक्सीजन प्लांट लगा लिये जाते तो आज देशको काफी राहत मिलती। लगातार कोरोनाका कहर झेलनेके उपरांत भी केंद्र एवं राज्य सरकारोंने स्वास्थ्यके क्षेत्रमें कोई विशेष कार्य नहीं किये। चिकित्सा संबंधित उपकरणों एवं दवाइयों उत्पादनके क्षेत्रपर विशेष ध्यान दिया गया। उसीका नतीजा है कि आज हम कोरोनाकी दूसरी लहरका मुकाबला करनेमें असहाय नजर आ रहे हैं। कोरोना संक्रमणके बाद बने नये हालातमें सरकारको विकास कार्योंकी बजाय लोगोंकी जान बचानेकी तरफ अधिक ध्यान देना चाहिए था। परन्तु ऐसा नहीं किया गया। आज भी केंद्र एवं राज्य सरकारें अस्पताल बनानेके स्थानपर सड़के, पुल, पावर हाउस, बिजलीकी लाइनें डालने, भवन बनाने एवं सरकारसे जुड़े लोगोंको ज्यादासे ज्यादा सुविधाएं दिलानेपर ही अधिक ध्यान दे रही है। सरकारोंके बजटका बड़ा हिस्सा इन्हीं सब कार्योंपर खर्च किया जा रहा है। जबकि कोरोनाकी पहली लहरके समय ही केंद्र एवं राज्य सरकारोंको सचेत होकर भविष्यमें लोगोंको बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवानेपर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए था। परन्तु सरकारोंको चाहिए था कि अधिकके बजाय सबसे अधिक राशि इस सालके बजटमें चिकित्साके क्षेत्रपर खर्च की जानी चाहिए थी। जिससे हमारी चिकित्सा व्यवस्था इतनी मजबूत हो सके कि हम आनेवाली किसी भी बीमारीका अपने संसाधनोंके बलपर मुकाबला कर सकें।

देशमें टीकाकरणका कार्य तेजीसे चल रहा है। लेकिन उसमें भी केंद्र एवं राज्य सरकारोंमें टकराव देखनेको मिल रहा है। राज्योंकी मांगपर केंद्र सरकारने १८ वर्षसे अधिककी उम्रके लोगोंको टीका लगवानेकी मंजूरी प्रदान कर दी। परन्तु उसके साथ ही केंद्र सरकारने वैक्सीन उत्पादन करनेवाली कम्पनियोंको उनके उत्पादनका आधा वैक्सीन राज्य सरकारों एवं खुले बाजारमें बेचनेकी छूट दे दी है। उसमें कई राज्य सरकारें वैक्सीनका खर्च उठानेमें असमर्थता जता रही है। जिसको लेकर भी आये दिन आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे हैं। देशकी जनताको अभी सबसे अधिक जरूरत चिकित्सा सुविधाओंकी है। लोगोंका मानना है कि कोरोना संक्रमणके समयमें यदि हम जान बचानेमें सफल हो जाते हैं तो विकास कार्य करवानेके लिए आगे बहुत समय मिलेगा। इस समय तो केंद्र एवं राज्य सरकारोंको अपना पूरा बजट चिकित्सा व्यवस्थाको मजबूत करनेपर खर्च किया जाना चाहिए। देशके सभी जनप्रतिनिधियोंको भी चाहिए कि उनको मिलनेवाले वेतन, भत्ते एवं अन्य सुविधाओंका आगामी एक वर्षतक परित्याग कर उस राशिको भी जनहितमें चिकित्सापर खर्च करनेके लिए सरकारको सौंप दें। ताकि उस राशिका उपयोग चिकित्सा व्यवस्थाको सुदृढ़ करनेपर किया जा सके। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने पीएम केयर फंडसे देशके सभी जिला मुख्यालयोंपर स्थित सरकारी अस्पतालोंमें आक्सीजन बनानेवाले प्लांट लगानेके लिए राशि स्वीकृत कर दी है। राज्य सरकारोंको चाहिए कि सभी अस्पतालोंमें आक्सीजन उत्पादन संयंत्रोंकी स्थापना शीघ्रतासे करवायें ताकि आक्सीजनकी कमी खत्म हो सके। सरकारको सभी बड़े निजी अस्पतालोंमें भी आक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाना आवश्यक करना चाहिए। देशमें एम्स जैसे बड़े चिकित्सा संस्थान, मेडिकल कालेज और अधिक संख्यामें स्थापित किये जाने चाहिए। जिससे लोगोंको अपने क्षेत्रमें ही बेहतर चिकित्सा मिल सके।