सम्पादकीय

चिन्ताका सबब बनता लवजिहाद


योगेश कुमार सिंह       

शिकायत नहीं तो एफआईआर नहीं, एफआईआर नहीं तो केस नहीं और केस नहीं तो आंकड़ा नहीं। जिन लोगोंको यह लग रहा कि शासन-प्रशासनकी सख्तीके बाद लव-जिहादमें कोई कमी आयी है तो वह आंख और कान खोलकर सुन एवं समझ लें कि अब पहलेसे ज्यादा संख्यामें लव-जिहाद चल रहा है। पहले यह खुलेआम चल रहा था लेकिन अब इसे बहुत ही शातिराने तरीकेसे अंजाम दिया जा रहा है। जिहादी साम, दाम, दंड, भेदकी नीतिपर हिंदू लड़कियोंको अपना शिकार बना रहे हैं। मामला यह है कि अब जिहादी उन हिन्दू लड़कियोंको निशाना बना रहे हैं जो आर्थिक रूपसे कमजोर हैं। देशमें ऐसे कई परिवार हैं जो आर्थिक तौर कमजोर हैं और अब कोरोनाकी वजहसे ऐसे परिवारोंकी संख्या और बढ़ गयी है, जिसपर जिहादियोंने अपनी पूरी निगाह बनायी हुई है। ऐसी घटनाओंको पूरे देशमें अंजाम दिया जा रहा हैं लेकिन हालमें दिल्लीके नांगलोई एवं सटे लोनी इलाकेसे लव-जिहादकी खबरें ज्यादा आ रही हैं। जिहादी गरीब हिंदू लड़कियोंको नौकरीके नाम छोटा-मोटा काम देकर अपने जालमें फंसा रहे हैं। शादीशुदा होने बावजूद ऐसी वह तीन-चार शादियां कर रहे हैं। कई नाबालिक लड़कियां मां बन गयीं। ऐसे लोगोंका उद्देश्य केवल जनसंख्या बढ़ाना है। यदि आस-पासके लोग एवं रिश्तेदार विरोध भी करना चाहते हैं तो वह पुलिस कुछ नहीं कर पा रही चूंकि पुलिसका कहना है जबतक पीडि़त स्वयं या उसका परिवार शिकायत करके आरोप नहीं लगायगा, तबतक हम कुछ नहीं कर सकते। यही हाल रहा तो आनेवाले समयमें हालात और बदतर हो जायंगे।

मौजूदा समयमें जिहादी एक बड़े मिशनके तहत अपना विशाल नेटवर्क फैलाकर गलत काम कर रहे हैं। पिछले तीन दशकोंसे कह रहे हैं कि मुस्लिम आबादी बढ़ रही है। लेकिन दूसरी ओर मामला यह है कि जिन हिंदू लड़कियां जो शादीके बाद मुसलमान बना जाती हैं, उनके रूपमें हिंदू जनसंख्या घट रही है और मुस्लिमोंकी बढ़ रही है। इसलिए लगातार मुस्लिम जनसंख्या बढऩा जारी है। देशके कई राज्योंमें अब हिन्दुओंका अल्पसंख्यक होना चिंताका विषय बनता जा रहा है। एक लंबे अर्सेसे हिन्दुओंपर होनेवाले अत्याचारको रोकनेके लिए कानून बनानेको लेकर संबंधित कानून भी पास होनेके लिए संसदमें कई बार चर्चा तो हो चुकी लेकिन इस मामलेंपर धरातलपर कोई काम नहीं हो रहा। बीते दिनों हरियाणामें भी ऐसे केस लगातार आनेपर मुख्य मंत्री मनोहर लाल खट्टरने नूंहके दौरेके बाद अन्य कुछ कुछ घोषणाएं की थीं जिससे वहां रह रहे हिन्दुओंके लिए एक नया सवेरा हुआ था। यह सुनकर बहुत अजीब लगता है कि अपने ही देशमें अपनी आजादी एवं सुरक्षाकी गुहार लगा रहे हिन्दुओंको अपने ही देशमें पाकिस्तान जैसा महसूस हो रहा है एवं हिन्दुओंपर अत्याचार बढऩेका सिलसिला जारी है। दरअसल मामला यह है कि कुछ कट्टर जिहादियोंने धर्मान्तरण एवं लवजिहादको बढ़ावा देनेके लिए हर तरहका पैंतरेका प्रयोग कर रहक हैं।

ऐसे लोगोंका काम मात्र यह है कि किसी भी रूपमें अपनी जनसंख्या बढ़ाओ और बाकी अन्य धर्मका नामोनिशान मिटा दो। पूर्वमें मेवातको लेकर विश्व हिन्दू परिषदके नेताओंने एक रिपोर्टमें यह बताया गया था मेवातमें सुयोजित तरीकेसे दलित, पिछड़े और आर्थिक तौरपर कमजोर वर्गके हिन्दुओंको डरा-धमका कर उनका धर्मपरिवर्तन कराया जाता है जिससे हिन्दुओंकी संख्या लगातार कम होना बेहद गम्भीर मामला बनता जा रहा है। आम तौरपर जनसंख्या बढऩा अलग बात है लेकिन जिहादियोंके इस खतरनाक उद्देश्य हिन्दुओंको क्षति पहुंचाकर अपनी जनसंख्या बढ़ाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण एवं चिंताजनक होता जा रहा है। यहां केन्द्र सरकार को काम करनेकी जरूरत है। खाका तैयार कर ऐसे लोगोंपर निगरानी की जाय और जिन जिहादियों द्वारा आर्थिक लालचके चलते हिन्दू लड़कियोंको गुलाम बनाकर उनकी इज्जत एवं धर्मपर चोट मारी जा रही है उनके लिए काम किया जाय। ऐसे मामलोंपर निगरानीके लिए पुलिसकी एक अलग यूनिट बनकार काम करना होगा। इसके अलावा जो लोग जानकारीके अभावमें सरकारी योजनाओंका फायदा नहीं ले पा रहे उनके लिए कैंप लगाकर मदद करनेकी जरुरत है। लोगोंसे भी अपील है कि छोटे-मोटे लालचकी वजहसे अपनी बच्चियोंको किसीके हवाले न कर दें और कोरोनाकी वजहसे जिन बच्चोंके माता-पिता नहीं रहे वह जानकारी जुटाकर सरकारी योजनाओंका लाभ लें। किसीके लिए जरा-सा प्रयास करनेसे यदि जिन्दगी एवं धर्म बच जाता है तो जरूर करें। समाज एवं जरूरतमंदोंके लिए थोड़ी-सी भी निभायी गयी जिम्मेदारी सहयोग एवं परिवर्तनकी नींव मानी जाती है। पुण्य एवं पापका खेल तो ऐसा है जितना करोगे हमेशा उससे ज्यादा ही फल मिलता है।