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चीन की सरकार बौद्ध धर्म को नुकसान पहुंचाने के लिए षड्यंत्र करती रही है : दलाई लामा


बोधगया। 14वें दलाईलामा ने शनिवार को कालचक्र मैदान पर संचालित अपने  तीन दिवसीय उपदेश कार्यक्रम के अंतिम दिन महायान पंथ के तंत्र की देवी 21 ताराओं के स्वरूप और उनके गुणों से श्रद्धालुओं को अवगत कराया। 21 ताराओं के स्वरूप को कालचक्र मैदान पर लगाए गए स्क्रीन पर भी दिखाया जा रहा था।

उन्होंने कहा कि आप सभी को श्राद्ध भाव से प्रतिदिन तारा के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसका बड़ा लाभ देखने को मिलेगा। उसके बाद स्वयं दलाईलामा अपने आसन पर साधना में लीन हो गए और उनके लामाओं द्वारा तारा के मंत्र का जाप किया गया।

उन्होंने कहा कि जब मैं साधनों में लीन था, तो ऐसा लगा कि अवलोकितेश्वर हमारे सिर पर विराजमान हैं। आप भी सूत्र और शास्त्र को मानते हुए  अपने इर्द-गिर्द में भगवान बुद्ध आठ अर्हत और नालंदा के विद्वान हमारे सामने है। ऐसा माने। इन्हीं के बदौलत आज भी बौद्ध धर्म जीवित है।

उन्होंने कहा कि चीन की सरकार द्वारा बौद्ध धर्म को नुकसान पहुंचाने का षड्यंत्र किया जाता रहा है। लेकिन खत्म नहीं हो सका। आज भी वहां बौद्ध धर्म के प्रति लोगों की आस्था है। वहां बहुत सारे बुद्ध विहार हैं। मैं चीन कई बार गया हूं। लोगों के मन में बौद्ध धर्म के प्रति आज भी बहुत लगाव है। इस पवित्र भूमि से यह संकल्प लेकर जाएं की इस सभी जीवो के हित के लिए मैं भगवान बुद्ध, धम्म और संघ की शरण में जाता हूं।

उसके बाद उन्होंने सभी को दीक्षा दी। धर्मगुरु के प्रति लामा और अनुयायियों ने श्रद्धा पूर्वक आभार व्यक्त किया कि आपने हमें इस पवित्र भूमि पर उपदेशीत किया और आपने जो कहा है उसका मैं अनुसरण कर बोधिसत्व व शून्यता का अभ्यास करूंगा। उपदेश समापन सत्र में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी शामिल रहे।