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चुनाव आयोग की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला,


  1. कोरोना सकंट (Corona Crisis) के दौर में चुनावी सभाओं में कोरोना गाइडलाइन्स का पालन न होने पर कुछ दिनों पहले मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाई थी और अधिकारियों पर मर्डर चार्ज को लकेर कमेंट किया था. इसी के के खिलाफ चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. मामले पर चुनाव आयोग ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा, ”बहुत की कठिन परिस्थिति में चुनाव सम्पन्न हुआ. हमारे कई लोग कोरोना से संक्रमित हुए. बजाय हमारी पीठ थपथपाने के हमें कहा जा रहा है कि हत्या का मुकदमा चलना चाहिए.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”आपके निर्देश पर चुनाव परिणाम के बाद विजय जुलूस नहीं निकला, इसका क्रेडिट आपको जाता है. आप इन सब बातों को अच्छे भाव से लें”.

चुनाव आयोग की ओर से वकील राकेश द्विवेदी ने कहा, ”हमें सुने बिना, यह जाने बिना की आपदा प्रबंधन किसका काम है मद्रास सुप्रीम कोर्ट ने हमारे खिलाफ टिप्पणी कर दी.” इस पर जस्टिस शाह ने पूछा आयोग का क्या काम है?

इस पर द्विवेदी ने कहा, ”हमारे पास इतना फोर्स नहीं होता कि हर कार्यक्रम पर अंकुश लगाएं.” जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा,”जज को सवाल करते समय सावधान रहना चाहिए. लेकिन यह नहीं कह सकते कि मीडिया जज की टिप्पणी को रिपोर्ट न करे. अक्सर सिर्फ लिखित आदेश नहीं जज की टिप्पणी भी लोगों के मन में भरोसा जगाती हैं. द्विवेदी ने कहा, ”हम सिर्फ इस टिप्पणी की बात कर रहे हैं. इसका केस से कोई संबंध नहीं था.”

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ”ऐसा नहीं कि जज सोच कर आते हैं कि यह बोलना है. बात के क्रम में कई बात कही जाती है. हम एक संवैधानिक संस्था के रूप में चुनाव आयोग का सम्मान करते हैं. द्विवेदी- जो टिप्पणी हुई उसका केस से संबंध नहीं था. यह टिप्पणी भी नहीं थी, एक तरह से हमारे खिलाफ फैसला था.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बार बार चुनाव आयोग से कहा कि वह तमाम टिप्पणियों अच्छे ढंग में लें. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, हम अपनी न्यायिक प्रक्रिया की पहचान को कम नहीं कर सकते. आपकी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए हम अपने उच्च न्यायालयों की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए एक संतुलन बनाएंगे.

इस समय एक याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रदीप यादव हाइकोर्ट की टिप्पणी का समर्थन कर रहे हैं. वकील अमित शर्मा ने उन्हें टोकते हुए कहा कि हाई कोर्ट की टिप्पणी के बाद कुछ लोगों ने FIR दर्ज करवाना शुरू कर दिया। इस अजीब स्थिति को भी समझा जाना चाहिए.