पटना

जमालपुर: दिव्यांग निर्मला असहाय व गरीबों के बीच जगा रही शिक्षा की अलख


जेपी आंदोलन के दौरान पुलिस की लाठी से चोटिल हो कर दिव्यांग बनी थी निर्मला

जमालपुर (मुंगेर)। महिलाओं व बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगा रही है मुंगेर जिले के नौवागढ़ी निवासी निर्मला देवी। प्रखंड साक्षरता समिति के वार्ड संयोजिका रह चुकी निर्मला हमेशा से महिलाओं को जरूरतमंदों के अधिकार की लड़ाई लड़ती रही है। कभी राजनीत के माध्यम से तो कभी साक्षरता समिति के माध्यम से शिक्षा के लिए प्रेरित करने वाली  निर्मला समाज में अपनी अलग पहचान स्थापित की है।

वर्तमान में मुंगेर जिले के जमालपुर नगर पालिका क्षेत्र के नक्की नगर केशोपुर के वार्ड संख्या 28 नंबर में स्वर्गीय सदानंद मंडल की 60 वर्षीय पत्नी दिव्यांग निर्मला देवी के रूप में जानी जाती है। नौवागढ़ी में पली-बढ़ी इंटर उत्तीर्ण निर्मला संगीत व तकनीकी शिक्षा भी प्राप्त करने के बाद लगातार महिलाओं व बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए प्रयास शुरू कर दी। निर्मला नौकरी को गुलामी समझ कहीं भी नौकरी नहीं की। इसके बावजूद इनके स्वर्गीय पति व परिवार के अन्य सदस्यों का भी उनको सहयोग मिला।

वर्ष 1974 में जरूरतमंदों की मदद और देश सेवा की भावना के कारण जेपी आंदोलन में कूद पड़ी। नौवागढ़ी में कलालियों में तोडफ़ोड़ करने के दौरान पुलिस की लाठी खाने के कारण चोटिल हुई और उनके पिता पश्चिम बंगाल इलाज कराने चले गए। इस दौरान निर्मला भूमिगत रही थी। दुर्भाग्यवश वर्ष 2000 में सरकार की जमीन खोज कर निकालने के कार्यक्रम के दौरान निर्मला के पति सदानंद मंडल की निर्मम हत्या कर दी गई।

इसके बाद असहाय बनी निर्मला अपने तीन बच्चियों एक छोटा दूध मुहा बच्चा को लेकर आर्थिक तंगी से जूझती रही। हालांकि काफी दिक्कत से पढ़ा लिखा कर अपनी बच्ची को नौकरी दिलाने में सफल रही। हलां कि दिव्यांगता का दंश झेल ते हुए प्रखंड साक्षरता समिति के माध्यम से महिलाओं को जागरूक करने का बीड़ा उठाया।वर्तमान में अशिक्षित महिलाओं व बच्चों के अभिभावकों को सही राह पर चलने की सलाह देती है ।

शहर के वार्ड नंबर 28 में बच्चों को शिक्षा देने के लिए मुफ्त पठन-पाठन का काम भी करती है। निर्मला देवी ने बताया कि शुरू से ही महिलाओं के अधिकार दिलाने व कानूनी रूप से जागरूक करने की दिशा में कार्य करती रही हूं ।महिला जब शिक्षित होगी तभी वह अपने अधिकार को समझ पाएगी। आज महिलाएं आगे तो बढ़ी है परंतु अब भी इस इलाके में काफी काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के दर्द को एक महिला ही समझ सकती है। यही वजह है कि वह विभिन्न माध्यमों से महिलाओं को स्वावलंबी बनाने व अधिकार पाने के लिए प्रेरित कर रही है।

वहीं दूसरी ओर पठन-पाठन के गुर सीख रही उर्मिला देवी ,मंजू देवी ,कौशल्या देवी, आशा देवी ,सोन म कुमारी ने बताया कि निर्मला देवी ने सचमुच हम सबों को शिक्षा का महत्व समझा कर एवं शिक्षित बनने के लिए प्रेरित कर एक अद्भुत कार्य की है।