पटना

जहानाबाद: पूर्व थानाध्यक्ष की करतूतें बनी है वर्तमान के लिए गले की फ़ांस


  • नगर थाना ने लंबित मुकदमों का बनाया रिकॉर्ड, सूबे में प्राप्त किया चौथा स्थान
  • केसों के निपटारे को लेकर एसपी ने तैयार की है विशेष रणनीति

जहानाबाद। जिले के नगर थानाध्यक्ष सहमें-सहमें से रहते है। उन्हें यह डर ना ही अपरधियों से है और नाही उग्रवादियों से, बल्कि वे डरे है पूर्व के थानाध्यक्ष की करतूतों से। दरअसल में नगर थानाध्यक्ष रविभूषण 1994 बैच के इंस्पेक्टर है और इनका प्रमोशन कभी भी एसडीपीओ में हो सकता है। इनके बैच के कई लोगो का एसडीपीओ में प्रमोशन हो भी चुका है। परन्तु उनके अंदर एक अनजाना सा खाफ़ै समाया है कि कही नगर थाने के पूर्व के थानाध्यक्ष के नकारेपन का शिकार वे न बन जाये।

दरअसल मे नगर थाने में फि़लवक्त तकरीबन 1500 के करीब केस लंबित पड़े है, जो बिहार में लंबित केसों के मामले में चौथा थाना है। यही पेंडिंग केस रातदिन थानाध्यक्ष को सालता रहता है, कहीं लंबित मामलें प्रमोशन के काल मे रोड़ा न बन जाये।

नगर थाना ने नकारेपन का बनाया है अनोखा रिकॉर्ड

बता दें कि जहानाबाद नगर थाना ने अपना अनोखा रिकॉर्ड बना लिया है। सिर्फ नगर थाने में दिसम्बर माह तक 1559 मामले लंबित है, जो लंबित केसों के मामलों की फ़ेहरिस्त में बिहार में चौथा थाना है। इसी तरह पूरे जिले में लंबित कांडों की संख्या लगभग चार हजार के पार है। पिछले थानाध्यक्ष की सुस्ती और लापरवाही के कारण लंबित कांडों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती गई।

इंस्पेक्टर की जगह एसआई को डेढ़ साल तक थानेदार बने रहने का भुगतना पड़ा खामियाजा

हद तो तब हो गई जब जहानाबाद जैसे महत्वपूर्ण इंस्पेक्टर थाने की जिम्मेवारी नौसिखिए एसआई राजेश कुमार को एक या दो माह के लिये नही बल्कि तकरीबन डेढ़ साल के लिए सौप दी गई। बताया जा रहा है कि यहीं से नगर थाने की दुर्गति शुरू हुई जो अब नासूर बन गयी है। इसके पहले थानाध्यक्ष एसके शाही के समय थाने में लंबित केसों की संख्या 800 से घटकर 403 पर आ गई थी।

वहीं इनके कार्यकाल में ये आंकड़ा 1500 के पार कर गया है। इनके कार्यकाल में शहर में भीषण दंगा भी हुआ। उस दौरान शहर की 50 से अधिक दुकाने लूट ली गई या आग की हवाले कर दी परन्तु नौसिखिया थानेदार के कानों पर जूं तक नही रेंगी। हालांकि इस बीच वे बिचौलिए व दलालों से खुलेआम उगाही करते रहे। पुलिसकर्मियों के जबरन उगाही के ऑडियो भी वायरल हुई परन्तु कार्रवाई नही हुई। नतीजतन एक तरफ़ न्याय पनाह मांगती रही तो दूसरी ओर दलाल बिचौलियों का हौसला बढ़ता रहा।

इतना ही नही नगर थानाध्यक्ष पुलिसिंग छोड़ कभी नाई की दुकान तो बदनाम चेहरों के साथ फ़ोटो खिंचवाते नजर आने लगे। अंत तो तब हो गया जब पूर्व के थानाध्यक्ष वरीय अधिकारियों के आदेश को अनदेखा करते रहे और वरीय अधिकारी भी उनकी अनदेखी पर चुप्पी साधे बैठे रहे। परिणाम यह हुआ कि लंबित कांडो के मामले नकारेपन की इबारत ही लिख दी। हद तो तब हो गई कि एसपी और आईजी के निर्देश भी कूड़ेदान की शोभा बढ़ाने लगे  केसों के चार्ज लेने में आनाकानी की जाने लगी और कई मामलों के फ़ाइल तो ढूंढे नही मिल रहे है।

एसपी ने तैयार की है विशेष रणनीति

बहरहाल जिले की एसपी मीनू कुमारी ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होने बताया कि जिले में योगदान के बाद कांडों की समीक्षा शुरु की तो पाया कि जिले में लगभग चार हजार से अधिक केस लंबित पड़े हैं। अकेले नगर थाना में एसआर और नॉन एसआर के लंबित केसों की संख्या लगभग 1500 से अधिक थी। एसपी ने बताया कि लंबित कांडों के निष्पादन के लिए एक विशेष रणनीति तैयार की गई है। वे खुद नगर थाना में लंबित केसों के निष्पादन की मॉनिटरिंग कर रही हैं। इसके अलावा एसडीपीओ और सर्किल इंस्पेक्टर को भी अलग-अलग थाने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। एसपी ने बताया कि जिले में फ़रार अपराधियों और अभियुक्तों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस पदाधिकारियों की ओर से वारंट प्रे करने में काफ़ी सुस्ती बरती गई है।

सात-आठ सालों से थाने में नहीं लिखा गया है डोसियर

एसपी मीनू कुमारी ने बताया थाने में सात-आठ सालों से डोसियर नहीं लिखा गया है। इसके अलावा थाना में रिकॉर्ड का रखरखाव भी अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। एसपी ने बताया कि वह जल्द ही थाने में रिकार्डों के रखरखाव और नियमित रूप से डोसियर बनाने को लेकर सभी थानाध्यक्ष और ओपी प्रभारियों के साथ एक बैठक करेंगी।