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जातीय गणना नीतीश-लालू का मास्टर स्ट्रोक?


 भागलपुर। लोकसभा चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को अंतिम रूप में देने में जुटे हैं। चुनावी तरकश के तीर (राजनीतिक मुद्दों) को धार देने की तैयारी की जा रही है।

इस बीच जदयू-राजद, कांग्रेस महागठबंधन की सरकार ने जातीय गणना की रिपोर्ट भी जारी कर दी है। इसे नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। दोनों पार्टियों के नेताओं ने इसी मुद्दे के इर्द गिर्द राजनीतिक गोलबंदी की कोशिश भी शुरू कर दी है।

हालांकि, जनता की इस मुद्दे पर अलग-अलग राय है। गुरुवार को भागलपुर दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस पटना स्टेशन से भागलपुर के लिए खुली। ट्रेन में भी यात्रियों के बीच इसी मुद्दे पर चर्चा हो रही थी। जैसे जैसे ट्रेन की रफ्तार बढ़ रही थी, वैसे वैसे जातीय गणना रिपोर्ट पर हो रही चर्चा भी परवान चढ़ रही थी।

हर किसा का अपना मत

कोई जातीय गणना के पक्ष में था, तो कोई इसे राजनीतिक स्टंट बता रहा था। पटना से अपने घर जमालपुर जा रहे अमरदीप यादव ने कहा कि यादव जाति की संख्या सबसे अधिक है। हमारी सरकार बनेगी तो यादव के साथ-साथ अन्य जाति के लोगों को फायदा होगा।

अमरदीप की बात काटते हुए बड़हिया के रहने वाले यात्री गौतम ऋषि ने कहा कि कुछ नहीं होने वाला है। यह सिर्फ ढकोसला है। सुल्तानगंज के विभाष मंडल ने कहा कि जातीय गणना का निर्णय सही है। इससे सरकार को नई योजना बनाने और उसके क्रियान्वयन में मदद मिलेगी।

समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों के विकास को लेकर रणनीति बनेगी। विरोध करने वाले विरोध करते रहें, कुछ होने वाला नहीं है। जब पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति के लिए योजनाएं बनाई जाती है, तो फिर उनकी सही संख्या जाने बिना कैसे योजना बनेगी और क्रियान्वयन कैसे होगा।

लखीसराय की रेशमा बेगम ने कहा कि जातीय गणना में भले कुछ त्रुटि हो, लेकिन इससे काफी लाभ होगा। समाज के अंतिम पं​क्ति के लोगों की राजनीतिक भागीदारी बढ़ेगी। भागलपुर के यात्री रामदेव मंडल ने कहा कि मैं राजद समर्थक हूं, लेकिन इस मुद्दे पर मैं महागठबंधन के साथ नहीं हूं।

चाय की चुस्की के बीच फिर से चर्चा शुरू

इसी बीच ट्रेन में चाय बेचने वाला आ गया। चाय की चुस्की के बीच फिर से चर्चा शुरू हुई। धरहरा के यात्री नरेश ने कहा जातिगत गणना का निर्णय सही था, लेकिन कई जातियों की गिनती अलग अलग कर ली गई।

कल्याणपुर के रहने वाले सुरेश ने कहा कि हमारे यहां तो जातिगत जनगणना करने के लिए टीम पहुंची ही नहीं। उन्होंने कहा कि हमारे टोले में मुश्किल से कुछ लोगों के घरों में टीम पहुंची है। ऐसे में, जो आंकड़े आए हैं, वह सही नहीं है।

वहीं, बेगूसराय के यात्री रामदेव यादव ने कहा कि आगामी चुनाव का मुद्दा सिर्फ विकास होने वाला है, जो विकास की बात करेगा, जनता उसे ही वोट देगी। बिहार की राजनीति इस बार विकास पर शिफ्ट होगी, ना कि जात पात पर।

स्टेशन पर आते ही कुछ यात्री ट्रेन के अंदर आते, तो कुछ नीचे उतरते रहे, लेकिन यह चर्चा ट्रेन के पहिये की तरह थोड़ी देर रूकने के बाद फिर से चल पड़ती थी। बेगूसराय के संजीव कुमार ने कहा कि जब जब सत्ता हिलती है, तब तब सत्ता जनता को बांटती है। कभी हिंदू-मुस्लिम के नाम पर, तो कभी अगड़ा-पिछड़ा के नाम पर।

नाथनगर के रेल यात्री डॉ. गिरिश चौधरी ने भी संजीव की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि जाति से न किसी की दुकान पहले चली थी, ना अब चलेगी। मोकामा के विकास कुमार और भागलपुर गोसाईंदासपुर के यात्री रामप्रसाद ने कहा कि वर्षों बाद जातीय गणना हुई है। अब जिसकी जितनी भागीदारी होगी, उसकी उतनी हिस्सेदारी होगी।

बांका धोरैया के राजेश कुमार ने कहा कि जनता को जातिगत जनगणना से कोई मतलब नहीं है और ना ही कोई फायदा। इस गणना में जनता के टैक्स के पैसे की बर्बादी हुई है। अगर सरकार सही में जातिगत जनगणना का लाभ देना चाहती है, तो जिस जाति समुदाय के लोगों की संख्या कम है, उसे लाभ दे।