पटना

जाले: उर्वरक अनुज्ञप्ति हेतु 15 दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न


जाले (दरभंगा)(आससे)। कृषि विज्ञान केंद्र जाले में उर्वरक अनुज्ञप्ति हेतु चल रहे 15 दिवसीय प्रशिक्षण का समापन शुक्रवार को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र के वितरण के साथ हो गया। समापन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर के निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डॉ. पशुपति सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों से प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान का लाभ किसानों तक पहुंचाने का अनुरोध किया।

डॉ. सिंह ने बताया की समेकित खाद प्रबंधन के द्वारा जहां एक ओर कृषि की लागत में कमी आएगी, वही दूसरी ओर भूमि की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा कि इससे भविष्य में भी उस भूमि से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकेगी। उन्होंने विशेष तौर पर यूरिया के समुचित प्रयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने बताया कि जहां यूरिया के कमी से हमारी उत्पादकता घटती है, वही अधिकता से भी इसके उत्पादकता पर दुष्प्रभाव पड़ता है एवम साथ ही अन्य पोषक तत्व के भी समय पर उपनिवेश से पौधों को उसका अधिक से अधिक लाभ मिलता है, अन्यथा वह पौधों को लाभ नहीं पहुंचा पाता है।

इस मौके पर केविके के अध्यक्ष डॉ. दिव्यांशु शेखर ने बताया कि अब तक इस केंद्र के द्वारा पांच प्रशिक्षण आयोजित किया जा चुका है, जिसको सफलतापूर्वक पूरा करने पर दरभंगा जिला के 150 युवाओं को प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है।इन प्रशिक्षणार्थियों में से बहुतों को जिला कृषि विभाग से उर्वरक अनुज्ञप्ति भी प्राप्त हो चुका है। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण में दरभंगा जिला के 15 प्रखण्ड के 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण के प्रभारी डॉ. एपी राकेश ने बताया इस प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केंद्र  एवं डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय पूसा एवं अन्य संस्थानों के 17 वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण दिया है। डॉ राकेश ने इन परीक्षणों के आयोजन के लिए जिला कृषि विभाग के पदाधिकारियों एवं श्री मुकेश कुमार का विशेष आभार व्यक्त किया। मौके पर उद्यान वैज्ञानिक सुश्री कुमारी अम्बा, पंकज कुमार, दीपक कुमार सहित अमृत समिति अन्य कर्मी मौजूद थे।