पटना

जाले के मखाना किसान धीरेंद्र कुमार हुए ‘अभिनव किसान सम्मान’ से सम्मानित


जाले (दरभंगा)(आससे)। मखाना की खेती कर अपनी माली हालात सुधार कर सुर्खियां बटोरने वाले किसान धीरेंद्र की चर्चा प्रखण्ड क्षेत्र के विभिन्न चौक चौराहे खाश कर किसान परिवारों में खूब हो रही है। मंगलवार को 72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर के कुलपति डॉ. रमेशचंद्र श्रीवास्तव के हाथों जाले के मखाना किसान धीरेंद्र कुमार को उनके कृषि क्षेत्र में किए गए अन्वेषण के लिए कुलपति के द्वारा ‘अभिनव किसान पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इनके सम्मानित होते ही जाले के युवा व प्रगतिशील किसान काफी उत्साहित दिखे।

मालूम हो कि धीरेंद्र कुमार एक कृषक परिवार से आते हैं एवं इन्होंने समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की है। इनके पास छह एकड़ जमीन थी, जिसमें कोई भी फसल नहीं हो पाता था। वहीं 4 एकड़ भूमि में गेहूं और धान की खेती होती थी। धान का फसल अतिवृष्टि में अथवा बाढ़ के कारण डूब जाता था। गेहूं और धान की फसल उगाने से एक वर्ष में कुल 10 से 15 हजार रुपये प्रतिवर्ष आमदनी होती थी। कृषि विज्ञान केंद्र जाले के संपर्क में आने व राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र से तकनीकी जानकारी प्राप्त कर उन्होंने उस भूमि में मखाना एवं सिंघाड़े की खेती प्रारंभ कर अपनी माली हालात को सुधारने में सफल हो रहे है।

जाले के युवा किसानों के पथ प्रदर्शक बने धीरेंद्र कुमार को सम्मानित किए जाने के संदर्भ में केविके के अध्यक्ष डॉ. दिव्यांशु शेखर ने बताया की प्रति वर्ष विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न जिलों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों को अभिनव किसान पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। उन्होंने बताया कि जाले के किसान को सम्मानित किए जाने से जाले के सभी किसानों का सम्मान बढ़ा है एवम हम उम्मीद करते है कि इससे उत्साहित होकर यहां के अन्य युवा किसान भी इस पुरस्कार से सम्मानित होंगे। वही क्षेत्र के जाने माने प्रगतिशील किसान डॉ. राम प्रवेश ठाकुर, डॉ.राघवेन्द्र प्रसाद, फैयाज अहमद, राजेश कुमार, भोला सिंह सहित दर्जनों किसानों व केविके के अध्यक्ष डॉ. दिव्यांशु शेखर, कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरपी प्रसाद, डॉ. एपी राकेश आदि ने धीरेंद्र कुमार को शुभकामनाएं दी है।

इसी के साथ किसान सम्मान समारोह स्थल पूसा से सीधे केविके जाले पहुचे, किसान सम्मान से सम्मानित हुए धीरेंद्र कुमार ने बताया कि अभिनव सम्मान पाकर मैं गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूँ और मैं कृषि क्षेत्र में और अधिक बेहतर करने का प्रयास करूँगा। मैं लोगों से अपील करना चाहूँगा कि किसान परंपरागत खेती के साथ साथ कृषि पद्धति में बदलाव कर खेती को मुनाफा का जरिया बना सकते हैं। मिथिला बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र होने के कारण यहाँ के किसान मखाना, सिंघारा और मछली पालन कर बाढ़ के अभिशाप को वरदान में बदल सकते हैं और खेती को आय का मुख्य जरिया बन सकता है।