सम्पादकीय

टीकेसे ही कोरोनासे मुक्ति


आर.के. सिन्हा    

कोरोनाकी काट वैक्सीनको लेकर अब भी देशमें बहुतसे खास और आम लोगोंमें डरका भाव दिखता है। वह इसे लगवानेसे बच रहे हैं। आप यह भी कह सकते हैं कि उनकी वैक्सीन लगवानेमें कोई दिलचस्पी ही नहीं है। इस तरह तो देशमें कोरोनाको मात देना कठिन होगा। उल्लेखनीय है कि कोरोनाकी चपेटमें आनेके बाद उडऩ सिख मिल्खा सिंहको मोहालीके एक अस्पतालमें भर्ती करवाया गया। वहांपर भर्ती होनेके बाद मिल्खा सिंहने कहा कि उन्होंने कोरोनाकी वैक्सीनको लगवानेके संबंधमें सोचा ही नहीं। हां, वे इसके वायरसको हरा देंगे। बहुत अच्छी बात है कि वह कोरोनाके वायरसको हरा दें। परन्तु उनका वैक्सीन न लगवाना कतई सही नहीं माना जा सकता। फिलहाल तो यही एकमात्र कोरोनाके वायरससे लडऩेके लिए जरूरी हथियार है। समझ नहीं आता कि मिल्खा सिंहको उनके परिवारके सदस्योंने वैक्सीन लगवानेके संबंधमें क्यों नहीं कहा। यदि उन्होंने कोरोना वैक्सीनको वक्त रहते लगवा लिया होता तो वह दो-तीन दिनोंमें ठीक भी हो जाते, क्योंकि वैक्सीन कोरोना वायरसके असरको काफी हदतक खत्म कर देती है। इसके उलट मुझे तो प्रतिदिन ही किसी न किसी मित्र या परिचितके फोन आते हैं कि उन्हें भी कोरोना हुआ परन्तु उनकी तो जान सिर्फ इसलिए बच गयी, क्योंकि उन्होंने वैक्सीन लगवा रखा था।

इससे भी गम्भीर मामला उत्तर प्रदेशसे सामने आ रहा है। वहांपर कोरोना वैक्सीन लगवानेके डरके कारण अपने पास आती एक मेडिकल टीमको देखकर लोगोंने सरयू जैसी विकराल नदीमें छलांग लगा दी। बाराबंकीकी तहसील रामनगरमें पिछले दिनों स्वास्थ्य विभागकी टीम ग्रामीणोंको कोरोनारोधी टीका लगाने पहुंची, जिसके भनकसे ही ग्रामीण डर गये थे और छिपकर नदीके किनारे बैठने लगे। खबरें मिल रही हैं कि कुछने उफनती नदीमें छलांगतक लगा दी ताकि उन्हें कोई टीका न लगाये। अब बताइये कि कोई भी सरकार कैसे कोरोना जैसे भयंकर वायरसको हरा सकेगी। यकीन माने कि कोरोना महामारीकी दूसरी लहरके बाद ही भारतमें एक हदतक वैक्सीनको लगवानेको लेकर गम्भीरता भी पैदा हुई है। उससे पहले तो अधिकतर लोग इसे लगवानेसे बच ही रहे थे। अब जब कोरोनाका संक्रमण बेहद जानलेवा साबित होने लगा तो युवाओंके लिए भी वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी हो गया। क्योंकि वैक्सीनेशनके बाद बीमारीकी गंभीरता और उससे मौत होनेका खतरा काफी कम हो जाता है। युवाओंके लिए वैक्सीन लगवाना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि युवा तेजीसे कोरोनाके नये वैरिएंटसे संक्रमित हो रहे थे। वैक्सीन लगवानेसे कोरोना फैलनेका खतरा काफी हदतक कम हो सकता है और लोग सामान्य जीवनकी ओर बढ़ सकते हैं। कई पश्चिमी देशोंमें भी देखा गया है कि वैक्सीनेशनके बाद लोग सामान्य जीवनकी ओर बढऩे लगे हैं। अब तो अमेरिकामें मास्क लगानातक जरूरी नहीं रहा और खाने-पीनेके सार्वजनिक रेस्टूरेंटतक खुलने लगे।

यदि बात आंकड़ोंकी करें तो हमारे देशकी ३८ फीसदी आबादी १९ से ४४ उम्रके लोगोकी है। देशमें अबतक लगभग १८ करोड़ लोग वैक्सीन लगवा चुके हैं। टीकाकरण अभियानके दौरान ४५ से ६० सालके ५,७६,५३,९२४ लोगोंको कोरोना टीकेकी पहली खुराक तथा ९२,३९,३९२ लोगोंको दूसरी खुराक भी लगायी गयी है। इसके अलावा ६० सालसे ऊपरके ५,४६,६०,९०० लोगोंको पहली खुराक और १,७९,१०,०२४ लोगोंको दूसरी खुराक दी गयी है। परन्तु अब भी बहुत बड़ा लक्ष्य बाकी है। सारे देशमें वैक्सीन लगानेमें तो वक्त लगेगा। परन्तु पहले तो देशकी जनता जागृत तो हो और इसको लगवानेको लेकर आगे भी आये।

पहले तो बहुतसे लोगोंमें वैक्सीनको लेकर उथल-पुथल मची हुई थी। यह हाल तब है जब सरकार, डॉक्टर, वैज्ञानिक और विशेषज्ञ लगातार इस बातको कहते रहे हैं कि अपनी बारी आनेपर वैक्सीन जरूर लें, इससे ही कोरोना संक्रमणकी बढ़ती हुई चेनको तोड़ा जा सकता है। इस वैक्सीनको लेकर शुरूमें कुछ आशंकाएं और संदेह भी जाहिर किये जा रहे थे। उन आशंकाओं, अफवाहों और भ्रमोंको दूर करनेके लिए एम्सके डायरेक्टर डा. रणदीप गुलेरियाने पहले खुद ही सबसे पहले कोरोना वैक्सीनकी डोज ली थी। भारतमें कोरोनाके खिलाफ टीकाकरणकी शुरुआतकी दिशामें यह एक बड़ा कदम था। कोरोना वायरसने तो दुनियाके हरेक इनसानकी आंखोंसे आंसू निकलवा दिये हैं। करोड़ों परिवारोंको बर्बाद कर दिया है और लाखों लोगोंकी जानें ले ली है।

दरअसल यह संक्रमण हवाके जरिये अधिक तेजीसे फैल रहा है, न कि संक्रमित सतहको छूनेसे। पूरी दुनियामें भारत फिलहाल एकमात्र ऐसा देश है जहांपर इसके सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं। अभी वैक्सीनका काम कई राज्योंमें रूक-सा भी गया है या मंद पड़ गया है क्योंकि इसकी खुराक ही खत्म हो गयी है। परन्तु यह मसला जल्दी ही हल हो जायगा। देशमें कोरोनासे लडऩेके लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है कि टीकाकरणका काम जल्द पूरा हो जाय। हम भारतमें कोरोनाके प्रभावको कम करनेके लिए अपने देशमें बने दो तरहके टीके लगा रहे हैं। अब रूसमें बना टीका भी लगने लगेगा। कोरोनाके नियंत्रणमें ९७.६ प्रतिशततक कारगर माना जा रहा है रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वीको। इसका अब हिमाचल प्रदेशके बद्दीमें बड़े पैमानेपर उत्पादन भी होगा। यहां बननेवाली वैक्सीनकी गुणवत्ताकी देखरेख रूससे की जायगी। इसकी आपूर्ति भी रूसको ही जायगी। बताया जा रहा है कि रूसने भारतमें स्पूतनिक-वीकी १८ मिलियन खुराक भेजनेकी योजनाकी घोषणा की है, जिसमें मई माहमें ३० लाख, जूनमें ५० लाख और जुलाईमें दस मिलियन खुराक शामिल है। कोरोनाकी दूसरी लहर घर-घरतक पहुंच गयी है। इसने सारे देशको हिलाकर रख दिया है। इसकी वजहसे सारे देशको भारी क्षति हुई है। इसलिए अब यह जरूरी है कि कोरोनाकी वैक्सीन लेनेमें कतई देरी न की जाय। इस तरहका कोई भी कदम नासमझी भरा ही होगा।