News TOP STORIES नयी दिल्ली पटना बिहार राष्ट्रीय

तबीयत का बहाना या कांग्रेस को सताना? आखिर नीतीश कुमार ने क्यों बना ली I.N.D.I.A की बैठक से दूरी


पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आईएनडीआईए की अगली बैठक में शामिल नहीं होंगे। यह बैठक 6 दिसंबर को नई दिल्ली में होगी। 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद नीतीश कुमार का यह फैसला एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे रहा है।

हैरानी तो इस बात की भी है कि नीतीश कुमार के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ‘इंडिया’ की अगली बैठक से दूरी बना ली है। हालांकि, यह सभी नेता अपने प्रतिनिधियों को बैठक में भेजेंगे।

नीतीश कुमार बैठक में क्यों शामिल नहीं हो रहे?

बता दें कि पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार के बीमार होने की खबरें चल रही हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) तो नीतीश कुमार की सेहत को लेकर चिंता भी जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने मांग की है कि मुख्यमंत्री का मेडिकल बुलेटिन जारी होना चाहिए। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी सीएम नीतीश के हेल्थ बुलेटिन की मांग की है।

हालांकि, सियासी गलियारों में चर्चा है कि चुनाव परिणामों में कांग्रेस के बुरे प्रदर्शन के बाद अब क्षेत्रीय दलों का भरोसा I.N.D.I.A से उठता जा रहा है। जेडीयू के कई नेता तो यह बात खुले तौर पर कह चुके हैं कि नीतीश कुमार ही आईएनडीआईए के सबसे विश्वसनीय चेहरा हैं।

आरजेडी ने भी चुनावी रिजल्ट पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। सांसद मनोज झा (Manoj Jha) ने कहा कि कांग्रेस को भी थोड़ा दिल बड़ा करके आईएनडीआईए गठबंधन की सामूहिकता के प्रति संवेदनशील होना होगा। क्षेत्रीय दलों के बयानों से साफ है कि कहीं न कहीं कांग्रेस को एक कड़ा संदेश देने की कोशिश की जा रही है।

नीतीश के फॉर्मूले पर होगी चर्चा

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा को परास्त करने के लिए उसके एक उम्मीदवार के सामने विपक्ष का एक उम्मीदवार देने का फार्मूला दिया था। 6 दिसंबर की आईएनडीआईए की बैठक में उस पर चर्चा होगी। राज्यवार उन सीटों की पहचान के लिए भी कोई तंत्र विकसित किया जाएगा, जिससे यह तय होगा कि किस सीट पर गठबंधन के किस दल की दावेदारी अधिक कारगर होगी। गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दलों की इस मांग पर विचार किया जाएगा कि राज्यों में मजबूत क्षेत्रीय दल को ही लोकसभा चुनाव के समय नेतृत्व का अवसर दिया जाए।