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तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी दर्जा कायम रहेगा: अमेरिका


वाशिंगटन, पाकिस्तान के कश्मीर केंद्रित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान संगठनों को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों की सूची से नहीं हटाया जाएगा। यूएस के सिक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटोनी ब्लिंकेन ने एक समीक्षा के दौरान यह बात कही।

ब्लिंकेन के निर्णय को किया गया अधिसूचित

ब्लिंकेन के निर्णय को फेडरल रजिस्टर में गुरुवार को अधिसूचित किया गया। उनका यह निर्णय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, हिजबुल मुजाहिदीन और द आर्मी ऑफ इस्लाम (और इसके अन्य सहयोगी) की विदेशी आतंकवादी संगठनों के तौर पर पहचाने जाने को लेकर की गई समीक्षा के बाद आया। समीक्षा में यूएस की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को मद्देनजर रखा गया।

 

आतंकी सूची में बने रहेंगे

प्रबंधकीय दस्तावेजों और अटार्नी जनरल व ट्रेजरी सचिव से परामर्श के बाद ब्लिंकेन ने समीक्षा के आधार पर कहा कि इन संस्थानों का विदेशी आतंकवादी संगठनों का दर्जा नहीं बदला जाएगा। यूनाइटेड स्टेट्स की राष्ट्रीय सुरक्षा ने उनकी इस स्थिति को हटाए जाने का समर्थन नहीं करती। उन्होंने कहा कि ऐसे में मैं मानता हूं कि इन संगठनों का विदेशी आतंकी संगठनों का दर्जा कायम रखना सही है।

सूची में 2010 में किया गया था शामिल

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को यूएस द्वारा 1 सितंबर 2010 को आतंकी संगठनों की सूची में रखा गया था। इसके नेताओं हकिमुल्ला मसूद और वाली उर्रहमान को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी माना गया था। टीटीपी को आमतौर पर पाकिस्तान तालिबान के तौर पर जाना जाता है। ये उन इस्लामिक सशस्त्र आतंकी संगठनों में से एक है, जो अफगान-पाकिस्तान सीमा पर संचालित होते हैं। इसकी स्थापना 2007 में की गई थी।

संगठन अफगानिस्तान के तालिबान की विचारधारा का समर्थन करता है और 2001 से 2021 तक के युद्धों में तालिबान का साथ दे चुका है। हिजबुल मुजाहिदीन को यूएस, कनाडा, भारत और यूरोपीय यूनियन ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों की सूची में रखा है।