सम्पादकीय

तीसरी लहरका खतरा


देशमें कोरोना वायरसकी दूसरी लहरकी गति अब धीरे-धीरे थमने लगी है। मौतकी संख्यामें कमी आयी है। सक्रिय मामलोंमें भी बड़ी संख्यामें गिरावट राहतकारी संकेत है। गुरुवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार नये मामलोंमें कुछ वृद्धि हुई है लेकिन ठीक होनेवालोंकी संख्यामें निरन्तर वृद्धि हो रही है। पिछले २४ घण्टोंके दौरान देशमें एक लाख ३४ हजार १०५ लोग संक्रमित हुए और २८९९ लोगोंकी मृत्यु हुई, जबकि बुधवारको जारी आंकड़ोंके अनुसार ३२०७ लोगोंको जान गंवानी पड़ी। लगातार २१वें दिन नये मामलोंकी तुलनामें ठीक होनेवालोंकी संख्यामें वृद्धि हुई। देशमें इस समय १७ लाख २० हजार ७८ लोगोंका उपचार चल रहा है। हालातमें निरन्तर सुधार हो रहे हैं लेकिन तीसरी लहरका भी खतरा बना हुआ है। ब्रिटेनमें ऐसी आशंका व्यक्त की गयी है कि वहां तीसरी लहरने दस्तक दे दी है। इसलिए भारतके लिए यह बड़ी चेतावनी है, क्योंकि ब्रिटेनमें जब दूसरी लहर आयी थी तो उसके कुछ ही महीनेके बाद भारतमें भी दूसरी लहर आ गयी, जो काफी भयावह साबित हुई। ब्रिटेनकी लापरवाहीसे भारतके लोगोंने कोई सबक नहीं लिया। ब्रिटेनमें तीसरी लहरकी आहट है और भारतमें अनलाकके बीच तीसरी लहरकी आशंका है। भारतमें अब काफी सतर्कता रखनेकी जरूरत है जिससे कि तीसरी लहरमें हमें काफी परेशानी नहीं उठानी पड़े। देशकी प्रमुख सरकारी बैंकिंग संस्था भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी ताजा रिपोर्टमें कोरोना वायरसकी तीसरी लहरको लेकर चेतावनी दी है। ‘इको वार्पÓ रिपोर्टमें कहा गया है कि यदि दूसरे देशोंको उदाहरणके रूपमें देखें तो भारतमें तीसरी लहर भी दूसरी लहर जितनी ही खतरनाक हो सकती है। १२ से १८ वर्षके बच्चोंपर ज्यादा खतरा है। इसलिए बच्चोंके लिए टीकाकरणको प्राथमिकता देनी होगी। रिपोर्टमें यह भी कहा गया है कि यदि भारत तीसरी लहरके लिए तैयार है तो गम्भीर मामलोंकी संख्या भी कम होगी। इससे मृत्यु दर भी कम होगी। इसके लिए यह भी जरूरी है कि देशमें टीकाकरणको तेज गतिसे चलाया जाय। भारत सरकार इस दिशामें सक्रिय है और आनेवाले कुछ महीनोंमें टीकेकी उपलब्धता बढ़ेगी। प्रतिदिन एक करोड़से अधिक लोगोंको टीका लगानेका लक्ष्य रखा गया है लेकिन यह लक्ष्य तभी पूरा होगा जब टीकेकी उपलब्धता बढ़े। आगामी महीनोंमें देशमें टीकेका उत्पादन बढऩेकी सम्भावना है। तीसरी लहरके कहरसे यदि हमें बचना है तो टीकेके अतिरिक्त सावधानी भी पूरी तरहसे बरतनी होगी।

नीतीशकी अच्छी पहल

सरकारी नौकरीमें आरक्षणकी तर्जपर मेडिकल और इंजीनियरिंग कालेजोंमें प्रवेशमें भी लड़कियोंको ३३ प्रतिशत आरक्षण देकर बिहारकी नीतीश सरकारने सराहनीय और अनुकरणीय पहल की है। इससे लड़कियोंको अपना कैरियर बेहतर बनानेका जहां मौका मिलेगा वहीं उनको उच्च शिक्षाके लिए दूसरे राज्योंका मुख नहीं देखना होगा। बिहारके मुख्य मन्त्री नीतीश कुमारने वीडियो कांफ्रेंसिंगके माध्यमसे कहा है कि राज्यके इंजीनियरिंग और मेडिकल कालेजोंमें नामांकनमें एक-तिहाई सीट छात्राओंके लिए आरक्षित की जाय। इससे छात्राएं उच्च और तकनीकी शिक्षाकी ओर प्रेरित होंगी और इससे इस क्षेत्रमें छात्राओंकी संख्या भी बढ़ेगी। इसके लिए राज्यके सभी जिलोंमें इंजीनियरिंग कालेज खोले जा रहे हैं, जबकि कई मेडिकल कालेज खोले गये हैं और सरकारका यह प्रयास है कि बिहारके बच्चे-बच्चियोंको इंजीनियरिंग और मेडिकलकी पढ़ाईके लिए बाहर न जाना पड़े। महिला सशक्तीकरणकी वकालत तो हर राजनीतिक दल और सरकारें करती हैं परन्तु उनको उनके हकका प्रतिनिधित्व भी नहीं देती। ऐसेमें उच्च शिक्षामें लड़कियोंको आरक्षण देकर बिहार सरकार देशके समक्ष मिसाल पेश की है। इससे बिहार देशका पहला राज्य बन गया है जिसने इंजीनियरिंग और मेडिकल कालेजमें न्यूनतम एक-तिहाई सीटें लड़कियोंके लिए आरक्षित की है। इससे पहले प्रारम्भिक स्कूलके शिक्षक नियुक्ति, त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं, राज्य सरकारकी सभी नौकरियोंमें महिलाओंके लिए आरक्षण सबसे पहले बिहारमें दिया गया है। इंजीनियरिंग और मेडिकल कालेके बेहतर प्रबन्धनके लिए अभियंत्रण विश्वविद्यालय और चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थापित करनेका निर्णय उचित है। इससे कालेजोंमें अध्यापन कार्यको बेहतर ढंगसे नियंत्रित किया जा सकेगा और शिक्षणकी गुणवत्ता बनायी जा सकेगी। बिहारके मुख्य मंत्री नीतीश कुमारकी यह पहल अन्य राज्योंके लिए अनुकरणीय और महिला सशक्तीकरणके लिए जरूरी भी है।