नयी दिल्ली (आससे)। दिल्ली सीमापर किसानोंका हुजूम लगातार बढ़ता जा रहा है। पंजाब,हरियाणा सहित विभिन्न राज्योंसे आन्दोलनको समर्थन देनेके लिए किसानोंका आना जारी है। किसान समर्थक विभिन्न वाहनोंसे ठण्डसे बचनेके सामान सहित खाने-पीनेकी सामग्री साथ लिए हुए है। इसबीच पिछले 29 दिनों से जारी किसान आंदोलन को समाप्त करने की कोशिश के तहत केंद्र सरकार ने एक बार फिर से किसान संगठनों को खुला पत्र लिखा है। कृषि सचिव की तरफ से भेजे गये इस पत्र में कहा गया है कि सरकार की तरफ से किसानों के साथ बातचीत के दरवाजे खुले हैं। कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल की तरफ से लिखे गये इस पत्र में कहा गया है कि संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 23 दिसम्बर को मिले पत्र के संदर्भ में भारत सरकार पुन: अपनी प्रतिबद्धता दोहराना चाहती है कि वह आंदोलनकारी किसान संगठनों द्वारा उठाये गये सभी मुद्दों का तर्कपूर्ण समाधान करने के लिये तत्पर है। उन्होंने लिखा है कि 20 दिसम्बर को लिखे गये पत्र में भी साफ-साफ इस बात का उल्लेख किया गया था कि आंदोलनकारी किसान संगठनों द्वारा उठाये गये सभी मौखिक एवं लिखित मुद्दों पर सरकार सकारात्मक रुख अपनाते हुये वार्ता करने के लिये तैयार है। अबतक हुई सभी वार्ताओं में किसान यूनियन के प्रतिनिधियों द्वारा उल्लेखित किया गया था कि सरकार द्वारा आमंत्रण तथा संबोधन सभी संगठनों को अलग-अलग किया जाय। आपके द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि श्री दर्शनपाल जी द्वारा लिखा गया पत्र संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से लिखा गया था। इस स्पष्टीकरण के लिये मैं आभारी हूं। पत्र में अग्रवाल ने आगे लिखा है कि भारत सरकार के लिये देश के सभी किसान संगठनों के साथ वार्ता का रास्ता खुला रखना आवश्यक है। देश के अनेक स्थापित किसान संगठनों एवं किसानों की आदर पूर्वक बात सुनना सरकार का दायित्व है, सरकार इससे इंकार नहीं कर सकती है। संयुक्त किसान मोर्चा के अंतर्गत आंदोलनकारी समस्त किसान यूनियनों के साथ सरकार द्वारा बहुत ही सम्मान जनक तरीके से और खुले मन से कई दौर की वार्ता की गयी है और आगे भी आप की सुविधानुसार वार्ता करने की पेशकश की है। उन्होंने लिखा है कि आपके द्वारा सरकार के लिखित प्रस्ताव के संबंध में यह आपत्ति की गयी है कि आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया। पूर्व के पत्रों में यह स्पष्ट उल्लेख था कि तीन दिसम्बर को हुई वार्ता में जितने मुद्दे चिन्हित किये गये थे, उन सभी मुद्दों के संबंध में लिखित प्रस्ताव दिया गया था। फिर भी 20 दिसम्बर के पत्र में यह उल्लेख किया गया था कि यदि कोई अन्य मुद्दा भी है तो उसपर भी सरकार वार्ता करने को तैयार है। पत्र में आगे लिखा गया है कि कृषि सुधार से संबंधित तीनों कानूनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीदी से कोई संबंध नहीं हैं और न ही इन तीनों कानूनों के आने से पूर्व से जारी न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीदी व्यवस्था पर कोई प्रभाव है। इस बात का उल्लेख वार्ता के हर दौर में किया गया और यह भी स्पष्ट किया गया कि सरकार न्यूनतम समर्थन पर खरीदी की वर्तमान व्यवस्था के लागू रहने के संबंध में लिखित आश्वासन देने को तैयार है। इस विषय में कोई नयी मांग रखना, जो नये कृषि कानूनों से परे है, उसका वार्ता में सम्मिलित किया जाना तर्कसंगत प्रतीत नहीं लगता है, फिर भी जैसा पूर्व में उल्लेख किया गया है, सरकार आपके द्वारा उठाये गये सभी मुद्दों पर वार्ता के लिये तैयार है। पत्र में यह भी लिखा गया है कि जहां तक विद्युत संशोधन अधिनियम तथा पराली को जलाने से संबंधित प्रावधानों का प्रश्न है, उनपर भी सरकार 3 दिसम्बर की बैठक में चिन्हित मुद्दों पर दिये गये प्रस्ताव के अतिरिक्त भी यदि कोई अन्य मुद्दा है तो उसपर भारत सरकार वार्ता के लिये तैयार है। पत्र में किसान संगठनों से संयुक्त सचिव ने एक बार फिर से अनुरोध किया है कि सरकार साफ नियत तथा खुले मन से आंदोलन को समाप्त करने एवं मुद्दों पर वार्ता करती रही है एवं आगे भी तैयार है, आप कृपया अपनी सुविधानुसार तिथि एवं समय बतायें। इसके साथ ही जिन अन्य मुद्दों पर वार्ता करना चाहते हैं, उन मुद्दों का विवरण दें। यह वार्ता आपके द्वारा सुझायी गयी तिथि एवं समय को विज्ञान भवन नयी दिल्ली में मंत्रीस्तरीय समिति के साथ आयोजित की जायेगी।
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