मऊ

‘नफरत की आंधियों’ के बीच जल रहे ‘मोहब्बत के चिराग’… कोरोना पीङितों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं होम्योपैथिक चिकित्सक आर एस सिंह,अरविंद और नम्रता श्रीवास्तव


(ऋषिकेश पाण्डेय )
मऊ।कोरोना की दूसरी लहर में एक तरफ जहाँ पूरे देश में चल रही नफ़रत की आंधी में अनगिनत कोरोना संक्रमित असमय ही काल के गाल में समा गये।नफ़रत की वह आंधी जनपद मऊ में भी कम रफ्तार से नहीं चली।जब कोरोना संक्रमितों से कोविड हास्पीटल फुल हो गये,सामान्य दिनों में आम जनता को नियम विरुद्ध दोनों हाथों से लूटने वाले अस्पतालों ने कोरोना संक्रमितों के अलावा सस्पेक्टेड और अन्य रोगों से पीड़ित मरीजों को देखना तो दूर,देखते ही दूर से ही भगाना शुरू कर दिया।समूचे जनपद में मरीजों के सामने उत्पन्न हुए संकट से चौतरफ़ा चीख-पुकार मच गयी।नफरत की आंधियों के उस दौर में जिला चिकित्सालय मऊ की होम्योपैथिक चिकित्सक डाक्टर नम्रता श्रीवास्तव,सेवानिवृत्त वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डाक्टर आर एस सिंह,राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय सरसेना,मऊ के चिकित्साधिकारी डाक्टर अरविंद श्रीवास्तव जनपदवासियों के लिए उम्मीद की एक किरण बनकर उभरे।इन चिकित्सकों ने न सिर्फ़ नफ़रत की आंधियों के बीच मोहब्बत के एक-एक चिराग जलाये।बल्कि कोरोना संक्रमितों को भी लक्षण के आधार पर बङे प्यार से होम्योपैथी दवाएं देना शुरू कर दिया।जिससे समाज का एक जागरूक तबका एलोपैथी पद्धति से मुङकर होम्योपैथी पद्धति की दिशा में मुङ गया।चमत्कारिक परिणाम ने होम्योपैथी पद्धति पर ऐसा विश्वास जमाया कि आज बहुत से कोरोना संक्रमित और कोरोना सस्पेक्टेड लोग चंगा होकर लोगों को होम्योपैथी पद्धति के प्रति जागरूक कर रहे हैं।ऐसे में ये तीनों ही चिकित्सक संक्रमण के इस दौर में किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं।मरीजों का एक भारी तादात में ठीक होना एक शुभ संकेत है।यही वज़ह है कि आज भारी संख्या में ऐसे मरीजों के अलावा अन्य मरीजों का झुकाव भी बङी तेजी के साथ होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की तरफ हुआ है।इन चिकित्सकों का नाम आज जनपद के कोने-कोने में लोगों की जुबान पर तैरता नज़र आ रहा है।