सम्पादकीय

नयी ऊंचाईपर संक्रमण


देशमें कोरोना संक्रमण नयी ऊंचाईपर पहुंच गया है और स्थिति निरन्तर भयावह होती जा रही है। दूसरी लहर पहली लहरके मुकाबले ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। गुरुवारको स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंमें सवा लाखसे पार नये मामले दर्ज हुए हैं। एक दिनमें एक लाख २६ हजार ७८९ नये मामले आये और ६८५ लोगोंकी मौत हो गयी। देशमें यह तीसरी बार नये मामलोंकी संख्या एक लाखसे ऊपर दर्ज की गयी। पहली लहरमें कभी भी एक लाखसे ऊपर मामले नये आये थे जबकि पिछले एक सप्ताहमें तीन बार यह आंकड़ा एक लाखसे ऊपर पहुंच गया। बुधवारको एक लाख १५ हजार मामले ही आये थे और ६३० लोगोंकी मौत हुई थी। कुछ राज्योंने संक्रमणको रोकनके लिए सख्त कदम भी उठाये हैं। मध्यप्रदेशके सभी शहरी इलाकोंमें शनिवार सायंकाल छह बजेसे सोमवार प्रात: छह बजेतक लाकडाउन लगानेकी घोषणा की गयी। राज्यमें खराब होते हालातको देखते हुए सप्ताहान्त लाकडाउनका कदम उठाया गया है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेशके तीन बड़े नगरों लखनऊ, वाराणसी और प्रयागराजमें रात्रिकालीन कफ्र्यू लगानेका आदेश दे दिया गया है। प्रतिदिन पांच सौसे अधिक संक्रमित होनेवाले अन्य दस शहरोंमें भी रात्रिकालीन कफ्र्यू लगाया जा सकता है। महाराष्टï्रमें कोरोना संक्रमणकी स्थिति सबसे अधिक खराब है। वहां रात्रि कफ्र्यूके साथ ही सप्ताहान्त लाकडाउनका कदम उठाया गया है। कोरोना संक्रमणमें आयी तेजी और उससे उत्पन्न हालातसे निबटनेके लिए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं राज्योंपर नजर रख रहे हैं। उन्होंने मुख्य मंत्रियोंसे वार्ता भी की और स्थितिकी समीक्षाके साथ सम्भावित उपायोंपर मंत्रणा की। देशमें टीकाकरणका अभियान तेजीसे चल रहा है और इस मामलेमें भारत अमेरिकासे भी आगे निकल गया है। प्रतिदिन ३० लाख लोगोंको टीके लगाये जा रहे हैं लेकिन अनेक राज्योंने टीकेकी उपलब्धतामें कमीकी शिकायत की है। इसके चलते अनेक टीका केन्द्र बन्द कर दिये गये। सरकारका दावा है कि टीकेकी कमी नहीं है। ऐसी स्थितिमें राज्योंकी शिकायतोंकी वास्तविकता क्या है, इसकी पड़ताल आवश्यक है। सभी स्थानोंपर टीकेकी पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए जिससे कि सभी पात्र लाभार्थियोंको टीके लगाये जा सकें। किसीको भी  टीकेसे वंचित नहीं होना पड़े, इसपर पूरा ध्यान देनेकी जरूरत है। संक्रमणका प्रसार कैसे रुके इसके लिए जनताको भी पूरी तरह सतर्क रहनेकी आवश्यकता है। इसमें कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए।

गुरुतर दायित्व

अमेरिकाने स्वीकार किया है कि जलवायु परिवर्तनकी लड़ाईमें भारत एक बड़ा भागीदार है, यह उचित ही है क्योंकि मानवताकी सेवामें भारत सदैव अग्रणी रहा है। जलवायु परिवर्तन वस्तुत: पृथ्वीपर मानव ही नहीं वरन्ï समस्त जीवधारियोंके लिए बहुत बड़ा खतरा है। धरतीकी धारक क्षमतामें ह्रïासके लिए भी यह उत्तरदायी है। वातावरणके साथ अर्थव्यवस्थापर भी व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तनसे इस धरतीको बचानेकी पहल बीसवीं सदीके उत्तरार्धमें प्रारम्भ हुई जब भारत सहित विश्वके अनेक जागरूक राष्टï्र एक होकर इस दिशामें प्रयास करनेको सहमत हुए लेकिन विकसित राष्टï्रोंसे अपेक्षित सहयोग न मिलनेसे जलवायु परिवर्तनकी लड़ाई सफल नहीं हो सकी है। अमेरिकी राष्टï्रपति जो बाइडेनके विशेष दूत जान केरीने कहा है कि भारत जलवायु परिवर्तनके खिलाफ लड़ाईमें वैश्विक मंचपर एक बड़ा भागीदार है। यह विश्वमें भारतके बढ़ते विश्वासको व्यक्त करता है, परन्तु इसका यह मतलब नहीं है कि विकसित राष्टï्र अपनी गुरुतर जिम्मेदारीसे पीछे हट जायं। जलवायु परिवर्तनके खिलाफ अभियान तबतक पूरा नहीं हो सकता, जबतक विकसित राष्टï्र अति सक्रियतासे अपनी जिम्मेदारीका निर्वहन नहीं करेंगे, क्योंकि पृथ्वीका ताप बढ़ानेवाली गैसोंका उत्सर्जन इन्हीं देशोंसे ज्यादा होता है। ऐसेमें जलवायुको प्रभावित करनेवाली गैसोंका उत्सर्जनको कम करनेके लिए उन्हें विशेष कार्य योजना बनानी चाहिए जिससे पर्यावरणके गम्भीर होते खतरेसे निबटा जा सके। इसके लिए सभी राष्टï्रोंको एकजुट होकर प्रयास करनेकी जरूरत है। विकसित राष्टï्रोंका दायित्व है कि वह इस अभियानमें पूरी ईमानदारीके साथ सक्रिय भूमिका निभायें। जलवायु परिवर्तनसे गर्मी और वायु प्रदूषणका प्रभाव हमारे जन-जीवनपर पड़ रहा है। यहांतक कि पेयजलकी आपूर्तिमें भी कमी आ रही है, जो जनजीवनके लिए बड़ा संकट है। भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघीने सही कहा है कि कोरोनाकी तरह जलवायु परिवर्तनके खतरेसे निबटनेके लिए तत्काल कार्ययोजना बनानेकी जरूरत है।